मुख्यमंत्री जलस्वावलंबन योजना ने राजस्थान की तक्दीर और तस्वीर पूरी तरह से बदल दी है. तीन चरणों में राजस्थान के लाखों गांवों की सूरत बदल गई और पुराने जलस्त्रौत में फिर से पानी आने लगा. इस अभियान से राजस्थान के रेगिस्तान में पानी की कमी खत्म होने लगी है और तीन अभियान सफल रहे. सफलता के बढ़ते कदम में लगातार राजस्थान आगे बढ़ता चला गया और प्रदेश में चौथा चरण शुरू हो रहा है.
सरकार के इस क्रांतिकारी कदम के बाद जल स्तर तो बढ़ा ही इसके साथ पुराने जल स्त्रौतों में पानी की आवक भी हुई. मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के चौथे चरण का शुभारम्भ वसुन्धरा राजे बुधवार को करेंगी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री स्टेट वाटर ग्रिड पोर्टल का भी लोकार्पण करेंगी. जयपुर के कृषि अनुसंधान केंद्र में चौथे चरण की शुरूआत होगी.
अभियान में प्रथम तीन चरणों के अन्तर्गत किए गए सभी कार्यों की जियो टेगिंग, जीआईएस प्रौद्योगिकी का उपयोग, मोबाइल एप, और पॉइन्ट सॉफ्टवेयर के साथ चौथे चरण में कार्यों के चयन के लिए सर्वे कार्य ड्रोन के माध्यम से पहली बार देश में किया गया है. चौथे चरण में राज्य के 33 जिलों की सभी 295 पंचायत समितियों में लगभग 4000 गांवों का चयन किया गया है. इस चरण में लगभग 1434 ग्राम पंचायतों में प्रत्येक में न्यूनतम एक कार्य का शुभारम्भ किया जाएगा. राज्य सरकार की पहल पर हाल ही में राजस्थान की वाटर ग्रिड योजना तैयार की गई है, जिसका प्रमुख उद्देश्य जल से संबंधित सभी आवश्यक, आधारभूत और विश्वसनीय आंकड़ों का डिजिटाईजेशन कर एक स्थान पर संकलन करते हुए भावी संभावित योजनाओं का प्रथम दृष्टया निरूपण किया गया है.
अभियान का पहला चरण 27 जनवरी 2016 से 30 जून 2016 तक चला. इसमें प्रदेश की 295 पंचायत समितियों के 3 हजार 529 गांवों का चयन किया गया. चयनित गांवों में पारंपरिक जल संरक्षण के तरीकों जैसे तालाब, कुंड, बावड़ियों, टांके वगैरह की मरम्मत और नई तकनीकों से एनिकट, टांके, मेड़बंदी आदि का निर्माण किया गया. इन जल संरचनाओं के पास संरक्षण के संकल्प के साथ साढ़े 26 लाख से ज़्यादा पौधे भी रोपे गए.
9 दिसम्बर 2016 से शुरू हुए दूसरे चरण में 4 हजार 200 नए गांवों और हर जिले से 2 यानी 66 शहरों को भी अभियान में शामिल किया गया. शहरी क्षेत्रों में पूर्व में निर्मित बावड़ियों, तालाबों, जोहड़ों वगैरह की मरम्मत का कार्य किया गया. रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के अलावा परकोलेशन टेंक भी बनाए गए. करीब 2100 करोड़ रुपए की लागत से जल संरचनाओं में सुधार कार्य करवाने से गावों की फिजा ही बदलने लगी.
तीसरे चरण का शुभारम्भ 9 दिसम्बर 2017 से हुआ. इसमें 4 हजार 240 गांवों में काम किया जा रहा है. इस अभियान के तहत आगामी वर्षों में राज्य के 21 हज़ार गांवों को लाभान्वित कर जल आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है. बारिश का पानी रोकने से बहुत लाभ हुए हैं. सतही स्रोतों में पानी जमा हुआ, भूजल का स्तर बढ़ा, पानी के बहाव से मिट्टी की ऊपरी सतह के बहाव को रोका गया, मिट्टी की नमी बढ़ी और खेती की पैदावार में बढ़ोतरी हुई.
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