कर्ण मिश्रा, विपक्ष। सूफियाना, भक्ति संगीत की सुविख्यात गायिका बॉलीवुड गायिका ऋचा शर्मा ने अपनी जब जादुई आवाज में सूफियाना कलाम और गीत सुनाए तो श्रोता झूमने को मजबूर हो गए। उनकी गायकी के सूफियाना अंदाज़ में संगीत रसिकों से खूब तालियाँ बजवाई और सुर सम्राट तानसेन की देहरी को मिले-मीठे और मनमोहक रूहानी संगीत से निहाल कर दिया। अवसर था तानसेन समारोह की पूर्व संध्या पर पूर्वरंग “गमक” के तहत इंटक मैदान हजीरा पर सजी संगीत सभा का।
सुफियाना अंदाज में मुंबई से गमक में मार्शल्स ने ऋचा शर्मा के जन्मदिन पर ही नहीं बल्कि मिर्जा में भी नजर आ रही थीं। पंजाबी फोक सॉन्ग “सोनी आबे माही आबे…” को तेज हुए रिदम में गुनगुनाते ऋचा शर्मा गम के मंच पर आई। इसके बाद उन्होंने सूफिज्म से वाबस्ता का अपना प्रसिद्ध गीत “सजदा तेरा सजदा दिन रैन करौं..” गाकर रसिकों में जोश भर दिया। इसी कड़ी में उन्होंने जब विरह गीत ”जिंदगी में कोई कभी न आए न रब्बा..” लिखा तो पूरा परिसर प्रेममय हो गया।
अपनी गायिका को आगे बढ़ाते हुए ऋचा शर्मा ने “माही रे माही रे…” गाया। इसके बाद लोकधुन में पिरोकर “मोरे सान्या तो हैं परदेश में का आगमन सावन में..” लोकगीत का गायन कर मोहिनी को रूहानी बना दिया। फिल्म पद्मावत में उनकी मशहूर ठुमरी देखी गई जब ऋचा शर्मा ने गमक के मंच पर प्रस्तुति दी तो पूरी स्टूडेंट गायिका सेराबोर हो गईं। ठुमरी के बोल थे “होरी ऐ रे पिया तेरे देश रे…”। जैसे रात को आगे चढ़ती हुई थी वैसे ही ऋचा शर्मा की गायिका का सुरूर भी रसिकों के सिर चढ़कर बोल रहा था। अपनी गायकी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अमीर खुशरो का प्रसिद्ध कलाम ” छाप तिलक सब छीनी रे मो से नैना मिलाय के…” सुनाकर समा बांध दिया। अमीर खुसरो के इस कलाम के जादूगरों में संगीत की नगरी के रसिकों की संगत गजब की रही।
रसिकों पर संगीत का खुमार चढ़ा तो ऋचा फिर से ठेठ पुरविया संगीत की ओर लौटीं और “रंग सारी गुलाबी चुनरिया…” लोकगीत सुनाकर दोस्तों ने लोक गायकी की प्रेमी युगल दी। इसी क्रम में उन्होंने फिल्म का सुप्रसिद्ध गीत “बाग के हर फूल को समझे बागवा..” ठीक है तो रसिक गमगीन हो गए। सूफियाना और प्रेम-विराग संगीत की यह रंगीन शाम के अवशेष के संगीत रसिक जन, सुदूर समय तक नहीं पाएँगे।
इस कार्यक्रम के दौरान सामुद्रिक नारायण शेजवलकर, कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश चंदेल और निदेशक उस्ताद अलाउद्दीन संगीत खां कला अकादमी के निदेशक मयंक माधव भिसे सहित अन्य कलाकारों ने दीप प्रज्वलन कर गमक की सभा का शुभारंभ किया। ऋचा शर्मा ने बताया कि कोटा के मंच यानी तानसेन की नगरी में उन्हें वो पल याद आ गया, जब उन्हें पहली बार माता-पिता के कार्यक्रम में 11 रुपये मिले थे। जिसे वो आज तक सॅपोर्ट के रखा गया है। ऋचा ने इस समारोह में खुद को गौरवान्वित बताया।
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