पर प्रकाश डाला गया
- वन मंत्री रामनिवास रावत को मिली हार
- परिणाम में युवा वर्ग की भूमिका
- जातिवाद की लड़ाई में भी भाजपा हारी
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल (विजयपुर विधानसभा बाय पोल रिजल्ट)। मध्य प्रदेश में दो रिजॉर्ट पर रिजॉल्यूशन के नतीजे ठीक हैं लेकिन दोनों की दलीय स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है, विजयपुर (Vijaypur) सीट पर हार ने वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत के राजनीतिक भविष्य पर रीयलटाइम रिजॉल्यूशन दिया है। उन्हें महीने के अंदर मंत्री पद पर रखा जा सकता है।
जातिगत अनुपात में बंटे विजयपुर सीट के समग्र में जनेऊ ने कांग्रेस का साथ दिया। यहां का चुनाव जेडीयू बनाम जेडीयू में बदल दिया गया था।
(संगठन जनहितैषी मुकेश अंबानी और भाजपा के रामनिवास रावत)
बीजेपी ने की थी पूरी ताकत, मिले ये सबक
- बीजेपी ने इस सीट पर पूरी ताकत लगा दी थी। यह सीट पर हार प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए भी एक गुलाम की तरह है। कांग्रेस के विधायक रामनिवास रावत दिलवाकर के इस्तीफे से मंत्री बने फैसले को जनता ने समर्थन नहीं दिया।
- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर समेत बीजेपी के तमाम दिग्गजों ने खूब प्रचार किया, लेकिन केंद्रीय मंत्री रिलिथ ने इस चुनाव में खुद को दूर कर लिया.
- कांग्रेस की ओर से यहां मोर्चा के पूर्व मुख्यमंत्री अशौध सिंह, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष गंगवार सिंहार ने पदभार संभाला तो पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह की भूमिका भी अहम रही। वह मंडल के प्रभारी भी थे।
कांग्रेस ने अपनीईभाजपा की रणनीति बनाई
विजयपुर से भाजपा समिति रामनिवास रावत कांग्रेस समाप्त हो गई थी, लेकिन इस क्षेत्र का मूल चरित्र भी कांग्रेस से ही स्थापित हो रहा है। रामनिवास ने यहां से छह बार कांग्रेस के टिकट पर ही चुना। वह चतुर्थ श्रेणी में शामिल हैं, इसलिए सबसे पहले चुनाव में भाजपा यहां पर युवा वर्ग से मुलाकात कर रही है। बीजेपी के सीताराम एक बार इस सीट पर चुनाव भी जीत चुके हैं।
इस बार कांग्रेस ने भाजपा की रणनीति अपना ली। कांग्रेस ने जदयू नेता मुकेश अंबानी के स्टेक पर दांव लगाया। पिछले चुनाव में मुकेश अंबानी तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार कांग्रेस ने चुनाव में जदयू बनाम ओबामा का रंग दे दिया।
यहां भी पिछड़ा वर्ग सहरिया वर्ग का वर्चस्व है। इस क्षेत्र में 60 हजार जनजातीय आदिवासी हैं। जिस तरफ ये कलाकार एक ही करवट लेते हैं, उसका पक्ष सामने आता है। इस बार भी भाजपा ने कई जतन किए, लेकिन कोई काम नहीं आया।
पहले सहरिया और भारिया महिलाओं को पोषण मूल्य के रूप में एक हजार रुपये दिए जा रहे थे और अब उन्हें लाडली बहना की राशि से अलग दिया जा रहा है।
कांग्रेस नेता एकजुटता के साथ सामने आए
इधर, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पराजय झेल लड़की कांग्रेस की स्थापना से ही विजयपुर जिले को संजीवनी प्रयास चल रही थी। कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी कांग्रेस के साथ रोड शो किया।
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