मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में मंत्रिपरिषद द्वारा प्रदेश में विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार से संबंधित संबंधित प्रथम नीति का अनुमोदन प्रदान किया गया। मंत्रि-परिषद ने वर्तमान युग में नई प्रौद्योगिकी और तकनीकी का उपयोग जीवन से जुड़े प्रत्येक क्षेत्र में हो रहा है। ऐसी अनेक नई प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, जिनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों यथा भू-प्रबंधन, कृषि, उद्योग, उर्जा, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, खनिज, हितग्राहीमूलक योजनाओं, अधोसंरचना, इत्यादि में किया जाकर सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। नवीन प्रौद्योगिकियों को विभिन्न विभागों में अंगीकृत करने से उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है तथा शासकीय सेवाओं को भी नागरिकों को सरलता और पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराया जा सकता है।उपरोक्त कारणों से म.प्र. विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति तैयार करने की आवश्यकता महसूस की गई। यह नीति प्रदेश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का निर्माण, नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सक्षम उद्यमिता को बढ़ावा देने, नई तकनीकी का उपयोग कर शासकीय सेवाओं को मजबूत करने, पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को संरक्षित करने और समावेश और भागीदारी को प्रोत्साहित करने की पहल करेगी।
इस नीति के प्रमुख उद्देश्यों में मध्य प्रदेश को देश में शीर्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (STI) गंतव्य के रूप में स्थान दिलाना। मानव संसाधन, निवेश, और ज्ञान आधारित श्रम शक्ति जैसे कारकों को सुदृढ़ करके वर्ष 2030 तक ‘इंडिया इनोवेशन इंडेक्स’ (अपने मौजूदा 13 वे रैंक से) में मध्य प्रदेश को शीर्ष 5 राज्यों में स्थान दिलाना। एक प्रभावी एसटीआई पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर मध्य प्रदेश को अनुसंधान प्रकाशन, नवउद्यम, स्टार्टअप, औद्योगिक डिजाइन संबंधी नवाचार और पेटेंट जैसे संकेतकों को सुदृढ़ कर प्रदेश में ज्ञान आधारित उत्पादन को बढ़ाने में मदद करना। विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर राज्य के समग्र व्यय को बढ़ाना और राज्य में अनुसंधान एवं विकास संबंधी क्षेत्रों में निजी निवेश को प्रोत्साहित करना। मध्य प्रदेश के शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देना और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी पुरस्कार (जैसे कि ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (SSB)’ ) प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना। एसटीईएम (STEM) प्रयोगों और प्रतियोगिताओं के साथ पाठ्यक्रम को समृद्ध करके प्राथमिक स्तर से ही, विशेष रूप से छात्राओं के बीच एसटीईएम (STEM) शिक्षा को बढ़ावा देकर स्नातक, परास्नातक और पीएचडी स्तर पर एसटीईएम पाठ्यक्रमों में नामांकन अनुपात को बढ़ाना। वैज्ञानिक प्रमाणीकरण और व्यावसायीकरण के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान प्रणाली के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक आदर्श ढांचे को विकसित करना। धरातल की आवश्यकताओं के अनुरूप नवाचारों को बढ़ावा देना। कृषि, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और ऊर्जा जैसे आर्थिक क्षेत्रों में नवाचार के माध्यम से विकास को बढ़ावा देना और इन क्षेत्रों में निजी उद्यमों के प्रोत्साहन के लिए आवश्यक अनुसंधान, विकास और नवाचार अधोसंरचना का निर्माण करना। नवीन प्रौद्योगिकियों पर आधारित सक्रिय, कुशल और पारदर्शी G2C और G2B प्रणालियां विकसित कर जन आवश्यकताओं का सटीक आंकलन कर घर पहुँच सेवा उपलब्धता सुनिश्चित करना। मेटावर्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, 5जी सेमीकंडक्टर्स, आईओटी, ब्लॉकचैन और डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजीज, एआई और एआर/वीआर जैसी नई