Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

रावण की प्रति चरम पर आस्था,राष्ट्र में करता है लंकेश का पूजन अब भी बनवाएगा मंदिर

12 10 2024 jabalpur12a
संतोष नामदेव (लंकेश) ने बताया कि 1975 से रावण के मंत्री का पात्र लेकर आ रहे हैं।

पर प्रकाश डाला गया

  1. संतोष नामदेव ने लिया है रावण भक्त, नाम भी रख लंकेश।
  2. फ़ेमस में रावण के मंत्री के पात्र में हुई जागी भक्ति।
  3. रामचन्द्र पूजन के दौरान रावण के प्रति आस्था जागृत हुई।

नईदुनिया,जबलपुर (Jabalpur News)। जहाँ सम्पूर्ण देश माँ शक्ति की आराधना में डूबा हुआ है। विजयादशवें पर रावण के पुतले का दहन देखने के इच्छुक हैं। जबलपुर से 35 किमी दूर पाटन में रहने वाले संतोष नामदेव ने बताया कि 1975 से लेकर 1975 तक जापान में रावण के मंत्री का पात्र बनते आ रहे हैं।

…उसी दिन से रावण की आराधना शुरू कर दी

राम राम पूजन के दौरान रावण की प्रति आस्था जागृत हुई और फिर उसी दिन से रावण की आराधना शुरू हो गई। कहा जाता है कि आस्था जब चरम पर पहुंच जाए तो वह पत्थर ही क्यों न हो, वह मानव के लिए पूजनीय हो जाता है। यही संतोष के साथ भी हुआ।

पाटण बस स्टैण्ड चौक पर रावण की मूर्ति स्थापित

रावण के प्रति उनकी आस्था इस कदर है कि वे राष्ट्र में पाटन बस स्टैंड चौक पर रावण की मूर्ति स्थापित कर हुंकि डेको लेटे अपना नाम भी संतोष से बदल कर लंकेश रख लिया। यह 12 वें वर्ष है जब रावण की मूर्ति की स्थापना हुई थी।

दशहरे के दिन शोक मनाकर विसर्जन किया जाता है

लंकेश ने बताया कि वह नवरात्रि की पंचमी पर दशानन की मूर्ति स्थापित करते हैं और दशहरे के दिन शोक मनाते हुए उनका विसर्जन कर देते हैं। उनका कहना है कि रावण की पूजा करने से उन्हें किसी के विरोध का डर नहीं है।

बच्चों के नाम भी मेघनाद और अक्षय

संतोषदेव नामदेव से टेलर हैं और एक जनरल स्टोर भी हैं, जिनका नाम भी लंकेश के नाम पर रखा गया है। उनकी पत्नी और तीन बेटे भी हैं।

पुत्रों का नाम भी मेघनाद और अक्षय रखा गया है

रावण के प्रेम में उन्होंने अपने दोनों पुत्रों का नाम भी मेघनाद और अक्षय रखा है। किसी शुभ कार्य के उपदेश पत्र में लोग श्री गणेश या अन्य देवताओं के चित्र छपवाते हैं।

रावण का मंदिर वसीयत भूमि

संतोष नीयन लंकेश सुबह सबसे पहले रावण की पूजा करते हैं। इसके लिए उन्होंने रावण की मूर्ति भी बनाई है।

अनू थे आयोजन में बुन्देलखण्ड का देशी राई नृत्य भी

नवरात्र में रावण की प्रतिमा स्थापित करने वाले अनूठे समारोह में बुन्देलखण्ड का देशी राई नृत्य भी आयोजित होता है। इसके अलावा मृदंग, नागाड़िया, बांसुरी, ढोल की आतिशबाजी जुगलबंदी भी होती है।

मंदिर के लिए उन्होंने जमीन भी खरीद ली है

रावण की भक्ति का जुनून लंकेश सिलने वाले इस कादर पर छाया है कि वह उसका मंदिर भी बनवाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने जमीन भी खरीद ली है।