बच्चों को ब्रश पकड़ा कर उन्हें कलाकार की तमन्ना लिये रफ्ता -रफ्ता आगे बढ़ रहा है युवा चित्रकार संजीव कुमार डे।पूर्व से ही संजीव कई स्कूलों तथा संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच चित्रकला व हस्तकला का नींव मजबूत करते रहे हैं। चित्र व हस्तकला को संवारने का काम वे सहज रुप से करते रहे हैं। संजीव की यह हुनर आधुनिक समाज के लिए महत्वपूर्ण व प्रासंगिक है। इनका कलाकृतियां समाज के सामने आंखों पर से पर्दा हटा जाता है। इन्होंने चित्रांकण व हस्तकला के क्षेत्र में प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ एवं भारतीय संगीत संस्कृति समसद से विराशद की उपाधि हासिल की है। विनोवा भावे विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री तथा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से शिक्षक प्रशिक्षण पूरी की है। संजीव हस्तकला व चित्रकला में निखार में और निखार लाने को साधना मानते हैं। समाज के बच्चों को निःशुल्क सीखाने का एक जुनून है जिसे वह पूजा मानते हैं। वैसे उत्कृष्ट चित्रकला को लेकर कई बार सम्मानित हो चुके हैं। फिलहाल बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर अपने स्वजनों की गाड़ी खींच रहे हैं। एमएससी के बाद ये डिनोबली स्कूल सिजुआ के रसायन शास्त्र के तत्कालीन शिक्षक नंदलाल मुखर्जी के सानिध्य में चित्रकला को अपने आप में उतारने लगा और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।इसके बाद बंगाल प्रसिद्ध चित्रकार सप्तम पांजा तथा प्रीतम पांजा से इस क्षेत्र में बहुत कुछ सीखा। उनका मानना है कि वे आदिबहुल क्षेत्र के बच्चों के बीच इसे बांटे ताकि प्रकृति की गोद में पलने वाले बच्चे आस पास पड़े बेकार समानोंं को उपयोग में ला सके।
Nationalism Always Empower People
More Stories
Chirag Paswan झारखंड में 23 नवंबर के बाद ‘डबल इंजन’ सरकार बनेगी
Assembly Election झारखंड में दूसरे चरण की 38 सीटों पर थमा प्रचार…
Giriraj Singh झारखंड की जनता ध्यान रखे, रांची को कराची न बनने दें: गिरिराज सिंह