पर प्रकाश डाला गया
- उजियारो बाई ने जल संरक्षण पर साझा विचार रखा
- उजियारो ने पेड़ को उखाड़ फेंका, महँगे पर जोर दिया
- गाँव में जल संकट से निकली थी अंतिम संस्कार
नईदुनिया प्रतिनिधि, डिंडौरी : देश की राजधानी दिल्ली के मंडप भवन में 17 से 20 सितंबर तक डुंडौरी जिले में आयोजित विशाल भारत जल सप्ताह के कार्यक्रम में युवा महिला उजियारो बाई ने अपने विचार साझा किये। भारत जल सप्ताह के दौरान आयोजित कार्यक्रम में महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के समरूप डिंडौरी जिले के ग्राम पोंडी निवासी उजियारो बाई ने गांव में जल संरक्षण, बचाव और उसके उपयोग पर अपने संघर्ष से सफलता तक की कहानी बताई।
उजियारो बाई ने बताया कि पोंडी ग्राम में लगातार पेड़ काटे जाने और पथरीली जमीन होने के कारण वर्षा का जल संग्रहण नहीं हो पाता था। लोगों को पीने के पानी के झरनों और सुपरमार्केट में पानी के स्रोतों पर प्रतिबंध की आवश्यकता थी। जलजनित बंगाल के गांवों से प्रति वर्ष जिसमें लोगों की मृत्यु हो गई थी।
उन्होंने पानी की इस समस्या को देखते हुए फ्लोटिंग और जल, जंगल, जमीन की लड़ाई लड़की को देखा। उजियारों बाई ने गांव में कई बार चौपाल लगाकर लोगों को घर-घर में जल, जंगल की बदहाली और वर्षा का जल संग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। छोटे.छोटे जरूरी नियम बनाये गये। जानवरों की कटाई रोकी गई और महँगा किया गया।
उजियारों बाई ने दिया पेड़ बचाव का संदेश
उजियारो बाई ने बताया कि इस कड़ी मेहनत और लग्न प्रयास से अब पोंड़ी ग्राम के पुराने झरने रिचार्ज हो गए हैं। गांव के जल स्त्रोतों में बढ़ोतरी हुई है। परिणाम स्वरूप अब गांव के लोगों को हर घर में शुद्ध शुद्धता प्राप्त होती है। उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि पेड़ है तो पानी है, पानी है तो जिंदगानी है। उजियारो बाई के प्रयास आज अध्ययन और शोध का विषय है, जिसे दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों द्वारा समझाया और समझा जा रहा है।
कलेक्टर हर्ष सिंह ने बताया कि उजियारो बाई ने केवल जल संरक्षण, कृषि क्षेत्र में उन्नत कार्य करके डिंडौरी जिले का नाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। भारत जल सप्ताह की अवधारणा जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा रखी गई है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक संस्थाओं से उचित समाधानों को बढ़ावा देना, बढ़ती जलसंकट, प्रदूषण और स्थिर जल आपूर्ति के कुशल उपयोग को सामने लाना है।
इसका लक्ष्य जन जागरूकता पैदा करना, उपलब्ध जल संरक्षण, संरक्षण और उसके उत्कृष्ट उपयोग के लिए प्रमुख सहयोगियों को लागू करने के लिए समर्थन प्राप्त करना है। पहली बार भारतीय जल सप्ताह का आयोजन वर्ष 2012 में हुआ था।
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