पर प्रकाश डाला गया
- चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम-2018 का विरोध चार्ट तैयार किया गया।
- कई उद्यमों में 40 से 50 प्रतिशत कंपनियां दर्ज की गई हैं।
- कई घरों में अनारक्षित श्रेणी में एक भी सीट उपलब्ध नहीं है।
नईदुनिया, जबलपुर(मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय. हाई कोर्ट की बैंच बैंच में एक याचिका दायर कर नीट पीयाज में एन रिस्तोरे कोटे की सीट को चुनौती दी गई है। मामले पर आरंभिक अयोध्या के बाद योग्यता न्यायाधीश संजीव सचदेवा व रिजर्व विनय सराफ की मित्र पीठ ने राज्य शासन से जवाब मांगा है।याचिकाकर्ता भोपाल रेजिडेंट दा. ओजस यादव की ओर से कट्टर आलोक वागरेचा ने पक्ष रखा।
चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियमावली-2018 का चार्ट तैयार किया गया है
रिटेल के डेवलेप ने मेडिकल शिक्षा प्रवेश नियम-2018 के लिए ऑपरेशनल एजुकेशन जारी की ओर से प्रत्येक वर्ग के लिए प्रवेश सीट का चार्ट तैयार किया है।
कई गोदामों में अनारक्षित श्रेणी में एक भी सीट उपलब्ध नहीं है
एन राइट्स कोटे की सूची 15 प्रतिशत के स्थान पर अन्य व्यापारियों में 40 से 50 प्रतिशत के आंकड़े दर्ज किए गए हैं। इस कारण कई दुकानों में अनारक्षित वर्ग में एक भी सीट उपलब्ध नहीं है।
प्रभावित छात्रों से पूछताछ के लिए एक भी समय नहीं दिया गया
बन्धक वागरेचा ने हाई कोर्ट को एविक्शन दिया कि हाई कोर्ट ने उस याचिका में फ़ोरम में निकासी की छूट दी थी। इस मामले में गैगवैथ स्वयं एक प्रभावित छात्र है, जिसके बारे में अटकलें लगाने के लिए भी समय नहीं दिया गया है। हाई कोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
हाई कोर्ट ने अवैध बिल्डर की जांच व व्यापारी की मांग पर नोटिस जारी किया
अन्यत्र मामले में उच्च न्यायालय के वारंट अधिकारी मनिंदर सिंह भट्टी की एकल पीठ ने अवैध अपराधियों की जांच और उत्पाद की मांग के मामले में नोटिस जारी किया है। इसके माध्यम से – राज्य शासन, अनुविभागीय दंडाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों से जवाब मांगा गया है। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। ग्रेटर बैरागी मठ संघ के अध्यक्ष राजकुमार सिन्हा, जनता दल के अध्यक्ष रामरतन यादव, विनोदी अमनदीप सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता अमित पैंडेय और संजय सेन की ओर से सचिवालय में अरविंद केजरीवाल और राजेंद्र गुप्ता ने पक्ष रखा।
अवैध अपराधियों की जगह दो दिन तक जेल में बंद रखा गया
शैतान ने कहा कि जेल में बंद है जेल में बंद इस संस्था को नामांकित से लेकर दो लाख रुपये और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
किसान रैली में ले जाने के लिए जनता से भड़का रहे थे
पुलिस ने इस आरोप में किसानों को गिरफ्तार किया था कि 13 फरवरी को दिल्ली में प्रस्तावित किसान रैली में ले जाकर सार्वजनिक रूप से भड़का रहे थे। इस गतिविधि के बावजूद शांति भंग कर रहे थे। जबकि उनकी ऐसी कोई योजना नहीं थी।
ड्राइवरों को दो दिन जेल में रिक्शा कर दिया गया
विभिन्न अनुविभागीय दंडाधिकारी द्वारा दो दिन तक उनके प्रसंगों की सुनवाई नहीं की गई। उनके द्वारा ज़मानत की गई ज़मानत से नीचे दिए गए ज़मानत और मुचलके के फ़र्ज़ी कागज़ दिए गए। पुलिस, दंडाधिकारी और जिला प्रशासन का कथन केवल अवैध नहीं था बल्कि संविधान के आलोक-21 का खुला उल्लंघन भी था। देखें, जांच कर प्रमाणित अधिकारियों के अलावा अन्य ठोस कार्यवाही की जानी चाहिए। साथ ही वयोवृद्ध राशि भी दिलवाई जानी चाहिए।