MGNREGA में बड़ा गड़बड़झाला! एक ही जमीन में खोद डाले आठ पोखर

गोड्डा में मनरेगा योजना के नाम पर विकास मद की लूट मची है। यहां मनरेगा के कर्मियों की लापरवाही ने नियमों की धज्जियां उड़ा दी। चकरा पहाड़ गांव में एक ही जमीन पर पांच पोखरों की खुदाई की। सभी योजनाओं में फर्जी मास्टर रोल पर पेमेंट किया गया। ऑनलाइन डाटा पर जिन मजदूरों के खाते में भुगतान किया है।

गोड्डा के बोआरीजोर प्रखंड की कुसुमघाटी पंचायत में मनरेगा योजना के नाम पर विकास मद की लूट मची हुई है। यहां मनरेगा विंग के कर्मियों की लापरवाही ने मनरेगा के नियमों की धज्जियां उड़ा दी है। पंचायत के चकरा पहाड़ नामक गांव में एक ही जमीन पर मनरेगा के पांच पोखरों की खुदाई की गई। सभी योजनाओं में फर्जी मास्टर रोल पर पेमेंट किया गया है।

आनलाइन डाटा पर जिन मजदूरों के खाते में भुगतान किया है। वे मजदूर अन्य राज्यों में बीते पांच-छह माह से काम कर रहे हैं। जाब कार्ड के क्रम संख्या से जब इसकी पड़ताल की गई तो जाब कार्ड धारक की पत्नी संझली मुर्मू ने अपने पति के मोबाइल पर बात कराई जो कोलकाता की कंपनी में बीते पांच माह से कार्य कर रहे थे। जब मनरेगा योजना में काम करने की बात सामने आई तो मजदूर ने साफ इंकार कर दिय

200 मीटर की परिधि में आठ पोखरों का निर्माण

कुसुमघाटी पंचायत के चकरा पहाड़ी गांव में एक ही जमीन पर आठ पोखर के निर्माण का खुलासा हुआ है। आठ पोखर में कार्य नाम मात्र का हुआ लेकिन राशि की निकासी कर ली गई। 200 मीटर की परिधि में आठ पोखर की योजना संचालित होने पर अब पंचायत स्तर के कर्मियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। मनरेगा के तहत पोखर व डोभा निर्माण में प्रत्येक योजना की लागत तीन लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक होती है।

जाहिर है कि यहां मनरेगा मद में लाखों रुपये की हेराफेरी की गई है। विभागीय अभियंता से लेकर बिचौलियों तक के कमीशन में ही 30 से 40 प्रतिशत तक राशि खर्च हो जाती है। ऐसे में धरातल पर कितना काम उतरता है, यह देखने वाली बात है।

मनरेगा में भी श्रृंखलाबद्ध पोखरों के निर्माण हाे रहे

बता दें कि जिले में श्रृंखलाबद्ध चेकडैम की तर्ज पर अब मनरेगा में भी श्रृंखलाबद्ध पोखरों के निर्माण हाे रहे हैं। हाल में ही श्रृंखलाबद्ध चेकडैम निर्माण में अनियमितता का मामला प्रकाश में आया तो लघु सिचाई विभाग के मुख्य अभियंता पर निरीक्षण में लापरवाही बरतने पर विभागीय कार्रवाई करते हुए उन्हें पद मुक्त कर दिया गया था।

चकरा पहाड़ी की मनरेगा योजनाओं का निरीक्षण किया गया है। गांव में एक ही दाग नंबर पर योजनाएं नहीं ली गई है। मनरेगा में अधिक से अधिक मजदूरों काे राेजगार मुहैया कराने के लिए मिट्टी वर्क की योजनाएं ली गई है। पंचायत सेवक और रोजगार सेवक को इसके लिए खबरदार किया गया है। अन्य गांवों में भी योजनाएं संचालित करने का निर्देश दिया गया है। – सोनी मुर्मू, मुखिया, कुसुमघाटी पंचायत।

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