राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल(एमपी धन खरीद दिनांक 2024)। मध्य प्रदेश में आज से न्यूनतम समर्थन मूल्य (2,300 रुपये प्रति औंस) धान का उपार्जन 1,412 रुपये पर होगा। 45 लाख टन यूनिट का लक्ष्य रखा गया है। गुणवत्ता युक्त उपार्जन के लिए ऑनलाइन निगरानी की जाएगी।
किसान जो उपज लेकर आया है, उसकी गुणवत्ता का नमूना, कचरा और टूटन के आधार पर बनाया जाएगा। इसके बाद ही सब्जेक्ट को स्वीकार या ठीक कर पर्ची जारी की जाएगी। यदि सब्जेक्ट क्वालिटी युक्त नहीं होगी तो उसे वापस कर ठीक करके लाने के लिए कहा जाएगा।
ऑनलाइन पर्यवेक्षण की व्यवस्था बनाई गई
खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सामान्य अनाज का धान 2,300 और ग्रेड ए धान का समर्थन मूल्य 2,320 रुपये प्रति किलो होगा। गुणवत्तायुक्त उप-उपजों का ही उपार्जन हो, इसके लिए ऑनलाइन पर्यवेक्षण की व्यवस्था की गई है।
उपजी में कचरा मिला तो उसे वापस भेज दिया गया
राज्य और जिला स्तर पर उपार्जन पोर्टल पर दर्ज होने वाली उपजीय एसोसिएटेड जानकारी के आधार पर सारांश होगा। यदि उपजी में कचरा, टूटन या विविधता अधिक होती है तो उसे वापस कर दिया जाएगा। जब किसान उपजी ठीक निर्धारित मानक के अनुसार, तब उसे स्वीकार किया जाएगा।
असल में, धान किसान से लेने के बाद उसे चावल बनाने के लिए मिलर्स को दिया जाता है। उस समय कई बार मस्जिद, कचरा और टूटन की शिकायत सामने आती है। ऐसी उपज मिलर्स नहीं लेते हैं क्योंकि प्रति चावल चावल 67% प्रति मील लिया जाता है।
जब यह मात्रा नहीं है तो मिलर्स को नुकसान होता है। यही कारण है कि इस बार क्वालिटी प्रोडक्ट्स के संयोजन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सभी उपार्जन कार्यालयों में गणितीय मापक यंत्र (मायश्चर मीटर) की जांच करने के लिए जाएं।
मिलिंग भी समय पर होगी
पौराणिक जांच के बाद धान लेकर सीधे उपार्जन केंद्र से ही मिलिंग के लिए मिरलस को दिया जाएगा। इससे परिवहन और भंडार में कमी आने के साथ-साथ मिलिंग पर भी समय लगेगा। भारतीय खाद्य निगम ने मिलिंग के लिए अंतिम सीमा जून में जारी की है।
मंत्री, मुख्य सचिव एवं आयुक्त औचक निरीक्षण
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, मुख्य सचिव अरुण रश्मि शमी और आयुक्त सिबी शेखर औचक निरीक्षण करेंगे। किसी भी स्तर पर किसी भी स्तर पर किसी भी स्तर पर किसी भी स्तर पर फाइनैंशियल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उड़नदस्ते भी जिला स्तर पर प्रोटोटाइप होंगे, जो उपार्जन अधिकारियों का निरीक्षण करेंगे।