पर प्रकाश डाला गया
- एमपी में नारियल 14 से 27 प्रतिशत।
- 87:13 सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती का प्रतिशत का सूत्र।
- सुप्रीम कोर्ट को स्थानांतरित करने के लिए 85 याचिकाएँ।
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में वर्ष 2019 से लेफ़्ट अन्य कक्षा वर्ग अर्थात् एकाकी रात्रि से जुड़े सभी प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए स्थानांतरित किये जायेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश बीर गवई की गांधीधाम वाली बेंच ने मंगलवार को यह निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार से जवाब-तलब
प्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 2019 में मप्रसेवा लोक नवीन अधिनियम संशोधन में करके एकल विशिष्टता 14 से समर्थन 27 प्रतिशत को लेकर आया है। वहीं, 87:13 प्रतिशत के फार्मूले को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन से जवाब-तलब कर लिया है।
राज्य सरकार की ओर से एकात्म से जुड़े प्रकरणों को स्थानांतरित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में दस्तावेज दाखिल किया गया था। इस पर सुनवाई के दौरान मप्र शासन की ओर से साल्सिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। अनारक्षित वर्ग की ओर से अनारक्षित आदित्य संघी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लाइब्रेरी में ताले जमा होने के कारण इन मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है।
कोर्ट में प्रकरणों के अवकाश होने के कारण मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा कई नियुक्तियां नहीं की जा रही हैं। इस सर्वोच्च न्यायालय ने मप्र उच्च न्यायालय में सभी 85 टुकड़ियों को स्थानांतरित करने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट में अब एकाकी मामले की अपेक्षाकृत तेज गति से सुनवाई होने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने अब यह तय कर दिया है कि भाई-बहन को रिश्ता खत्म हो गया है। हाई कोर्ट में प्रथम वर्ष 2019 में 27 प्रतिशत को संयुक्त प्रवेश परीक्षा को चुनौती दी गई थी। इसके बाद कई फाइलें विस्थापित हुईं। इनमें से कुछ समानता के पक्ष और कुछ विरोध में विचारधारा के बारे में बताया गया। पिछले करीब एक साल से इन एपिसोड्स पर तेजी से सुनवाई नहीं हो पाई है।