भारत को विश्वमंच पर सिरमौर बनाने के लिए स्वत्व के भाव का प्रकटीकरण आवश्यक – उच्च शिक्षा मंत्री श्री परमार

इतिहासविद श्री धर्मपाल के रचित साहित्य में स्वत्व के भाव की जागृति : श्री परमार
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल में इतिहासविद श्री धर्मपाल की जयंती पर हुआ व्याख्यान

भोपाल : मंगलवार, फरवरी 20, 2024

भारतीय समाज में, ग्रामीण दर्शन और पारंपरिक ज्ञान की महत्वपूर्ण उपयोगिता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसरण में भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित विज्ञानपरक शोध की आवश्यकता है। जो देश और समाज इतिहास से प्रेरणा नहीं लेता, उसके आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त नहीं हो पाता इसलिए हमारे इतिहास से प्रेरणा लेकर ही हमारे समाज और देश के उत्थान का मार्ग प्रशस्त होगा। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने सोमवार को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल में धर्मपाल शोधपीठ, स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा विख्यात विचारक एवं इतिहासविद श्री धर्मपाल की जयंती पर आयोजित “धर्मपाल जी के शिक्षा संबंधी विचारों की प्रासंगिकता : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में” विषयक व्याख्यान में सम्मिलित होकर कही। श्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिपालन में प्रसिद्ध इतिहासविद एवं विचारक श्री धर्मपाल के विचारों को जानना और समझना आवश्यक है। श्री धर्मपाल का रचित साहित्य, हमारे स्वत्व के भाव को जागृत करता है।

भारत हमेशा से जन आधारित समाज रहा है अंग्रेजों ने हमारी ये भ्रामक छवि गढ़ी थी। भारत में शिक्षा व्यापक थी, और सर्व समावेशी थी। उन्होंने कहा कि हमारी परंपराएं भी विज्ञान आधारित रही हैं। भारतीय संस्कृति में सूर्यास्त के उपरांत तुलसी के नीचे दीपक जलाने का महत्व है। हम मानते हैं कि पेड़ पौधे रात में सो जाते हैं,इसलिए रात में फल, फूल या पत्तियां तोड़ने की मनाही है । ये केवल मूल्य आधारित परंपरा नहीं है बल्कि ये विज्ञान आधारित परंपरा है। भारतीय मान्यताओं, परंपराओं एवं विधाओं में समाज की आवश्यकता अनुरूप शोध से समाज के प्रश्नों का समाधान संभव है। हम सभी को वर्ष 2047 के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में अपना योगदान सुनिश्चित करना होगा। विश्वमंच पर भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए स्वत्व के भाव का प्रकटीकरण आवश्यक है।

मुख्य वक्ता सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज, चेन्नई के निदेशक पद्मश्री डॉ जतिंदर कुमार बजाज ने इतिहासविद श्री धर्मपाल के जीवन चरित्र पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय ज्ञान परम्परा आधारित शिक्षा के संदर्भ में इतिहासविद श्री धर्मपाल द्वारा कृत कार्यों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि श्री धर्मपाल के जीवन में “विरह” गहनता से प्रकट होती है। श्री धर्मपाल के भीतर अपनी परंपराओं, मान्यताओं एवं विधाओं से देश के पुनर्निर्माण में “देशदाज” का भाव था। श्री धर्मपाल मानते थे कि भारतवर्ष लोकतंत्र की जननी है। श्री धर्मपाल ने भारतीय शिक्षा पद्धति को केंद्र में रख कर “द ब्यूटीफुल ट्री” किताब लिखी थी। उनकी लिखित पुस्तक “सिविल डिसओबीडिएंस इन, इंडियन ट्रेडिशन विथ अर्ली नाइनटींथ सेंचुरी डॉक्यूमेंट्स” में भारतीय परंपरा में लोकतंत्र की वास्तविकता का दर्शन मिलता है। श्री धर्मपाल की पुस्तक “इंडियन साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन द एटीन्थ सेंचुरी – सम कनटेंप्रेरी अकांट्स ” में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की ज्ञान परंपरा का वर्णन मिलता है।इस अवसर पर बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस के जैन सहित प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।थे।

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use