और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों में विश्व स्तरीय मानव संसाधन का सृजन कर कौशल संवर्धन के क्षेत्र मैं अग्रेषित होना। शासकीय डोमेन में उपलब्ध विशाल डेटा भंडार का लाभ उठाकर, गोपनीयता संरक्षण संबंधी आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए एक सर्वसुलभ सैंडबॉक्स वातावरण निर्मित कर डेटा आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी और उत्तरदायी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण। नवीन एवं उन्नत प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण, हस्तांतरण, अनुकूलन और उपयोग को सुगम बनाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा देना। प्रसंगिक नवाचार और विज्ञान शिक्षा का बढ़ावा देने के लिए शीर्ष संस्थानों (जैस आई.आई.टी, आई.आई.एम.,ए.आई.आई.एम.एस.,एन.आई.टी., आई.आई.आई.टी., एन.आई.डी., एन.आई.एफ.टी, एन.एल.एस.) संस्थानों को मध्यप्रदेश के एक जिले को गोद लेकर उस जिले मे स्थानीय रूप से विज्ञान एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। निजी क्षेत्र के साथ समन्वय के माध्यम से स्टार्टअप्स को प्रारम्भिक वित्त-पोषण मेंटरशिप,प्रशिक्षण और श्रेष्ठ प्रथाओं का लाभ उठाने में मदद करने हेतु अग्रणी संस्थाओं (जैस आई.टी.आई, आई.आई.आई.टी., आदि) में नवाचार समूहों, इन्क्यूबेटरों और एक्सेलेरटरों की स्थापना की जाएगी
मंत्रि-परिषद ने औद्योगिक क्षेत्र मोहासा बाबई की भूमि विभिन्न उद्योगों के आवंटन के संदर्भ में निम्नानुसार निर्णय लिया गया है। मोहासा-बाबई में 227.54 एकड़ क्षेत्रफल को भारत सरकार की योजनांतर्गत ऊर्जा एवं नवकरणीय ऊर्जा के उपकरणों के विनिर्माण हेतु आरक्षित किए जाने की अनुमति प्रदान की गई है। मोहासा-बाबई में आवंटन योग्य 2458.686 एकड़ भूमि पर टैक्सटाईल, गारमेंट, खादय प्रसंस्करण एवं अन्य सेक्टर के उद्योगों हेतु भूमि आवंटन किये जाने हेतु अनुमति दी गई है। औद्योगिक क्षेत्र मोहासा-बाबई में प्रतिबद्ध निवेशकों को इकाई स्थापना हेतु विशिष्ट लोकेशन में औद्योगिक भूमि उपलब्धता सुनिश्चित करने के दृष्टिगत म.प्र. राज्य औदयोगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम, 2014 के अंतर्गत भू-आवंटन की ऑनलाईन पद्धति को शिथिल करते हुए, भूखण्डों का आवंटन ऑफलाईन पद्धति से किये जाने का अनुमोदन किया गया है। इकाईयों को नियम अनुसार निर्धारित प्रारूप में आवेदन क्षेत्रीय कार्यालय,एमपीआईडीसी भोपाल में प्रस्तुत करना होगा। क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा आवेदन का परीक्षण कर प्रबंध संचालक, एमपीआईडीसी को प्रेषित किया जाएगा। प्रमुख सचिव, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा संबंधित इकाईयों को भू-आवंटन हेतु निर्णय लिया जाएगा। औद्योगिक क्षेत्र में भू-आवंटन के लिए टेक्सटाईल एवं गारमेन्ट सेक्टर, फूड प्रोसेसिंग जैसे रोजगार मूलक इकाईयां प्राथमिकता की श्रेणी में चिन्हित किया जायेगा । मोहासा-बाबई औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित की जाने वाली इकाईयों को प्रचलित औद्योगिक नीति अनुसार विदयुत टैरिफ एवं विदयुत शुल्क से संबंधित सुविधाओं को छोड़कर नीति के प्रावधानों अनुसार अन्य लाभ/ सुविधा प्राप्त करने की पात्रता होगी। मोहासा-बाबई में प्रस्तावित स्थापित इकाईयों को निवेश संवर्धन पर मंत्रि-परिषद समिति (CCIP) से पृथक से भू-प्रब्याजी/ विकास शुल्क में अतिरिक्त छूटा रियायत संबंधी पात्रता प्राप्त करने की सुविधा नहीं होगी। इकाई को मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम, 2019 अनुसार भूमि के मूल्य में छूट/रियायत प्राप्त किए जाने की पात्रता नहीं होगी अर्थात इकाई की भू-प्रब्याजी मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम, 2019 अनुसार भूमि के वास्तविक मूल्य के समतुल्य होगी। भूखण्ड के आवंटन हेतु प्रब्याजी एवं विकास शुल्क की छूट के संदर्भ में कोई आदेश होने पर उक्त आदेश औदयोगिक क्षेत्र मोहासा-बाबई में प्रभावी नहीं होगे। मोहासा-बाबई में प्रस्तावित/स्थापित इकाईयों से विदयुत प्रदाय संबंधी अनुबंध को मध्यप्रदेश विदयुत नियामक आयोग के निर्देशों एवं रेगुलेशन के अंतर्गत किया जाएगा। भोपाल,मंडीदीप एवं बुदनी में बड़ी टेक्सटाइल एवं गारमेंट इकाइयों की स्थापना होने से मोहासा-बावई औद्योगिक क्षेत्र में टेक्सटाइल कंपनियों जैसे-बेस्ट कार्पोरेशन,इंडोरामा,महिमा फाइबर्स,वर्धमान आदि द्वारा भूमि की मांग की जा रही हैं।
