पर प्रकाश डाला गया
- करवाचौथ का व्रत पति की लंबी उम्र की कामना की।
- रात करीब 8:18 बजे आकाश में चंद्रमा दिखाई दिया।
- राजधानी में कई जगहों पर सामूहिक आयोजन भी हुए।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर रविवार को अखंड स्वर के लिए महिलाओं ने निर्जला व्रत, करवाचौथ पर्व मनाया। रात करीब 8:18 बजे आकाश में चंद्रमा जैसा दिखाई दिया। महिलाओं ने चलनी की ओट से दर्शन कर अर्घ्य दिया। पूजा कर पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की। फिर वही चलनी से पति के दर्शन। फिर पति के हाथ से अन्न जल ग्रहण करवा चौथ का निर्जला व्रत खोलें। वहीं सास-ससुर के पैर छूकर ने उनका आशीर्वाद लिया।
कई जगहों पर सामूहिक समारोह भी हुए। मां चामुंडा दरबार के पुजारी रामजीवन जीसस ने बताया कि रविवार की सुबह भद्राकाल 06:24 बजे शुरू हुआ था। जिसका समापन प्रातः 06:46 मिनट पर होने के बाद सुहागिन महिलाओं ने निर्जला व्रत का संकल्प लिया। घर में भगवान गणेश, कार्तिकेय व चौथ माता की पूजा- पुनः की। पूजन के साथ-साथ व्रतधारी महिलाओं ने सुहागिन महिलाओं को हल्दी कुमकुम लगाकर सुहाग की सामग्री की आपूर्ति की। अद्वितीय स्वर के लिए आशीर्वाद माँगें। देर शाम को चांद-चांद का इंतजार करते नजर आते हैं। बार-बार छतों पर बेस्ट महिलाएं आकाश की ओर तलाश में रहती हैं। सुहागिनों ने दुल्हन की तरह साज-धज कर शिव-पार्वती और करवे की पूजा की। इस अवसर पर उन्होंने पर्व से जुड़ी वीरावती की कथा भी लिखी। घर-घर करवाचौथ पर्व साये का उत्साह देखते ही बना।
शहर में इन जगहों पर हुआ सामूहिक करवाचौथ का आयोजन
शहर में कुछ जगहों पर करवाचौथ के पूजन का सामूहिक आयोजन भी हुआ। इनका टीला जमालपुरा के शीतला माता मंदिर, गुफा मंदिर, श्रीकृष्ण मंदिर तलैया में सार्वजनिक समारोह हुआ। वहीं कटारा हिल्स क्षेत्र गौरीशंकर परिसर में महिलाओं ने सामूहिक रूप से करवा चौथ की पूजा-पाठ की। इसके अलावा कई कॉलोनियों में महिलाओं ने सामूहिक रूप से करवाचौथ का पूजन किया।
पंजाबी सनातन समाज की महिलाओं ने करवा माता का पूजन कर वीरा वती की कथा सुनी। करवाचौथ पर्व मनाया गया। समाज के रिंकू भटेजा ने बताया कि सनातन पंजाबी समाज (महिला विंग) द्वारा समाज की संरक्षक सरोज कपूर के निज निवास अरेरा कल में करवा माता का पूजन कर वीरावती की कथा मानकर करवाचौथ मनाई जाती है। इसी तरह के कलाकार समाज की ओर से सामूहिक चौथ पूजा-पाठ की जानकारी दी गई। तो वहीं पूजा के बाद कई महिलाएं अपने अवशेषों के साथ खाना खाने के लिए अंतिम संस्कार में शामिल हो जाती हैं।