राजस्थान समाचार: राजस्थान में लोकसभा चुनाव के सभी 25 रेसों में वोटिंग के बाद जीत-हार को लेकर गेम कर रही हैं। प्रदेश के 6 प्रमुख ऐसे हैं, जिन पर सचिन पायलट का असर है और इन पिछले दिनों कांग्रेस के पक्ष में आए तो पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का कद बढ़ेगा।
पूर्वी राजस्थान की कुछ सिफारिशों में कांग्रेस की मजबूत स्थिति बताई जा रही है और इनमें से तीन फिल्मों पर सचिन पायलट का सीधा असर है। राजस्थान, टोंक-सवाई माधोपुर, दौसा, जूनून, करौली-धौलपुर, जयपुर ग्रामीण और जोधपुर सीट से सीधे तौर पर सचिन पायलट की साख जुड़ी हुई है।
टोंक-सवाई माधोपुर
इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर हरिश्चंद्र मीना ने चुनाव लड़ा है। पायलट खुद भी टोंक सीट से ही विधायक हैं। ऐसे में टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय सीट पर सचिन पायलट की नौकरी है।
दौसा
बता दें कि दौसा पायलट परिवार की कर्मभूमि आ रही है। सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट और माता रमा पायलट भी दौसा से अल्पसंख्यक रहे हैं। इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मुरारीलाल मीना भी सचिन पायलट के करीबी हैं। चुनाव के बाद लगातार यही चर्चा है कि इस सीट पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत है।
जूनानू
जूनूनोपम सीट से कांग्रेस ने युवा-महिला चेहरे के रूप में संजना जाटव को मैदान में उतारा है। वे विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की पार्टियां शामिल हैं। उन्हें टिकट दिलवाने में सचिन पायलट की अहम भूमिका अहम रही है। अगर इस सीट से कांग्रेस चुनाव जीत जाती है तो सचिन पायलट का कद बढ़ जाएगा।
करौली-धौलपुर
इस सीट पर कांग्रेस से भजनलाल जाटव ने चुनावी लड़ाई लड़ी है। भजनलाल जाटव भी सचिन पायलट के करीबी रहे हैं। इस सीट के परिणाम से भी सचिन पायलट की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है।
जयपुर ग्रामीण
जयपुर ग्रामीण सीट से कांग्रेस ने युवा चेहरे के तौर पर अनिल चोपड़ा को मैदान में उतारा है। अनिल चोपड़ा सचिन पायलट के करीबी हैं। अनिल चोपड़ा के समर्थन में भी सचिन पायलट ने काफी मेहनत की है। इस सीट से बीजेपी और कांग्रेस में आपसी प्रतिस्पर्धा जारी है।
जोधपुर
कांग्रेस ने इस बार करण सिंह उचियारड़ा को मौका दिया है। उनका मुकाबला बीजेपी के हितैषी गजेंद्र सिंह शेखावत से है। सिंह उचियारड़ा भी सचिन पायलट के करीबी शेयर करणे वाले हैं।