चिराना। संजय बारी
आधुनिक युग में जहां शादियों में हेलीकॉप्टर और लग्जरी गाड़ियों का चलन बढ़ गया है, वहीं नवलगढ़ के पहाड़िला गांव में एक अनूठी पहल देखने को मिली। यहां बाबूलाल सैनी की बारात पारंपरिक ऊंटगाड़ियों से निकाली गई, जिससे पुरानी परंपराओं को फिर से जीवंत करने का संदेश दिया गया। दूल्हे के पिता मांगूराम सैनी ने अपने बेटे की बारात खारिया की ढाणी, पहाड़िला से टीबड़ा वाली ढाणी, टोडपुरा तक ऊंटगाड़ियों के जरिए निकालने का फैसला किया। इस दौरान करीब 10 किलोमीटर तक ऊंटगाड़ियों की लंबी कतार देखने को मिली। कुल 21 ऊंटगाड़ियों को रंग-बिरंगे फूलों और गुब्बारों से सजाया गया था, जो आकर्षण का केंद्र बनीं।
सादगी और परंपरा को दिया महत्व
महावीर प्रसाद सैनी ने बताया कि यह पहल दिखावटी खर्चों से बचने और पूर्वजों की संस्कृति को सहेजने के उद्देश्य से की गई। उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति में ऊंटगाड़ी का विशेष महत्व रहा है। यह न केवल सादगी का प्रतीक है बल्कि ग्रामीण परिवेश की सुंदरता को भी दर्शाती है। दूल्हे के बड़े भाई राजेंद्र प्रसाद सैनी ने कहा कि ऊंटगाड़ियों से बारात निकालना हमारे पूर्वजों की परंपरा रही है, जिसे आज की पीढ़ी भूलती जा रही है। उन्होंने बताया कि इस बारात को देखकर बुजुर्गों की आंखों में खुशी झलक रही थी, क्योंकि उन्होंने अपने जमाने में इसी तरह की शादियां देखी थीं।
गांववालों ने किया स्वागत, सराहना में गाए गीत
बारात के मार्ग में जगह-जगह गांववालों ने स्वागत किया, ढोल-नगाड़ों के बीच बारातियों पर पुष्पवर्षा की गई और पारंपरिक गीत गाए गए। ग्रामीणों ने कहा कि यह बारात एक मिसाल है, जिससे नई पीढ़ी को सीख मिलेगी कि शादियों में सादगी और परंपरा को कैसे जोड़ा जा सकता है।
पूर्वजों की देन है यह परंपरा
दूल्हे के बड़े भाई राजेंद्र प्रसाद सैनी ने कहा कि ऊंटगाड़ियों से बारात निकालना हमारे पूर्वजों की परंपरा रही है, जिसे आज की पीढ़ी भूलती जा रही है। उन्होंने बताया कि इस बारात को देखकर बुजुर्गों की आंखों में खुशी झलक रही थी, क्योंकि उन्होंने अपने जमाने में इसी तरह की शादियां देखी थीं।