पर प्रकाश डाला गया
- प्रदेश में खरीद एवं वितरण व्यवस्था में गोलमाल
- पोर्टफोलियो से रिपोर्ट आने में 3-4 महीने लग जाते हैं
- इस वर्ष अभी तक 13 वैद्य अमानक सिद्ध होलें।
ब्युरो, नईदुनिया भोपाल। शासन की व्यवस्था और वितरण की व्यवस्था के लिए सरकारी विशेषज्ञ ही गोलमाल है। आस्थावान पार्टी से बिना वैज्ञानिक विचारधारा के ही विचारधारा का प्रयोग शुरू हो गया है। दवा आपूर्ति करने वाली कंपनी द्वारा दी गई प्रयोगशाला की गुणवत्ता रिपोर्ट में दवाओं के उपयोग के लिए बिल्कुल सही निर्देश दिए गए हैं।
ऐसे में अमानक औषधि मिलने के बाद उपयोग पर प्रतिबंध लगाने से पूर्व ही एक उपाय से अधिक औषधि खप दी जाती है। कारण, प्रोटोटाइप से लेकर रिपोर्ट आने तक में तीन से चार महीने लग जाते हैं।
दवा की आपूर्ति के बाद निर्धारित न्यूनतम भंडार में कोई भी गुणवत्ता प्रभावित नहीं हो सकती है। कई औषधियों की दुकान का तापमान 35 डिग्री से भी ऊपर रहता है जो 25 से 30 के बीच होना चाहिए। इस साल अब तक 13 साल पहले अमानक मिललडेल हैं, इस साल अब तक पांच मिली हुई हैं।
एनवाईएल प्रमाणित प्राप्त लैब की गुणवत्ता रिपोर्ट संस्थान के लिए आवश्यक है
असल में, दवा आपूर्ति करने वाली कंपनी के लिए प्रत्येक बैच की दवा आपूर्ति के साथ नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फार लेबोरेट्रीज (एनबीएबी) द्वारा प्रमाणित प्रयोगशाला की गुणवत्ता जांच रिपोर्ट की शर्त है। इस कारण सभी प्रयोगशालाओं में प्रयोगशाला से नमूने जांच के साथ ”’ओके”” रिपोर्ट भी भेजी जाती है।
इसके बाद पत्रिका में से स्टोर कीपर या फैक्ट्री इंस्पेक्टर द्वारा जब दस्तावेज़ जांच के लिए भेजा जाता है तो कुछ अमानक मिल जाते हैं। यह वैद्य मेडिकल वैज्ञानिको से संबद्ध सहयोगी से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य अनुसंधान तक में उपयोग के लिए जाते हैं। समुद्र तट से औषधियों का कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
हर साल प्रदेश में 400 करोड़ की दवाओं की खरीदारी
प्रदेश में लगभग 400 करोड़ की ज़रूरतें होती हैं। कुल बजट में 80 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले जिले में मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ प्लांट कारपोरेशन और अति आवश्यक है।
थर्ड पार्टी से जांच के बिना ही औषधियों के उपयोग को लेकर विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि जांच रिपोर्ट की जांच करने के लिए तीन से चार महीने तक चले जाएं, बाकी कंपनी से एन लैब लैब की रिपोर्ट जारी की जाती है।
या प्रदेश की लैब में अमानक मिलें इस वर्ष जो 13 दवा अमानक पाई गई वे तीन केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (सीडीटेल) कोलकाता में दो, सीटीएल इंदौर में एक, सीटीएल इंदौर में एक और शेष मप्र शासन की भोपाल में औषधि परीक्षण स्थित अमानकदेखें हैं।