मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गीता का संदेश है कि जो अत्याचार और अन्याय करता है, उसे दंडित करना ही धर्म है। गीता, बिना फल की कामना किए कर्म करने की शिक्षा देती है। फल की आसक्ति के साथ किया गया कर्म, सर्वप्रथम कर्म की एकाग्रता को ही प्रभावित करता है। लोगों को निरंतर सत्कर्म के लिए प्रेरित करना आवश्यक है। ब्रह्माकुमारियों द्वारा इस दिशा में किया जा रहा कार्य सराहनीय है। बहने अद्भुत युग की रचना कर रही हैं। हमारा भारत, संपूर्ण विश्व को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन कराएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय नीलबड़, भोपाल के सुख शांति भवन में नव निर्मित अनुभूति सभागार के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गीता में कहा गया है कि मोह और अहंकार से दूर, धैर्य और उत्साह से परिपूर्ण, मित्र और शत्रु, मान- अपमान, सुख-दुख, निंदा और स्तुति में समभाव रखने वाला भक्त ही भगवान को प्रिय होता है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शिक्षा, व्यक्ति को गीता का ज्ञान ग्रहण करते हुए जीवन को धन्य और आनंदमय बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है।
संस्था द्वारा “गीता वृतांत की पुनरावृत्ति” विषय पर संगोष्ठी भी की गई। चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग, विधानसभा के पूर्व प्रोटेम स्पीकर और विधायक श्री रामेश्वर शर्मा, ब्रह्मकुमारी जयंती दीदी तथा भ्राता श्री बृजमोहन विशेष रूप से उपस्थित थे।
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