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चार माह से 15वें वित्त आयोग की राशि नहीं हो पा रही खर्च

राज्य की पंचायतों में 15वें वित्त आयोग की राशि पड़ी है, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. भारत सरकार ने जुलाई महीने में ही पंचायतों के लिए राशि दी थी. इसके बाद राज्य सरकार ने भी राशि खर्च करने की अनुमति दे दी थी. झारखण्ड में 15वें वित्त आयोग की राशि खर्च से जुड़ी हर Hindi News से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.करीब 632 करोड़ रुपये रिलीज कर दिये गये थे. पर इस मद की राशि चार महीने से पंचायतों में पड़ी हैं. उसका खर्च नहीं हो पा रहा है. इसलिए गांव में विकास की योजनाएं नहीं ली जा रही है.

इस मामले की जानकारी मिलने पर ग्रामीण विकास सचिव आराधना पटनायक ने इसे गंभीरता से लिया है. साथ ही उन्होंने सारे उप विकास आयुक्तों को यह निर्देश दिया है कि हर हाल में दिसंबर तक सारी राशि खर्च करा ली जाये. सचिव ने कहा है कि किसी भी हाल में राशि खर्च करने से पंचायतों को ना रोका जाये.

उन्होंने कहा कि उन्हें यह सूचना मिली है कि पंचायतों को राशि खर्च करने से रोका जा रहा है. ऐसा प्रखंड विकास पदाधिकारियों के स्तर पर हो रहा है. सचिव ने कहा कि प्रखंड विकास पदाधिकारी का काम मॉनिटरिंग करना और अनियमितता को रोकना है. उन्हें राशि खर्च करने से रोकने का अधिकार नहीं है.

ऐसे में यह चिह्नित किया जाये कि किन प्रखंड विकास पदाधिकारियों के स्तर पर पंचायतों को राशि खर्च करने से रोका गया है. इसके बाद उन प्रखंड विकास पदाधिकारियों पर अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा भेजी जाये, ताकि उन पर कार्रवाई हो सके. सचिव ने लिखा है कि राशि जुलाई माह में ही रिलीज कर दी गयी थी. इसके बाद विभाग ने कार्य कराने के लिए पत्र भी जारी किया था.

रांची. प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत राज्य में बन रहे आवासों में से एक लाख से ज्यादा आवास पेंडिंग हैं. ग्रामीण विकास सचिव ने योजनाओं की समीक्षा में पाया कि 100719 आवास लंबित हैं. इसे सचिव ने गंभीरता से लिया है. सचिव ने कहा कि यह अत्यंत ही चिंता का विषय है.

इन आवासों में से 74055 आवास 2019-20 के हैं. सचिव ने अधिकारियों से कहा कि 2019-20 के आवास का फंड ट्रांसफर आर्डर ( एफटीओ ) एक साल तक लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि किसी भी हाल में इतने आवास पेंडिंग नहीं होने चाहिए थे. इन्हें समय रहते पूरा करने की जरूरत है. सारे अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वह 15 दिसंबर तक हर हाल में पेंडिंग आवासों को पूरा करें. अभी जो प्रगति धीमी है, उससे काफी तेज करने की जरूरत है. इसके बाद निर्धारित अवधि तक काम पूरा करा लेने को कहा गया है.

इधर कुछ मुखिया ने कहा कि अधिकतर जगहों पर राशि निकासी नहीं हो पा रही है, जबकि कुछ जगहों पर इस राशि से काम हो रहे हैं. उनका कहना है कि राशि निकासी के लिए मुखिया के साथ पंचायत सचिव का हस्ताक्षर आवश्यक होता है, लेकिन प्रखंड विकास पदाधिकारियों के स्तर पर हस्तक्षेप हुआ है और पंचायत सेवकों को मौखिक निर्देश दे दिया गया है कि वे इस मामले में टालमटोल करें. इस वजह से राशि की निकासी नहीं हो पा रही है और काम लटका हुआ है.

उनका कहना है कि चूंकि दिसंबर माह में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, ऐसे में पंचायतों में कामकाज का अधिकार सीधे रूप से प्रखंड विकास पदाधिकारियों का हो जायेगा. इसको देखते हुए पंचायतों को काम करने या राशि निकासी करने से रोका जा रहा है.