Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

पिता ने बेटे को दिया गर्म तेल में हाथ समोसे तलने का शौक, दूर-दूर से देखने आते हैं लोग

बड़ा फुहारा घमंडी चौक पर देवा मंगोड़ा की दुकान में खुली कढ़ाही में हाथ डाले अतुल जैन नीकू: नईदुनिया।

पर प्रकाश डाला गया

  1. गर्म तेल में हाथ, भूख और स्वाद तीसरा ही लाजवाब।
  2. पीढियों से चला आ रहा हंगाम, पिता ने बेटों को दी सलाह।
  3. 1918 में इस प्रतिष्ठा का शुभारंभ हुआ।

अतुल शुक्ला, नईदुनिया, जबलपुर(जबलपुर समाचार. शहर के संबद्ध व्यावसायिक क्षेत्र बड़ाहारा में एक प्रतिष्ठा भी ऐसी ही है, जहां आश्चर्यजनक रूप से सत्य की आपूर्ति पर प्रतिदिन खौलते तेल की कड़ी में हैंडबैग हर्टवार्म मंगौड़े निकलते हैं। इस प्रतिष्ठान का नाम है-देवा मंगौड़े वाले।

naidunia_image

1918 में इस प्रतिष्ठा का शुभारंभ हुआ

आज से करीब 106 वर्ष पूर्व वर्ष 1918 में जापानी रेजिडेंट मूलचंद जैन के पुत्र कंछेदीलाल जैन ने इस प्रतिष्ठा की शुरुआत की थी। इसके बाद इसके कमांडर लेबल कुमार जैन नी देवा के हाथों में हाथ मिलाया गया, जिसमें उनके गुरुबाबा प्यारेलाल दादा का विशेष रूप से मिलाप हुआ।

naidunia_image

परिभाषा से लेकर कला और आम लोगों के बीच शिल्प किया गया

इसके बाद वे नारियल तेल में हैंड स्टैंटिन मंगौडे ड्राय में माहू हो गए। देखते ही देखते उनका यह हंगाम शहर के ऐतिहासिक से लेकर कलाकार और आम लोगों के बीच गायब हो गया।

naidunia_image

पीढियों से चला आ रहा हंगाम, पिता ने बेटे को दी सलाह

  • देवा ने अपने बेटे अतुल जैन नीकू को यह गंगा दी, जिस पर उनके और उनके गुरु की विशेष कृपा रही।
  • प्रतिष्ठान ने शताब्दी वर्ष 2018 मनाया, दो साल पहले ही अंकू के पिता देवा मंगौड़ा वाले का निधन हो गया था।
  • पिता ने इस दुनिया को कहा दिया, हां, लेकिन उन्होंने अपना भूखा पुत्र अतुल जैन को तेरह दिया।
  • आज भी इस दुकान में हर दिन लोगों की भीड़ लगी रहती है, कई लोग अंकू का खतरा देखने आते हैं।
  • जाबांज के नए और पुराने देवा मंगौड़ा के प्रेमियों की भीड़, अंकू को भी वही प्यार मिलता था, जो पिता को मिलता था।
  • देवा की ओर से अंकू के हाथों से निकाली गई मंगौड़े की दुकान इसकी शोभा बढ़ाती है।

naidunia_image

naidunia_image

पूजा के बाद पटाखे में हाथ डाले जाते हैं

तेल में हाथ डाले से पहले करते हैं मंजूरी से पूजन- ऐसा नहीं है कि इस गंगा को आजमाने के लिए कोई विधि-विधान न हो, बल्कि पिता ने अपने गंगा को साथ-साथ पूजन विधि के बारे में भी बताया। अंकू हर दिन, गर्म तेल विधि में हाथ से पूर्व-विधि से पूजन-अर्चन करते हैं।

naidunia_image

दुकान और आसपास का वातावरण सुगंध से भर जाता है

पिता देवा की ही टोली अपने दादा को गुलाब की आकर्षक माला पहनाती है और फिर धूप-बत्ती की जाती है। इस दौरान दुकान और आसपास का वातावरण सुगंध से भरा रहता है। इसके बाद गर्म ब्रेडही में तेल डाला जाता है। इसके बाद उसे पूरी तरह से सिलिकॉन समय दिया जाता है।

naidunia_image

आलूबांदा, साबूदाना बड़ा, भाजीबड़ा और भजिया भी तलकर खिलाते हैं

जब तेल खाना लगता है, तब अंकू अपने हाथों से मंगीदे की दाल छोड़ देता है। इसके बाद अंकू मंत्रोच्चारण करते हुए तेल के बीच में हाथ से बने मंगौड़े को बाहर निकाल दिया जाता है। समय के साथ वह मंगौड़े के साथ-साथ समोसा, आलूबांदा, साबूदाना बड़ा, भाजीबड़ा और भजिया भी तलकर खिलाते हैं।

naidunia_image

सिलो-धे से खुद पीसते हैं मंगौड़े की दाल

अतुल जैन देवा, मूंग दाल को मिक्सी च स्टिक में पीसने की खातिर खुद सिल और लोढे में पीसते हैं। इससे पहले वे छह घंटे तक मिट्टी वाली मूंग को पानी में डुबो कर रहते थे।

naidunia_image

खुद ब खुद जंयती से कायनात है क्या स्वाद है

परिवार के सदस्य भीगी मोंग को पीसकर पसंद से मिली सीख के मसाले के मसाले का मिश्रण बनाते हैं। इसमें मसाले वाला जाने वाला अदरक और काली मिर्च सब मिलाजुला होता है और फिर तैयारी के मिश्रण को गर्म तेल में गुटके मंगौड़े बनाकर जाते हैं, जो जाबानिया बड़े चाव से खाते हैं और फिर खुद ब खुद जंबा से दोस्ती है क्या स्वाद है।