ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नई दिल्ली/चंडीगढ़, 15 सितंबर
पराली जलाने से निपटने के लिए पंजाब और दिल्ली सरकार ने हाथ मिलाया है।
पंजाब में 5,000 एकड़ जमीन पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पूसा बायो-डीकंपोजर का छिड़काव कर सरकारें खेतों में पुआल का प्रबंधन करेंगी।
एक प्रेस बयान में, पंजाब के कृषि और किसान कल्याण मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के कृषि मंत्री गोपाल रॉय के साथ राजधानी में बैठक हुई।
धालीवाल ने कहा कि पराली पर पूसा बायो डीकंपोजर का छिड़काव किया जाएगा, जिसके बाद यह मिट्टी में मिल जाएगा और किसानों को इसे जलाने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने धान की पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए किसानों को विभिन्न रियायती उपकरण उपलब्ध कराकर तैयारी की है। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में जागरूकता अभियान और निगरानी टीमों का गठन किया गया है।
उन्होंने पराली न जलाने पर किसानों को नकद प्रोत्साहन राशि देने के प्रस्ताव को ठुकराने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कदम को किसान विरोधी और पंजाब विरोधी बताते हुए धालीवाल ने कहा कि राज्य सरकार ने धान उत्पादकों को 2,500 रुपये प्रति एकड़ देने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि केंद्र 1,500 रुपये प्रति एकड़ का भुगतान करेगा जबकि 1,000 रुपये प्रति एकड़ पंजाब द्वारा वहन किया जाएगा। दिल्ली सरकारें।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास और पंचायत, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य विभागों के अधिकारियों द्वारा पंजाब के ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि किसानों को पराली का प्रबंधन करने के लिए राजी किया जा सके।
धालीवाल ने किसानों से प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिए दोनों सरकारों को समर्थन दिखाने का आग्रह किया।
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