(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
बड़ा खेल है..नींद से जागे साहब…
चुनाव आयोग हो या प्रशासन…नेताओं की कारिस्तानी दोनों को माता दे रही है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पहले चरण की कम्युनिस्ट सीट का गणित अंतिम चरण की यात्रा पर जा रहा है। असल, पहले फेसबुक की एक सेक्सुअल सीट जो मां किनारा और युवा बाहुल्य थी, वहां के युवाओं के वोटरों के लिए स्मिट एंड लिकर सीट पर काम किया। सैकड़ों नहीं हजारों की संख्या में जीवित पशु मित्र गांव में सामूहिक रूप से दिए गए हैं। आइडिया ही कांड अब मालवा और निमाड़ की दो फिल्में चल रही हैं। वैसे यहां जंगली लोकगीत नहीं बल्कि कड़कनाथ की गूंज है।
एमपी के बड़े साझीदार टाइप के अधिकारी
सीज़न तो फिर युनियन कहे कि मोसेट की बेरा। ऐसे में नेताओं के चहेतों के कट्टरपंथियों को भी राजनीतिक जिम्मेदारी के पीछे मिल ही मिलता है। साफ तौर पर एमपी ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर के तीन बहुत बड़े कैड के संयोजन के लिए दो अकादमियों और पांच मंडलों के सदस्यों ने निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में जिम्मेदारी संभाली। दोनों रिलायंस ऑफिशियल मिनिस्ट्री, दो सीनियर रिलेटिव्स तो बाकी तीन में कमान संभाले हुए हैं। वैराइटी टैलेंटेड मिज़ाज का होना कोई बड़ी बात नहीं। लेकिन, नेताओं ने चुनाव में बड़े स्तर पर ट्रैक्टरों की भूमिका अदा की। पेटियन्स की पेटियन्स उठाव से लेकर सीमा क्षेत्र तक नामांकन में गजब की भूमिका। वर्चुअल पर्यवेक्षक आयोग के पास की जानकारी तो हैं। वैसे सब सब ठीक है…
पॉवर गिलशिप: आचार संहिता क्या है सिर्फ आम लोगों के लिए…जो जिम्मेदार सिर्फ अपना ही काम…बीजेपी से ज्यादा खुद को चमकाने की चिंता…दम मारो दम, वोट दे गए हम…और..मंत्री जी हो गए नाराज
वकीश चाल, हसीं बालाएं और कहानी…
मध्य प्रदेश में इस बार अलग-अलग स्टॉक कोड नीचे दिए गए हैं। हर तरीके से नेताओं ने जोरइस की सजावट की। लेकिन, कुछ राज ऐसे हैं जो स्टार्स के पीछे नहीं बल्कि ऑफिस के कमरे में स्थित हैं। मामला भले ही दो रोमांस से हो पर शहर तो एक है। रंगीन रातों का तेज़ गवाह शहर। इस शहर की एक मस्जिद होटल में मराठा मठ के बड़े रिवर्स के करीब 10 दिन पहले शराब और शबाब की इबारत रची गई। गुलजार रात कहे या इंटरव्यू चाल। चाल में चरित्र चित्रित हुआ। आभास कदम भी उलटफेर को मजबूर किया गया। विशेष रामायण का विभीषण का राज तिलक 04 जून के बाद होने वाला है।
इधर-उधर, इधर-उधर अकाल-आयत
चाय से ज्यादा केटली गर्म हो ही जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ एक संपत्ति ब्रोकर के साथ। भोपाल से बाहर एक जिले में पोस्टेड अधिकारी ने की भव्यता को जारी अब गैजेट जो किराए पर, बिना एग्रीमेंट के 50000 रुपये की संपत्ति के अंतिम भाग में। संपत्ति के मालिक भी वैज्ञानिक निकले। टिकट में पैसे मिलते ही अमीरजादे ने एग्रीमेंट बनाने का दस्तावेज़ बना दिया। ये बात है वैभवशाली को नागवारा ग़री और उन्होंने वैभवशाली अमीरों को ये कहते चमकाने का प्रयास किया कि साहब ऐसे आईएएस नहीं हैं। वैभव स्वामी भी पहुंच वाला था, तो पलक झपकते ही साहब की कुंडली वैभव स्वामी को बता दी, याचिका भी कर दी। फिर क्या था साहब ने भी स्वामी स्वामी को यह कहकर लताड़ लगा दी कि सभी नियमावली से ही करवा दो, स्वामी स्वामी भी हाई प्रोफाइल हैं, कहीं भी उलझा देंगे। अब ब्रोकर प्रॉपर्टी मालिक से ऐसी बातचीत हो रही है, जैसे एक प्रॉपर्टी ब्रोकर को करना चाहिए।
पावर गॉशिप: टॉप लीडर्स से नहीं हुई बात, रुक गए विधायक जी…चुनावी खर्च पर चार्जेज कमिश्नर, शंघाई के एक तीर से दो ताकत…कार्यक्रमों में जाने से हो रहा है सम्मान कम…जीत से ज्यादा लीड की चिंता…मतदान के आंकड़े को लेकर चर्चा जोरों पर…फांड ने किया किरकिरी, उत्साह ने खींचा हाथ…
बिल थमा है तो थमा कैसे
मामला साजो-सामान विभाग का एक उपकरण है। साहब का निवास जिस इलाके में है उसी का है, उनका निवास भी इलाके में ही है। अब साहब आए दिन परिवार, दोस्तों के साथ परिवार को लेकर पब कम रेस्तरां में पहुंच जाते हैं। साथ में पूरे परिवार से कोई भी शराब पीना तो नहीं छोड़ता लेकिन खाने-पीने में किसी भी तरह का कोई कसर नहीं छोड़ा जाता। साहब मंडली के साथ आते हैं, खरीदते हैं और बिना बिल दिए चले जाते हैं। दो-चार बार तो ऐसा हुआ लेकिन अब ये बात हफ्ता 15 दिन में हो गई है. इस बात को लेकर पब कम रेस्टोरेंट वाले नाराज तो हैं, लेकिन कुछ नहीं पता, उन्हें पता है कि साहब नाराज हो गए तो पब चलाना मुश्किल हो सकता है।
फ़्लोरिडा को थमा दी नकली माँ की अंगूठी
नेता तो नेता, लेकिन वैलेंट ने भी झील को चुनने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। भोपाल लोकसभा चुनाव में 7 मई को तीसरे चरण का मतदान हुआ। प्रशासन ने वोट प्रतिशत बढ़ाने की कई कोशिशें कीं। फ़्लोरिडा को एक लकी ड्रा में डायमंड रिंग का ऑफर दिया गया। जिला प्रशासन और व्यापारी संघ ने मिलकर लकी वोटर्स को डायमंड रिंग पर कब्जा करने का निर्णय लिया था। शाम को लकी ड्रा में 4 लोगों को हीरे की अंगूठी दी गई। डायमंड रिंग एक बैरागढ़ ज्वैलर्स के बॉक्स में थी। विनर्स ने जब रिंग की जांच की तो ये अंगूठियां नकली निकलीं। मामला जिला अधिकारी अधिकारी तक पहुंचा तो प्रशासन में गड़बड़ी आई और फॉल रिंग्स वापस लेकर रेजोल्यूशन को असली स्टॉक्स की रेजोल्यूशन दी गई।
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