राजस्थान पोस्ट। दिल्ली
केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए इस ऐतिहासिक कदम से भारत के डिजिटल क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू होने की संभावना है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 के मसौदा नियमों के जरिए बच्चों और उपभोक्ताओं के डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर डेटा के दुरुपयोग पर कड़ी निगरानी रखने की योजना है, जिससे इन प्लेटफॉर्म्स पर अनुशासन और जिम्मेदारी बढ़ेगी।
इन नियमों के तहत, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और डेटा प्रोसेसिंग कंपनियों को उनके उपयोगकर्ताओं के डेटा की सुरक्षा के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा। इसके अलावा, अगर कोई संस्था या व्यक्ति डिजिटल पर्सनल डेटा का गलत तरीके से उपयोग करता है, तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है, जो उन्हें अधिक सतर्क बनाएगा।
इससे न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि डिजिटल दुनिया में बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण भी बनेगा। साथ ही, कंपनियां और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अपने कामकाज में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही का पालन करना होगा। इससे भारत के डिजिटल समाज में विश्वास और संतुलन कायम होगा, और यह देश को एक मजबूत और समृद्ध डिजिटल भविष्य की ओर
सरकार का यह कदम बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुनिश्चित करेगा कि नाबालिगों को सोशल मीडिया पर सुरक्षित तरीके से प्रवेश मिल सके। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया अकाउंट बनाने से पहले अपने माता-पिता की सहमति लेनी होगी, जिससे बच्चों के व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग रोका जा सकेगा।
डेटा फिड्यूशरीज़, यानी वह कंपनियां जो डेटा संभालती हैं, को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे यह सुनिश्चित करें कि माता-पिता की अनुमति केवल सरकारी द्वारा मान्यता प्राप्त डिजिटल टोकन या पहचान पत्र के माध्यम से ली जाए। यह प्रक्रिया बच्चों के लिए एक डिजिटल सुरक्षा कवच के रूप में काम करेगी, जिससे वे न केवल डेटा चोरी से बचेंगे, बल्कि सोशल मीडिया पर किसी भी अनुचित सामग्री या ऑनलाइन खतरों से भी सुरक्षित रहेंगे।
इस कदम से बच्चों को सोशल मीडिया पर अनुशासन, गोपनीयता और सुरक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाएगी। हालांकि, मसौदा नियमों पर 18 फरवरी तक सुझाव मांगे गए हैं, और उसके बाद ही सरकार इन्हें अंतिम रूप से लागू करेगी। इस कदम से डिजिटल दुनिया में बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को एक नया आयाम मिलेगा।
सरकार का यह कदम न केवल बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्मों पर उपयोगकर्ता गोपनीयता और जिम्मेदारी की ओर एक बड़ा कदम है। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य करना एक अत्यंत जरूरी कदम है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि सोशल मीडिया पर बच्चों का अनुभव सुरक्षित और नियंत्रित हो।
डेटा फिड्यूशरीज़ यानी डेटा संभालने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है कि माता-पिता की अनुमति सिर्फ सरकारी मान्यता प्राप्त डिजिटल टोकन या पहचान पत्र के माध्यम से ली जाए। इस प्रक्रिया के माध्यम से, बच्चों के डेटा का दुरुपयोग रोका जा सकेगा और उन्हें किसी भी अनुचित सामग्री या ऑनलाइन खतरों से बचाया जा सकेगा।
यह कदम बच्चों के गोपनीयता अधिकारों को मजबूती से लागू करेगा और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनके अनुभव को संरक्षित करेगा। हालांकि, 18 फरवरी तक इस मसौदे पर सुझाव मांगे गए हैं, और उसके बाद इसे नोटिफाई किया जाएगा। इस कानून के लागू होने से भारत में डिजिटल सुरक्षा को लेकर बच्चों के लिए एक नया और मजबूत सुरक्षा तंत्र स्थापित होगा।
डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड की स्थापना से सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि डिजिटल डेटा सुरक्षा और नियमों का पालन सही तरीके से हो। यह बोर्ड एक महत्वपूर्ण नियामक निकाय के रूप में कार्य करेगा और इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित होंगे:
1. डेटा उल्लंघनों की जांच: बोर्ड डेटा उल्लंघन के मामलों की जांच करेगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि कंपनियां और प्लेटफॉर्म्स डेटा सुरक्षा के नियमों का पालन करें।
2. उल्लंघन के लिए दंड: जो भी कंपनियां या व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करेंगे, उन पर उचित दंड लागू किया जाएगा, जिससे एक स्पष्ट जिम्मेदारी का माहौल बनेगा।
3. सहमति प्रबंधकों को पंजीकृत करना: बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि सहमति प्रबंधक (जो डेटा संग्रहण और उपयोग की अनुमति प्राप्त करने में मदद करते हैं) पंजीकृत और सही तरीके से काम कर रहे हों।
4. दूरस्थ सुनवाई: यह बोर्ड डिजिटल तरीके से कार्य करेगा, जिससे किसी भी मामले की सुनवाई और समाधान आसानी से और तेजी से हो सके।
सख्त कदमों के माध्यम से सरकार सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल और डेटा दुरुपयोग पर रोक लगाएगी। इससे न केवल डिजिटल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि बच्चों को एक सुरक्षित ऑनलाइन माहौल भी मिलेगा। यह कदम सोशल मीडिया के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देगा और समाज को एक नई दिशा देगा, जिसमें लोग अधिक जिम्मेदारी से और सुरक्षित तरीके से डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर सकेंगे।
यह नियम देश में डेटा सुरक्षा और सोशल मीडिया के सुरक्षित संचालन की दिशा में एक अहम कदम साबित होंगे, और बच्चों के अधिकारों की रक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान करेंगे।