मध्यप्रदेश विधानसभा में बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी सहित अन्य दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि अटलजी में बड़प्पन था। वे केवल नेता ही नहीं बल्कि ऐसे समाजसेवक थे, जिनको देश का हर वर्ग प्यार करता था। राजनीतिक क्षेत्र की बड़ी मिसाल थे। जबकि सोमनाथ चटर्जी वास्तव में न पक्ष के थे और न विपक्ष के। वे सभी को डांट देते थे। उनके कार्यकाल में ही संसद में सबसे अधिक काम हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि अटलजी को देश का हर वर्ग प्रेम करता था। जब मैं पर्यावरण मंत्री था और अर्थ समिट से लौटकर सदन में आया तो वे खड़े हो गए और कहा कि मैं कमलनाथ को बधाई देता हूं कि उन्होंने बड़ी मजबूती के साथ भारत का पक्ष रखा। यह उनका बड़प्पन था। वहीं, सोमनाथ चटर्जी ऐसे अध्यक्ष रहे, जो कभी प्यार से तो कभी सख्ती से सदन चलाते थे।
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने पूरा राजनीतिक जीवन बगैर किसी दलगत भेदभाव के व्यतीत किया। जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी उस समय भी और उसके बाद भी उनके मन में यह कटुभाव नहीं आया कि इन्होंने मीसा में बंद किया था। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। सोमनाथ चटर्जी 10 बार एक ही सीट से सांसद बने, यह कोई मामूली बात नहीं है। उन्होंने अपने संसदीय ज्ञान से छाप छोड़ी। वे संस्था की प्रतिष्ठा में विश्वास करते थे। जब सांसदों को अयोग्य ठहराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस दिया तो उसे लेने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि संसद सर्वोच्च है।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अटलजी को याद करते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व में हिमालय की ऊंचाई और सागर की गहराई थी। वे कुशल संगठक थे। जब वे बोलते थे तो ऐसा लगता था कि जैसे कविता झर रही हो। राजनीति से मेरा पहला परिचय उनके भाषण सुनने के बाद ही हुआ। उन्हें सुनने के लिए हर दल और वर्ग के लोग जाते थे। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तो यह कहा था कि यह नौजवान एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बनेगा।
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने दिवंगतों को श्रद्धांजलि देते हुए अपने पिता इंद्रजीत कुमार पटेल को याद किया। उन्होंने कहा कि वे सात बार सीधी से विधायक रहे। जबकि, वहां हमारी जाति के सिर्फ सात हजार मतदाता थे। वे कैंसर से पीड़ित थे लेकिन आखिरी समय तक दिनचर्या नहीं बदली।
सदन ने पत्रकार प्रफुल्ल माहेश्वरी, देवीसिंह पटेल, रामानंद सिंह, दयाल सिंह तुमराची, जुगल किशोर बजाज, स्वामी प्रसाद लोधी, प्रभुनारायण त्रिपाठी , विमल कुमार चौरडिया, आनंद कुमार श्रीवास्तव, राधाकृष्ण भगत और डॉ. कल्पना परुलेकर को भी श्रद्धांजलि दी।
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