मध्य प्रदेश में विधानभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक रूप से उमा भारती की उपेक्षा संभव नहींं है। उमा भारती का प्रदेश के पिछड़े वर्ग में जबरदस्त प्रभाव है। भीम आर्मी और पिछड़ा वर्ग महासभा जिस तरह से एकत्र होकर राजनीति कर रहे हैं उसको देखते हुए संघ का नेतृत्व और भाजपा आलाकमान उमा भारती की उपेक्षा करने की सलाह प्रदेश इकाई को नहीं दे सकता। प्रदेश में ६५ ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां लोधी समाज के मतदाता प्रभावी संख्या में हैं। लोधी समाज का १३ लोकसभा सीटों पर सीधा प्रभाव है। ऐसे में उमा भारती को नाराज कर पार्टी चुनाव अभियान को प्रभावी ढंग से नहीं चला सकती। उमा भारती ने लगातार यह संकेत दिए हैं कि वे अपनी उपेक्षा को अधिक समय बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने अनेक सभाओं में लोधी समाज से कहा कि उनको देखकर भाजपा को मतदान करना जरूरी नहीं है। लोधी समाज अपने विवेक से किसी भी पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए स्वतंत्र हैं। कल्याण सिंह के बाद लोधी समाज में सबसे अधिक प्रभाव उमा भारती का ही माना जाता है। मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में भी लोधी समाज पर्याप्त संख्या में रहता है। ऐसे में पार्टी उमा भारती की नाराजगी को झेल नहीं सकती। सूत्रों का कहना है कि २०२४ के लोकसभा चुनाव में उमा भारती को पार्टी खजुराहो से चुनाव में उतार सकती है। भाजपा में वापसी के बाद पार्टी ने उमा भारती को मध्यप्रदेश में सक्रिय नहीं होने की सलाह दी थी। २०१२ में पार्टी ने उमा भारती को उत्तर प्रदेश की विधानसभा का चुनाव लड़ाया था। २०१४ में झांसी से लोकसभा चुनाव लड़ाकर केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। बाद में उनका विभाग बदला गया। इससे वे नाराज हो गई। २०१९ में उन्होंने चुनावी राजनीति से दूर रहने की घोषणा की। इस कारण से उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया लेकिन पिछले तीन वर्षों ससे उन्होंने लगातार यह कहा है कि वे चुनावी राजनीति में लौट रही है। उमा भारती की लंबे समय से मंशा है कि उन्हें मध्य प्रदेश की राजनीति मेंसक्रिय किया जाए, इसलिए लोकसभा का चुनाव मध्यप्रदेश से लड़ाया जाए। सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी उमा भारतती की मांग मान सकती है। उन्हें खजुराहो से चुनाव में उतारा जा सकता है। खजुराहो के मौजूद सांसद वीडी शर्मा को भोपाल या विदिशा में शिफ्�किया जा सकता है। जो भी हो फायर ब्रांड हिंदुत्व की छवि रखने वाली उमा भारती की उपेक्षा करना प्रदेश भाजपा के लिए संभव नहीं है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री लगातार उनके संपर्क में रहतते हैं। अहाते बंद करने का निर्णय भी उमा भारती की नाराजगी को ददूर करने के रूप में लिया जा रहा है।
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