18वीं से 20वीं सदी की रियासतों में सात करोड़ अभिलेखों का डिजिटलीकरण हो रहा था

मप्र पुरातत्व, पुरालेख एवं संग्रहालय संचालनालय।

पर प्रकाश डाला गया

  1. करीब 20 रियासतों के अभिलेख पोर्टल पर अपलोड होंगे।
  2. मप्र और महाराष्ट्र में राज करने वाली रियासतें शामिल।
  3. आठ माह में होलकर राजवंश के दस लाख अभिलेखों की हुई स्कैनिंग।

प्रशांत व्यास, नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल।। मध्यभारत में 1798 से 1956 तक शासन करने वाली करीब 20 रियासतों के महत्वपूर्ण अभिलेखों का डिजिटलीकरण जारी है। वर्ष से अधिक समय तक राज करने वाली इन रियासतों के कुल सात करोड़ से अधिक संस्थाएं अपलोड की जा रही हैं। इन ऐतिहासिक रियासतों के शासन की रीति-नीति की जानकारी मिल गई। साथ ही सैकड़ा साल पहले के सामाजिक और राजनीतिक संविधान को भी पहली बार एक बार फिर से लागू करने के लिए आवेदन पत्र उपलब्ध कराया गया है।

मध्य प्रदेश, पुरालेख एवं संग्रहालय संचालनालय ने इस वर्ष फरवरी से डिजिटल संग्रहालय का कार्य प्रारंभ किया था, जिसमें मध्य प्रदेश से लेकर होल्कर राजवंश तक की लगभग 10 लाख अभिलेखों की स्कैनिंग हो चुकी है। जल्द ही इन्हें पोर्टल पर अपलोड करने का काम भी शुरू हो जाएगा।

अंग्रेजी, हिंदी, अरबी और फ़ारसी भाषा में लिखे गए अभिलेख हैं

विभाग के उपसंचालक ब्लूश लोकंडे कहते हैं कि मध्यभारत में शासन करने के समय सभी प्रमुख रियासतों के ऐतिहासिक स्मारकों को इकट्ठा किया गया था। इनमें से रियासतें और भोपाल रियासत के साथ होलकर राजवंश सहित प्रदेश की छोटी-बड़ी करीब 20 रियासतें शामिल हैं। इन रियासतों के महत्वपूर्ण अभिलेखों का ब्रिटिश शासन के साथ कुछ अभिलेखों का भी डिजिटलीकरण किया जा रहा है। ये अभिलेख अंग्रेजी, हिन्दी, मोही, उर्दू एवं फ़्रज़ी भाषा में हैं। विभाग निरीक्षण ऐसे प्रमाण पत्र को स्कैन कर रहा है जो अति जीर्ण-शीर्ण राज्य में हैं। डिजिटल पोर्टल बनने के बाद उन्हें अपलोड करने का कार्य भी शुरू हो जाएगा।

देश-विदेश के शोधार्थी अभिलेखों की सहायता से शोध कर रहे हैं

लोकंडे ने बताया कि ये अभिलेख देश विदेश के सामानों को समय-समय पर शोध कार्यों के लिए उपलब्ध कराते हैं। हर साल करीब 50 शोधार्थी अपने शोध कार्य के लिए इन अभिलेखों का उपयोग करते हैं। साथ ही दस्तावेज़ एवं आशासकीय मांग निर्माताओं से संबंधित जानकारी भी प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त जन सामान्य को अभिलेखीय विरासत से अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग स्थानों पर प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं। डिजिटाइज़ेशन से उन्हें प्रशिक्षित साड़ी की जानकारी उपलब्ध हो रही है।

इनका कहना है

अभिलेखीय धरोहरों को संरक्षित करने के उद्देश्य से ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण अभिलेखों का ई-निविदा के माध्यम से डिजीटल संग्रह जारी किया जा रहा है। रियासतों के अभिलेखों से शोधार्थी और इतिहास में कच्चा माल लेने वाले सैकड़ों वर्ष पुराने सामाजिक और राजनीतिक सहयोगियों को जाना जाता है।

मीनाक्षी शुक्ला, कमिश्नर, मप्र पुरातत्वविद्, पुरालेख एवं संग्रहालय संचालनालय

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