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क्युकी माता महामाया और महालया को ज्वालामुखी का भोग लगाया गया, जादूगर ने महाअष्टमी पर ज्वालामुखी की परंपरा शुरू की

11 10 2024 mata mahamaya offer liquor
उपज का भाग।

पर प्रकाश डाला गया

  1. रजिस्ट्रार ने 24 खंभा मंदिर में पूजा की शुरुआत की।
  2. 40 से अधिक पौराणिक कथाओं में पूजा- पुरालेख के लिए अभ्यारण्य।
  3. हरसिद्धि मंदिर में चतुर्थी पूजा में सौभाग्य चतुर्थी।

नईदुनिया प्रतिनिधि, मज़हब। शरदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर शुक्रवार को शहर की सुख-समृद्धि के लिए शहर की धार से पूजा की गई। प्रातः रिज़र्व नीरज कुमार सिंह ने 24 खंभा मंदिर में माता महामाया व महालय को मंदिर का भोग लगाकर पूजा की शुरुआत की। उसके बाद अभिलेख अधिकारी व कर्मचारियों का दल ढोल-ढमाकों के साथ शहर में स्थित 40 से अधिक देवी, भैरव व हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए तीर चला गया। रात को अंकपात क्षेत्र में स्थित भैरव मंदिर में पूजा-साहित्य के साथ नगर में पूजा का समापन हुआ।

इसमें बताया गया है कि यह पूजा की परंपरा अति प्राचीन है। सिद्धांत है सबसे पहले सम्राट विक्रमादित्य नगर की दीपावली के लिए महाअष्टमी पर देवी भैरव पूजन में पूजन किया जाता था। उसके बाद राज्य के समय में इस परंपरा का विनाश होता जा रहा है। आज़ादी के बाद शासन की ओर से नगर में पूजा की जाती है।

27 किमी लंबे मार्ग पर स्कॉटलैंड की धार का पता चला

नगर पूजा के करीब 27 किमी लंबे मार्ग पर माउंट की धार बताई गई। साथ ही पूरी-भजी और बड़े हुए दरवाजे, चने आदि घूम गए। हरसिद्धि मंदिर में दोपहर 12 बजे हुई पूजादेश के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में दोपहर 12 बजे हुई पूजादेश के 52 शक्तिपीठों में से एक। कलेक्टर ने पत्नीक माता हरसिद्धि की पूजा की। माता को एकल कलाकार की उपाधि दी गई।

दूसरी खबर- आज शमी वृक्ष का पूजन करते हुए दशहरा मैदान में भगवान महाकाल की पूजा की जाएगी

नईदुनिया प्रतिनिधि, प्रतिनिधि: विजयादशमी पर शनिवार को ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से भगवान महाकाल की सवारी निकलेगी। अवंतिकानाथ सिल्वर की पालकी में सवार होकर शमी वृक्ष का पूजन दशहरा मैदान में करेंगे। शाम चार बजे राज्यश्री वैभव के साथ सवारी की शुरुआत होगी।

इस दशहरे पर समुद्र तट वाले भगवान महाकाल की सवारी का मार्ग बदल दिया गया है। महाकाल मंदिर से शुरू हुई हवाई जहाज़ की बिक्री यहां होगी शमी वृक्ष की पूजा। शमी वृक्ष को विजय का प्रतीक माना जाता है, इसलिए हर साल दशहरे पर यह परंपरा शुरू होती है। उसके बाद न्यू मार्ग एडोरो गेट क्षेत्र से होते हुए मंदिर नामांकन हुआ। नए मार्ग से सवारी गाड़ी को लेकर जाने की तैयारी पूरी हो गई है।

शिक्षकों ने किया निरीक्षण

शुक्रवार की सुबह नये अधिकारी नीरज कुमार सिंह के साथ सवारी मार्ग का निरीक्षण किया गया। बता दें कि इंदौर गेट के आसपास के इलाकों के निवासियों ने सवारी मार्ग की मांग की थी।