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पेसा एक्ट से होगा जनजातीय समुदाय का आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की गरिमामयी उपस्थिति में मध्यप्रदेश 15 नवंबर 2022 को उस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना जब मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में जनजातीय समुदाय को जल, जंगल और जमीन के अधिकार देने के लिए पेसा एक्ट लागू किया गया। मध्यप्रदेश पेसा एक्ट लागू करने वाला देश का पहला राज्य है।

प्रदेश के 20 जिलों के 89 जनजातीय बहुल विकास खंड में पेसा एक्ट लागू किया गया है। पेसा एक्ट जनजातीय भाई-बहनों की आर्थिक, सामाजिक उन्नति और उन्हें सशक्त एवं अधिकार सम्पन्न बनाने का जरिया बन रहा है। यह एक्ट समाज के सभी नागरिकों के हित में है। किसी भी गैर-जनजातीय समाज के नागरिक के खिलाफ नहीं है। ऐसे जनजातीय भाई-बहन जो विकास की दौड़ में पीछे रह गये थे, पेसा एक्ट उन्हें मजबूत बनायेगा।

पेसा एक्ट के नियमों के अनुसार अब पटवारी और वन विभाग के बीट गार्ड को गाँव की जमीन का नक्शा, खसरा, बी-1 नकल साल में एक बार गाँव में लाकर ग्राम सभा में दिखाना होगा, जिससे जमीन के रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी न कर सके। यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो ग्राम सभा को रिकॉर्ड सुधारने की सिफारिश करने का अधिकार होगा। पटवारी को ग्राम सभा की बैठक में भूमि संबंधी विवरण पढ़ कर भी सुनाना होगा।

पेसा एक्ट में प्रावधान है कि शासन की योजना के किसी भी प्रोजेक्ट में किये जाने वाले सर्वे और भू-अर्जन के लिये ग्राम सभा की अनुमति जरूरी होगी। किसी भी जनजातीय नागरिक की भूमि छल-कपट और बल से अब कोई हड़प नहीं सकेगा। यदि कोई ऐसा करता है, तो ग्राम सभा को उसे वापस करवाने का अधिकार रहेगा। पेसा एक्ट बहला-फुसला कर धर्म बदलवाने और फिर जनजातीय समाज की जमीन हड़प लेने की आशंका को समाप्त करेगा। खनिज की खदान, जिसमें रेत, गिट्टी पत्थर की खदान शामिल है, के ठेके पर देना है या नहीं, इसका फैसला ग्राम सभा करेगी। खदान पर पहला अधिकार सोसायटी, फिर गाँव की बहन-बेटी और उसके बाद पुरुष का होगा।

राज्य सरकार ने गाँव-गाँव में तालाब बनवाये हैं। इन तालाबों का पूरा प्रबंधन ग्राम सभा करेगी। ग्राम सभा तय करेगी कि तालाब में मछली पाले या सिंघाड़े की खेती हो। तालाब से जो आमदनी होगी, वह ग्राम सभा को मिलेगी। सौ एकड़ कृषि क्षेत्र में सिंचाई करने वाले तालाब का प्रबंधन अब सिंचाई विभाग नहीं ग्राम सभा करेगी।

गाँव की सीमा के जंगल में होने वाली वनोपज- महुआ, हर्रा, बहेरा आदि को इकठ्ठा करने और बेचने और भाव तय करने का अधिकार ग्राम सभा के पास होगा। तेन्दूपत्ता को तोड़ने और बेचने का अधिकार ग्राम सभा को दिया गया है। इसमें सरकार का किसी भी प्रकार का दखल नहीं रहेगा। सरकार यह काम तभी करेगी, जब ग्राम सभा चाहेगी।

ग्राम सभा ही ग्राम विकास की कार्य-योजना बनायेगी। ग्राम सभा की मंजूरी के बाद ही ग्राम पंचायत को मिलने वाली राशि खर्च की जा सकेगी। काम के लिये गाँव से बाहर जाने वाले मजदूरी को पहले ग्राम सभा में यह बताना होगा कि वह कहाँ काम करने जा रहा है, उस स्थान का पता लिखाना होगा, जिससे उस मजदूर के हितों का ध्यान ग्राम सभा रख सके। यदि कोई बाहर का व्यक्ति गाँव में आता है, तो उसे भी ग्राम सभा को बताना होगा। मजदूरों को पूरी मजदूरी मिले, इसका ध्यान भी ग्राम सभा रखेगी।जनजातीय क्षेत्रों में केवल लायसेंसधारी साहूकार ही तय ब्याज दर पर पैसा उधार दे सकेंगे। इसकी जानकारी भी ग्राम सभा को देनी होगी। अधिक ब्याज लेने पर संबंधित साहूकार पर कार्यवाही होगी।

ग्राम सभा की मंजूरी के बिना गाँव में शराब और भांग की नई दुकान नहीं खुल सकेगी। किसी शराब दुकान को हटाने की सिफारिश ग्राम सभा कर सकेगी। यदि शराब की दुकान के पास स्कूल, अस्पताल और धर्मशाला है, तो ग्राम सभा उस शराब दुकान को वहाँ से हटाने की सिफारिश सरकार को कर सकेगी। ग्राम सभा को बिना मंजूरी के खोली गई शराब की दुकानों पर कार्यवाही करवाने का अधिकार रहेगा। ग्राम सभा किसी विशेष दिन को ड्राय डे घोषित करने की सिफारिश कलेक्टर को कर सकेगी।

गाँव में शांति एवं विवाद निवारण समिति बनेगी और गाँव के छोटे-मोटे झगड़े थाने नहीं जायेंगे। ऐसे झगड़ों को अब ग्राम सभा में ही सुलझाया जायेगा। गाँव के किसी व्यक्ति के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करने के पहले पुलिस को ग्राम सभा को बताना होगा।

पेसा एक्ट ने ग्राम सभा को अधिकार दिया है कि वह आँगनवाड़ी, स्कूल, आश्रम, छात्रावास का निरीक्षण करे और इनके काम ठीक से कराए। इसके साथ ही ग्राम पंचायत में विभिन्न शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन के निरीक्षण और सामजिक अंकेक्षण का अधिकार भी ग्राम सभा के पास होगा।

स्थानीय जनजातीय परंपराओं और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी भी ग्राम सभाओं की होगी। वे जनजातीय परंपराओं, रूढ़ियों, उनकी सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक संस्थाओं और विवादों के निराकरण की रूढ़ीगत रीतियों को सुरक्षित और संरक्षित करेंगी। ग्राम सभा क्षेत्र में लगने वाले बाजार, मेलों और पशु मेलों का प्रबंधन भी करेंगी।