राजस्थान: उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2020 में जारी की विज्ञप्ति, पंचायत सचिवालय को दी गई राहत

जोधपुर, 3 अगस्त। पंचायत राज विभाग में रेलवे कर्मचारियों का स्थानान्तरण, केवल पंचायत राज विभाग की संस्थाएँ जैसे पंचायत समिति या जिला परिषद ही कर सकती हैं। चिकित्सा विभाग ऐसे स्टाफ़ों के जिलों से बाहर कार्यशाला, पंचायत राज विभाग की सहमति से ही कर सकते हैं। ये आदेश जज दिनेश रैना की अदालत में सुनवाई के दौरान दिया गया। मृत यशपाल खिलेरी ने रिट भर्ती प्रस्ताव पेश कर बताया कि याचिगन स्टूडियो, नर्स ग्रेड II, कनिष्ठ कलाकार बाकी हिस्सों में रहने वाले और पुराने जमाने के राजस्थानी राज विभाग के अधीनस्थ 2010 के सदस्य जुड़े हुए हैं। विकलांगों के अंतर्गत अधीनस्थ अधिकारिता समिति, जिला परिषद के अंतर्गत दिए गए निर्देश। इसके बावजूद चिकित्सा विभाग ने बिना जैन राज विभाग की सहमति के, अपने स्थानों को जिलों से बाहर कर दिया।

खिलेरी ने बताया कि पूर्व में ऐसे ही ज्वालामुखी के खिलाफ़ विधि का भुगतान किया गया था। इसके बावजूद असक्षम अधिकारियों द्वारा याचियों के स्थानान्तरण आदेश जारी कर दिये गये। पंचायत समिति के प्रशासन एवं स्थापना समिति और जिला परिषद के लिए जिला परिषद ही अक्षम है। राज्य सरकार के सचिवालय के तहत एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जाया जा सकता है और अंतरजिला सचिवालय के लिए पंचायत राज विभाग की सहमति भी नहीं ली गई है।

इसके उत्तर में राज्य सरकार की ओर से यह बताया गया कि 2010 के पूर्व द्वीपों के निर्णयों को तवज्जो नहीं दिया गया, क्योंकि उल्लिखित नियम निर्देशात्मक प्रकृति के हैं, न कि आज्ञापक। ऐसे में स्वायत्त के अंतर्गत पंचायत राज विभाग की आवश्यकता नहीं है। समीक्षा के बाद उच्च न्यायालय ने यह निर्णय लिया कि पंचायत समिति/जिला परिषद के अलावा अन्य जिलों में भी पंचायत राज विभाग की सहमति से पंचायत राज विभाग की सहमति से ही पंचायत समिति/जिला परिषद की स्थापना की जा सकती है। हो सकता है.

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