रीवा हवाई पट्टी को विमानतल के रूप में विकसित करने हेतु वर्तमान में उपलब्ध 64 एकड़ भूमि भारतीय विमानपत्तन को आवंटित की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त आवश्यक 99.615 हेक्टेयर भूमि को राज्य शासन द्वारा अर्जित कर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को दिये जाने का अनुमोदन आज मंत्रिपरिषद द्वारा दिया गया। हवाई अड्डे हेतु समस्त अधोसंरचना भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा विकसित की जावेगी, जिसके लिये उनके द्वारा कार्ययोजना तैयार की जाकर निर्माण एजेंसी का चयन कर लिया गया है। रीवा हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के रूप में विकसित होने के उपरांत ए.टी.आर. जैसे बोइंग विमान की लैण्डिंग हो सकेगी, जिससे रीवा क्षेत्र का आर्थिक एवं पर्यटन आदि को बढ़ावा मिलेगा, इससे आम जनता को सीधे लाभ पहुंचेगा।
मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2022 का मंत्रि परिषद् नें अनुमोदन किया। स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, भोपाल, अभ्युदय विश्वविद्यालय, खरगोन एवं अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, भोपाल विश्वविद्यालयों की स्थापना विधेयक के माध्यम से किये जाने के संबंध में प्रस्तुत द्वितीय संशोधन विधेयक, 2022 को मंत्रि-परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया।
म.प्र. भण्डार क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 को लागू हुए, अधिक समय व्यतीत हो गया है। इन वर्षों में वैश्विक परिदृश्य में हुए परिवर्तनों एवं नवीन चुनौतियाँ, भारत सरकार द्वारा सामान्य वित्तीय नियमावली 2017 में सामग्री उपार्जन के संबंध में जारी नियमों को संशोधित किया गया है. सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विकास अधिनियम 2006 की धारा 11 में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के विकास एवं उन्हें सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से वस्तुओं/सेवाओं के उपार्जन में वरीयता संबंधी प्रावधान, वैश्विक एवं स्थानीय आर्थिक परिदृश्य में स्टार्टअप्स का प्रादुर्भाव एवं महत्ता के आधार पर प्रचलित नियमों में संशोधन, विलोपन एवं नवीन प्रावधानों को समाहित करने की आवश्यकता के दृष्टिगत राज्य शासन द्वारा म.प्र. भण्डार कय तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 (यथा संशोधित 2022) जारी करने का निर्णय मंत्रि-परिषद द्वारा लिया गया। टेण्डर की शर्तो के विपरीत कार्य होने, सुरक्षात्मक उपाय किए जाना आवश्यक होने, भ्रष्टाचार आदि अनियमिततओं की दोषी फर्मो को ब्लैक लिस्ट किया जावेगा। प्रदेश के ऐसे एम.एस.एम.ई. स्टार्ट अप जिनकी उत्पादन क्षमता इन उत्पादों के लिए शासन की मांग से दोगुना है, उन्हें शत-प्रतिशत क्रय हेतु आरक्षित किया जा सकेगा। मध्यप्रदेश माध्यम,पर्यटन विकास निगम, पाठ्यपुस्तक निगम, इलेक्ट्रानिक विकास निगम,सेडमैप,हेल्थ सर्विस कार्पोरेशन और डेयरी फेडरेशन से बिन निविदा आमंत्रित किए सीधे सेवाओं का उपार्जन किया जा सकेगा।
मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 का अनुमोदन किया तथा विधेयक को विधानसभा में पुरःस्थापित कर पारित कराने की समस्त आवश्यक कार्यवाही करने हेतु राजस्व विभाग को अधिकृत किया। सीमांकन के मामलों के निराकरण के लिए सक्षम अधिकारी तहसीलदार हैं। प्रदेश में राजस्व निरीक्षकों की संख्या सीमित होने और सीमांकन के आवेदनों के त्वरित निराकरण के लिए मध्यप्रदेश भू-राजस्व्संहिता में संशोधन प्रस्तावित है। अब तहसीलदार द्वारा सीमांकन आवेदन पर राजस्व निरीक्षक/नगर सर्वेक्षक के साथ-साथ कस्बा पटवारी की रिपोर्ट भी ली जा सकेगी।
विमुक्त,घुमन्तु और अर्द्धघुमन्तुक समुदायों के लिए स्वरोजगार योजना 2022-23
