किसी भी प्रदेश में उद्योगों की स्थापना के लिये आधारभूत अवसंरचना महत्वपूर्ण है। मध्यप्रदेश में आधारभूत अवसंरचना को सुविधाजनक बनाने के लिये केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकार ने कई पहल की हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने बीते कुछ समय में आधारभूत अवसंरचना निर्माण की दिशा में विशेष ध्यान दिया है, जिसके चलते मध्यप्रदेश निवेशकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। बीते डेढ़ दशक में जहाँ एक ओर प्रदेश में सड़क, बिजली, पानी की बेहतर सुविधाएँ विकसित की गई हैं, वहीं दूसरी ओर निवेशकों की सुविधा के लिये सिंगल-विंडों प्रणाली जैसे अनेक नवाचार भी किये गये हैं। परिणाम में प्रदेश में औद्योगिक निवेश के मौके बढ़े हैं।
सड़कें किसी भी देश प्रदेश के विकास की धुरी होती हैं। मध्यप्रदेश ने एक समय वह दौर भी देखा है जब सड़क में गड्डे हैं या गड्डे में सड़क, इसका पता नहीं चलता था। उस समय प्रदेश की बदहाल सड़कें औद्योगीकरण के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी। ख़राब सडकों ने विकास, निवेश और रोजगार की तमाम संभावनाओं पर ग्रहण लगा दिया था। मध्यप्रदेश ने वह दौर भी देखा, जब अघोषित बिजली की कटौती से प्रदेश की जनता का जीना दूभर हो गया था। तब बिजली कटौती की वजह से उद्योगों को भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आज प्रदेश की स्थिति बदल चुकी है। मध्यप्रदेश में बीते कुछ दशकों में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की औद्योगिक प्रोत्साहन नीतियों के चलते उद्योगों की स्थिति आज बेहतर हो गई है। यही वजह है कि मध्यप्रदेश निवेशकों की पहली पसंद बन कर उभरा है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में उद्योग काफी हद तक प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं। यहाँ चूना- पत्थर, कोयला, तिलहन, दालें, बॉक्साइट, लौह अयस्क, हीरा, तांबा, मैंगनीज अयस्क, रॉक फॉस्फेट, सिलिका, सोया, कपास सहित अन्य प्राकृतिक संपदा प्रचुर मात्रा में हैं। राज्य में कपड़ा, सीमेंट, इस्पात, खाद्य प्र-संस्करण, ऑटोमोबाइल, ऑटो कम्पोनेंट, फार्मा और ऑप्टिकल फाइबर जैसे क्षेत्रों के लिए एक मजबूत औद्योगिक नींव बनी हुई है। वर्ष 1980 के दशक में, कई परिवर्तनों ने औद्योगिक विकास में मदद की। इस क्षेत्र में उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम का गठन किया गया। वर्ष 1983 में मंडीदीप में सिर्फ 49 औद्योगिक इकाइयाँ थी अब मंडीदीप में ही करीब 650 औद्योगिक प्लांट हैं। इन पर 450 फैक्ट्रियाँ संचालित हो रही हैं। निवेश को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने अपनी सरल नीतियों से लगातार कारोबारी माहौल में सुधार किया है।
राज्य शासन की उद्योग सवंर्धन नीति में औद्योगिक इकाइयों को जहाँ अनुकूल सुविधाएँ देने का निर्णय हुआ, वहीँ औद्योगिक इकाइयों में प्रदेश के स्थायी निवासियों को प्राथमिकता के साथ रोजगार दिया जा रहा है। प्रदेश में जीएसटी व्यवस्था लागू होने से वृहद श्रेणी के उद्योगों को देय टैक्स सहायता लगातार दिये जाने संबंधी प्रक्रिया का पुनर्निर्धारण किया गया है। अधिक से अधिक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार ने औद्योगिक प्रयोजन के लिये आपसी सहमति से निजी भूमि अर्जन के लिए लैंड पूलिंग पॉलिसी भी लागू की है। इससे औद्योगिक विकास दर में भी इजाफा हुआ है। राज्य सरकार छोटे उद्योगों के लिए भी सस्ती दरों पर जमीन देने के साथ सब्सिडी देने का काम भी कर रही है।
भोपाल से सटा हुआ मंडीदीप आज औद्योगिक इकाइयों के एक बड़े केंद्र के रूप में स्थापित हो गया है। यहाँ ल्यूपिन, प्रॉक्टर एन्ड गेम्बल, दावत फूड्स, वर्धमान टेक्सटाइल्स, एचईजी लिमिटेड जैसी कंपनियों की मौजूदगी है, जो हर साल करोड़ों रूपये के उत्पादों का निर्यात कर रही है। इसमें 400 फैक्ट्री एमएसएमई कैटेगरी की हैं। इस क्षेत्र में औद्योगिक निवेश की तमाम योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन होने से निवेशक यहाँ उद्योग लगाने में अपनी रूचि दिखा रहे हैं।
मध्यप्रदेश के मंडीदीप में 70 के दशक में औद्योगीकरण का दीया जलाने वाला पहला उद्योग एचईजी था। स्टील प्लांट्स के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड बनाने वाली एचईजी के ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड की मांग आज दुनिया भर में है । ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड उन इस्पात उत्पादकों के लिए एक कच्चा माल है, जो पारंपरिक ब्लास्ट फर्नेंस प्रक्रिया के बजाय इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेंस रूट (ईएएफ) का इस्तेमाल करते हैं। मंडीदीप प्लांट से अमरीका, यूरोप और अफ्रीकी देशों में इसकी सप्लाई की जा रही है। प्लांट से 1800 लोगों को रोजगार मिल रहा है। मंडीदीप एचईजी के पास 76.5 मेगावाट (दो थर्मल पावर प्लांट और एक हाइड्रोपावर प्लांट) की क्षमता वाले ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड के उत्पादन का कारखाना भी है।
