पर प्रकाश डाला गया
- जिले में बोर्ड बोर्ड के नतीजे
- वह हर सप्ताह एक स्कूल में 10वीं-12वीं के विद्यार्थियों को पढ़ रहा है।
- डॉक्टर की इस पहल से दूसरे स्कूल में भी शिक्षण में सुधार आना शुरू हो गया है।
अजय जैन, नवदुनिया, विदिशा। एक छात्र ने खुद ही चाक-डस्टर पकड़ लिया है। प्रत्येक सप्ताह एक स्कूल में प्रवेश 10वीं-12वीं के छात्र पढ़ रहे हैं। शुरुआती बोर्ड के दावों के साथ ही यहां के बैंकों की तस्वीरें भी हाल ही में सामने आई हैं, लेकिन इस पहले से विदिशा जिले के दूसरे सिक्कों की तस्वीरें भी पुरानी हैं।
वर्ष 2015 बैक के डिप्टी अधिकारी ख़ाकी कुमार सिंह दिल्ली से पढ़े गए हैं। बेहतर शिक्षा के प्रति उनकी काफी विशिष्टता है। तीन महीने पहले जब उन्होंने विदिशा में कलेक्टर के रूप में कब्जा कर लिया तो उन्हें जिले की शिक्षा व्यवस्था की सोलोमी का पता चला। निरीक्षण के दौरान अधिकांश स्कॉटलैंड में बच्चों का पढ़ाई का स्तर बेहद ख़राब मिला।
डिविजनल अधिकारियों को भी जोड़ा गया
इसी के बाद उन्होंने प्राइमरी और मिडिल स्कूल और हैयर सेकेंडरी स्कूल में बेहतर शिक्षा का स्मारक बनाने की कमान खुद संभाली। अब जब उन्हें समय मिल रहा है तो वे स्कूल में शिक्षक की भूमिका निभा रहे हैं।
इस माह थ्री स्कॉल में ली स्लेवरी
इस महीने वे सीएम राइज स्कूल, एमएफबी स्कूल और हैदरगढ़ हायर सेकेंडरी स्कूल में ली मंजिल हैं। इस प्रारंभिक जिले में अन्य बुद्धिजीवियों को भी जोड़ा जा रहा है, ताकि बच्चों का परीक्षण किया जा सके और बेहतर तैयारी की जा सके।
गणित, विज्ञान और वाणिज्य की पढ़ाई
अपने क्लासरूम में ज्योतिषी रोशन कुमार सिंह गणित, भौतिक विज्ञान और कामर्स की किताबें पढ़ रहे हैं। इसमें उनकी सबसे बड़ी जोर परीक्षा की तैयारी भी शामिल है। फ़ोर्ट्सबी स्कूल में उन्होंने पुराने प्रश्न पत्र हल करना सीखा। उन्होंने यह भी कहा कि पांच साल के प्रश्नपत्रों को लगातार हल करने का अभ्यास किया जाता है।
दूसरे स्कूल में भी दिखा बदलाव
कलेक्टर अभी भी तीन जिलों में स्थित हैं, लेकिन इसका प्रभाव सभी 207 जिलों में दिखता है। एमएफबी स्कूल की कार्यशाला डॉ. दीप्ति शुक्ला का कहना था कि बच्चों के कक्षा लेने के बाद पढ़ाई के प्रति उत्साह जगाया जाता है, वहीं शिक्षक भी अपने विषय की कक्षा में पढ़ाई के प्रति गंभीर रूप से प्रेरित होते हैं। उनका कहना था कि पहली बार इंजीनियर के रूप में ग्रिड को भी देखा जा रहा है। ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में भी स्कूल संचालन की व्यवस्था में सुधार देखने को मिल रहा है। अब इंस्टीट्यूट के बीच इस बात की चिंता बनी हुई है कि कभी-कभी डॉक्टर भी अपने स्कूल जा सकते हैं, इसलिए वे बच्चों की उपस्थिति पर भी ध्यान देते हैं।
नवीनतम पर कार्रवाई भी तेज
इस नई शुरुआत के बाद प्रिंसिपल और मिडिल स्कूल में भी अधिकारियों की सक्रियता बढ़ गई। बीआरसीई से लेकर एपीसी और डीपीसी तक को स्कूल के निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। पिछले तीन माह के दौरान सिलिकॉन में समय पर न पहुंचने वाले 225 प्लांट को लेकर नोटिस भी जारी किया गया है। अब नई व्यवस्था के तहत संस्था के हाजरी रजिस्टर पर प्रतिदिन वाट्सएप की तैयारी की जा रही है।
सरकारी अभिलेखों में पढ़ने वाले बच्चे कुशाग्र हैं, लेकिन वे परीक्षण के तौर-तरीकों से डर जाते हैं। मेरा उद्देश्य है कि बच्चों के मन से परीक्षा का डर निकलें। उन्हें आसान भाषा में विषय पढ़ें। इसकी शुरुआत खुद से ही होती है। इसमें समाज के बुद्धिजीवियों को भी जोड़ा जाएगा। इस वर्ष हाई स्कूल और हैयर सेकेंड्री स्कॉल्स के परीक्षा परिणाम में दस प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है।
-अफीक कुमार सिंह, डॉक्टर, विदिशा।
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