मंत्रि-परिषद् द्वारा प्रदेश के विमुक्त, घुमन्तु और अर्द्धघुमन्तु समुदाय के व्यक्तियों के आर्थिक एवं सामाजिक उन्नयन के लिए मुख्यमंत्री विमुक्त, घुमन्तु और अर्द्धघुमन्तु स्वरोजगार योजना वर्ष 2022-23 की स्वीकृति प्रदान की गई है। विभाग के द्वारा संचालित योजना में योजना 2 भागों में संचालित होगी। विभाग एवं अभिकरण के माध्यम से व्यक्तिगत प्रकरण में 1 लाख रूपए तक का ऋण बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। स्व-सहायता समूह होने पर 10 लाख रूपए तक का ऋण बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। प्रथम बार लिए गए ऋण 25 प्रतिशत या अधिकतम 20 हजार रूपए (व्यक्तिगत प्रकरण) एवं 2 लाख रूपए (स्व-सहायता समूह) अनुदान। ब्याज दर पर 6 प्रतिशत अनुदान। अभिकरण द्वारा संचालित योजना में आई.टी.आई. द्वारा प्रशिक्षित नवयुवकों को रोजगार हेतु बैंकों के माध्यम ऋण एवं अभिकरण के माध्यम से अनुदान सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। अधिकतम 2 लाख रूपए के व्यक्तिगत श्रणी में प्रकरण स्वीकृत किए जाएंगे। प्रथम बार लिए गए ऋण पर परियोजना लागत का 25 प्रतिशत एवं द्वितीय ऋण पर 20 प्रतिशत अनुदान। प्रथम एवं द्वितीय ऋण पर ब्याज पद पर 6 प्रतिश अनुदान।
नगरीय निकायों में आवारा पशुओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिये मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि (चतुर्थ संशोधन) विधेयक 2022 लाया जा रहा है। उक्त विधेयक में किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझकर अथवा उपेक्षापूर्वक किसी मवेशी अथवा अन्य पशु को सार्वजनिक सड़क अथवा स्थान पर खुला छोड़ा अथवा बांधा जाता है, जिसके कारण किसी व्यक्ति को क्षति होती है या संपत्ति को नुकसान होता है या लोक यातायात को बाधा पहुंचती है या संकटापन्न होता है या लोक न्यूसेंस कारित होता है, तो वह राज्य सरकार द्वारा विहित जुर्माने से, जो एक हजार रुपये से अधिक का नहीं होगा, दंडनीय होगा।” प्रस्तावित किया गया है।
मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश में राज्य सरकार अनावश्यक एवं अनुपयोगी और प्रभावहीन विधियों के निरसन लिए प्रतिबद्ध है। अधिनियमित हो जाने पर यह अनुपयोगी एवं प्रभावहीन विधियों को कम करेगा। मध्यप्रदेश निरसन विधेयक, 2022 की अनुसूची में उल्लेखित 05 अधिनियमों का निरसन किया गया है। इसके माध्यम से निम्न 5 अधिनियमों को निरसित किया जाना है, जो पूरी तरह से अप्रचलित, अनावश्यक और महत्वहीन हो चुके है। मध्यप्रदेश बोर्स्टल एक्ट 1928,मध्यभारत लघुवाद न्यायालय अधिनियम 1949, मध्यप्रदेश उद्योग राज्य सहायता अधिनियम 1958, मध्यप्रदेश अश्व रोग अधिनियम 1960, मध्यप्रदेश पशु (नियंत्रण) अधिनियम 1976 है।
मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश राज्य में सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 का राज्य संशोधन विधेयक 2022 का अनुमोदन किया गया तथा विधानसभा में पुन स्थापित करने से पूर्व माननीय राष्ट्रपति महोदया की पूर्व मंजूरी हेतु गृह मंत्रालय,भारत सरकार को प्रेषित करने की अनुमति प्रदान की गई।
मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश सिनेमा (विनियमन) अधिनियम, 1952 की धारा 2. में म.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 5 के खण्ड (34-क) में तथा म.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 3 के खण्ड (18-क) में समानुदेशित किया गया है। धारा 4 में संशोधन कर नगर पालिक निगम की सीमाओं के भीतर आयुक्त नगर पालिक निगम, तथा नगर पालिका परिषद, नगर परिषद की सीमाओं के भीतर आने वाले क्षेत्रों के लिए जिला मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्राधिकृत कोई कार्यपालिक मजिस्ट्रेट को अनुज्ञप्ति प्रदान करने एवं धारा 7 में प्रावधानित 1,000/- रुपये तक के अर्थदण्ड के स्थान पर 50,000/- रुपये तथा प्रत्येक दिन केलिए जिसमें अपराध जारी रहता है 100/- रूपये के स्थान पर 5000/- रूपये के दण्ड का प्रावधान किया गया है।
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