एचईजी लिमिटेड मंडीदीप के सीएमडी श्री रवि झुनझुनवाला का कहना है कि मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश के लिये बेहतरीन माहौल है। राज्य सरकार की औद्योगिक नीति, निवेशकों को आकर्षित कर रही है और मध्यप्रदेश निवेशकों के लिए उपयुक्त राज्य है। उनकी कंपनी की इकाई ग्रेफाईट एनोड के विनिर्माण के लिए प्रदेश में 2 हजार करोड़ रूपए का निवेश करेगी। यह निवेश देवास जिले के ग्राम सिरसौदा में किया जाएगा, जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 20 हजार मीट्रिक टन होगी। एक जनवरी 2025 तक प्रथम चरण का उत्पादन शुरू होगा और एक जनवरी 2028 तक परियोजना को पूरा कर लिया जाएगा। प्रथम चरण में कंपनी द्वारा ग्रेफाइट विनिर्माण के लिए औद्यागिक क्षेत्र मंडीदीप स्थित इकाई परिसर में 1200 करोड़ रुपये के पूँजी निवेश से किए जा रहे विस्तारीकरण के बाद यह इकाई ग्रेफाइट उत्पादन के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी कंपनी होगी।
वर्धमान टेक्सटाइल्स लिमिटेड, टेक्सटाइल क्षेत्र में सत्तर के दशक से भारत में काम कर रही है। मध्यप्रदेश में 1991 में इसका प्लांट मंडीदीप में स्थापित हुआ। वर्तमान में 180 एकड़ और 50 एकड़ में यहाँ कंपनी के दो प्लांट काम कर रहे हैं, जिनमें 15 हजार से अधिक लोगों को सीधा रोजगार मिल रहा है। इनमें 4,500 महिलाएँ भी शामिल हैं। प्रदेश के हर कोने से यहाँ के प्लांट में स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला है।
भारतीय फार्मा उद्योग मात्रा के आधार पर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। विकासशील देशों के लिए दवाओं की लागत कम करने में भारत ने अग्रणी भूमिका निभाई है। मंडीदीप स्थित ल्यूपिन कंपनी फार्मा और मेडिकल सेक्टर की कई वस्तुओं का उत्पादन कर रही है और विदेशों में बड़ी मात्रा में अपनी एंटीबायोटिक दवाओं का निर्यात कर रही है। कम्पनी के माध्यम से प्रदेश में फार्मा और मेडिकल सेक्टर में रोजगार के नए अवसर बने हैं। भारत अपने फार्मा सेक्टर में कच्चे माल के रूप में उपयोग में आने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इन्ग्रीडियेंट (एपीआई) का बड़ा हिस्सा चीन से आयात करता है। इसलिए अब कंपनी आत्म-निर्भर भारत अभियान में एपीआई के घरेलू मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देने की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ी है।
मध्यप्रदेश के बासमती चावल की महक विदेशों में महसूस की जा रही है। बढ़ती मांग और कम लागत में ज्यादा लाभ देकर बासमती यहाँ के किसानों को भी समृद्ध बना रहा है। मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र में दावत फूड्स जैसी बड़ी कंपनियों के प्लांट संचालित हो रहे हैं। कम्पनी के प्रबंध निदेशक श्री राजेंद्र वाधवा का कहना है कि मध्यप्रदेश का बासमती सभी मापदंडों पर खरा उतर रहा है, इसलिए अन्य प्रदेशों के निर्यातक यहाँ से धान ले जाकर अपने टैग पर निर्यात करते हैं। देश के कुल बासमती निर्यात में मध्यप्रदेश की भागीदारी करीब 25 प्रतिशत है। पहले बासमती का जीआई टैग नहीं होने से उत्पादकों को उचित मूल्य नहीं मिलता था। अब मध्यप्रदेश को बासमती धान उत्पादक राज्य का जीआई टैग मिलने के बाद यहाँ के किसान बाजार में “मध्यप्रदेश का बासमती चावल” नाम से अपने उत्पाद को बेच सकेंगे’।
अमेरिकी कंपनी प्रॉक्टर एंड गेंबल कंपनी मंडीदीप में रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएँ बनाने का काम कर रही है। कंपनी के उत्पादों में एरियल, टाइड, जिलेट, ओरल बी जैसे उत्पाद शामिल हैं। घर में साफ-सफाई रखने से लेकर पर्सनल केयर तक के प्रोडक्ट्स का निर्माण भी यहाँ के विभिन्न संयंत्रों में किया जा रहा है। यहाँ प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे को एकत्र कर उसका प्र-संस्करण और पुनर्चक्रण किया जाता है। कंपनी की यहाँ सौर संयंत्र स्थापित करने की भी योजना है।
अपने संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और निवेशकों के लिए एक सुविधाजनक वातावरण बनाने में कुल मिलाकर आगे है। निवेश के अनुकूल वातावरण बनने के चलते यहाँ देशी और विदेशी कम्पनियाँ अपना व्यवसाय बढ़ा रही हैं। मध्यप्रदेश देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है जहाँ बहुत कम समय में निवेश की बेहतरीन संभावनाएँ बनी हैं। निवेशकों को बेहतरीन सुविधाएँ देने की नीति के मामले में भी मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है। निवेशकों के हितों का पूरा ध्यान रखने से जहाँ प्रदेश में निवेश के मौके बढ़ रहे हैं, वहीँ स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिल रहे हैं।
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