पर प्रकाश डाला गया
- 41 साल के दोस्त को हो रही थी ख़ून की उल्टियाँ।
- एम्स के डॉक्टर ने भी की सर्जरी में मदद।
- पोर्टल हाईपरफ़ेक्ट की व्याधि से संबंधित रोगी।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजधानी के करोड़ो क्षेत्र में स्थित भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) ने पोर्टल हाइपरटेन्शन नाम की बीमारी से एक 43 साल के रोगी का रेडियोलॉजी इंटरवेंशन प्रक्रिया टिप्स (ट्रांसजुगुलर इंट्राहेपॉपोसिस पोर्टोसिस्टीमिक शंट) से सफल इलाज किया है। यह मरीज लिवर सिरोसिस से पीड़ित है, जिसके कारण उनके पेट में बार-बार पानी भर जाता था और खून की उल्टी हो जाती थी। इस प्रक्रिया में मरीज का इलाज निश्शुल्क किया जाता है, जबकि निजी तौर पर इसमें चार से पांच लाख रुपये तक का खर्च आता है।
मरीज का इलाज बीएमएचआरसी के रेडियोलॉजी विभाग के इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट डॉ. लखनऊ, एम्स भोपाल के रेडियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमन कुमार, बीएमएच आरके के गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग में पेट्रोलॉजी कंसल्टेंट डा. तृप्ति मिश्रा एवं एनीस्थिशियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कनिका सुहाग की टीम ने की सगाई।
रोगी का लीवर का सिद्धांत दिया गया था
डॉ. मीनू ने बताया कि मरीज कई वर्षों से लिवर सिरोसिस से पीड़ित था। उनका लिवर निर्मित और कठोर हो गया था, जिससे लिवर की रक्त प्रवाहित करने की क्षमता बहुत कम हो गई थी। इस कारण से लिवर तक रक्त की कमी हो गई और पेट में पानी की शिकायत हो गई। इस स्थिति को पोर्टल पर उच्च गुणवत्ता कहा जाता है।
ऐसे किया उपचार
उन्होंने बताया कि लिवर से एक अन्य नास भी जुड़ी हुई है, जिसे हिपेटिक वेन कहते हैं। हिपेटिक वेन लिवर से साफ हुआ खून दिल तक पहुंचता है, लेकिन लिवर के ठीक तरीके से काम न करने के कारण यह प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही थी। सामान्य तौर पर ऐसी स्थिति में वेन को बैच के लिए ओपन सर्जरी की जाती है। लेकिन इस मरीज़ का रेडियोलॉजी इंटरवेंशन प्रक्रिया टिप्स के माध्यम से स्टेंट डायग्नोस्टिक्स का उपचार किया गया। यह स्टेंट पोर्टल वेन और हिपेटिक वेन के बीच प्रत्यारोपित किया गया, जिससे रक्त का प्रवाह बेहतर हो गया। डॉ. मीना ने बताया कि मरीज को अब खून की उल्टी आ रही है और पेट में पानी की कमी की समस्या से उपकरण मिल गया है।
लिवर से रक्त प्रवाह क्यों महत्वपूर्ण है?
पोर्टल वेन एक प्रमुख नस है, जो लेटे हुए, पेट, प्लीहा (तिल्ली) और अग्निशय (पेंक्रियाज) से रक्त लेकर सीधे लिवर में पहुंचाती है। इस रक्त में पोषक तत्त्व और विषाक्त पदार्थ (विषाले पदार्थ) पाए जाते हैं, जो पाचन प्रक्रिया के दौरान शरीर में आते हैं। लिवर इस खून को साफ़ करता है, विषाक्त पदार्थों को निकालता है और आवश्यक प्रोटीन और अन्य मसालों का निर्माण करता है। यह साफ खून हेपेटिक वेन के माध्यम से लिवर से बाहर की ओर और सीधे हृदय की ओर जाता है। वहां से यह खून साफ शरीर के अन्य प्रयोगों तक सावधान रहता है।