एक वर्ष बीता फिर प्रदेश के 10 हजार स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं मिल पा रहा आयुर्वेद उपचार

राजधानी भोपाल स्थित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का राज्य मुख्यालय।

HighLights

यहां से सीएमएचओ लिख चुके हैं पत्र।1100 सीएचओ की नियुक्ति हो चुकी है।एलोपैथी में उपचार महंगा, इसलिए जरूरत।

मुकेश विश्वकर्मा,भोपाल। प्रदेश में आयुष और स्वास्थ्य विभाग के बीच सामंजस्य नहीं बन पाने के चलते करीब 10 हजार स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुर्वेद इलाज संभव नहीं हो पा रहा है। भारत सरकार ने प्रदेश में उप स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुर्वेद पद्धति से उपचार करने के निर्देश दिए थे लेकिन वर्ष भर बाद भी इस पर जमीनी स्तर पर काम नहीं किया जा सका है। जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर एलोपैथी पद्धति से उपचार चल रहा है। जबकि देश के अन्य राज्यों राजस्थान, त्रिपुरा और हरियाणा में आयुर्वेद से उपचार भी शुरू हो चुका है वहीं पंजाब, तेलंगाना, तमिलनाडु व छत्तीसगढ़ की सरकारों ने आदेश निकाल दिए हैं।

1100 सीएचओ की नियुक्ति हो चुकी है

उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयुर्वेद से उपचार करने के लिए 1100 कम्युनिटी हेल्थ आफीसर्स (सीएचओ) की नियुक्ति विभाग कर चुका है। इन्हें आयुर्वेद में उपचार का अच्छा अनुभव है। क्योंकि इन्होंने बीएएमएस (बैचलर आफ आयुर्वेद मेडिसिन इन सर्जरी) में डिग्री भी प्राप्त की है। नियुक्ति के बाद इन्हें छह माह का एलोपैथी प्रशिक्षण दिया गया था। ताकि नियुक्त यह सामुदायिक अधिकारी दोनों ही विद्याओं में बेहतर सेवाएं दे सकें।

यहां से सीएमएचओ लिख चुके हैं पत्र

डिंडोरी, सिवनी, मंडला, छिंदवाड़ा, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, सीधी, सिंगरौली से सीएमएचओ एनआरएचएम को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन आयुर्वेद उपचार शुरू नहीं करवाया गया है। उप संचालक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर एनएचएम मनीष सिंह का कहना है कि अगर आयुष विभाग के डा. आयुर्वेद में उपचार करना चाहते हैं तो वह स्वास्थ्य केन्द्रों पर सामंजस्य बनाकर लोगों का उपचार कर सकते है। इसके निर्देश दिए जा चुके हैं।

एलोपैथी में उपचार महंगा, इसलिए जरूरत

बता दें कि 26 जुलाई 2023 को भारत सरकार में स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव एवं मिशन निदेशक एलएस चांगसन ने इस संदर्भ में राज्यों को पत्र लिखा था। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को जो आदेश जारी किया था उसके पीछे कई कारण थे।

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