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भू-अर्जन घोटाले में अफसरों व कर्मियों पर होगी प्राथमिकी, सीएम ने कार्रवाई के प्रस्ताव को दी मंजूरी

धनबाद में हुए भू-अर्जन घोटाले में आरोपी पदाधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जायेगी. वहीं, धनबाद में आइएसएम के विस्तार के लिए 3.02 एकड़ जमीन अधिग्रहण के मुआवजा में अनियमितता के मामले में भी दो अफसरो पर प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. मुख्यमंत्री ने उक्त दोनों मामलों में कार्रवाई से संबंधित प्रस्ताव पर स्वीकृति दे दी है. दोनों मामलों की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कर रहा है.

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद हीरक रिंग रोड के गोलकाडीह में भू-अर्जन प्रक्रिया में की गयी गड़बड़ी मामले में तत्कालीन एलआरडीसी लालमोहन नायक, तत्कालीन प्रभारी कानूनगो विजय कुमार सिंह, तत्कालीन अमीन श्यामपद मंडल, कार्यालय सहायक रामाशंकर प्रसाद, तत्कालीन नाजीर मो जिलानी (रिटायर्ड), तत्कालीन कार्यपालक अभियंता राजकुमार प्रसाद, तत्कालीन सहायक अभियंता अरुण कुमार सिंह, तत्कालीन कनीय अभियंता जगतानंद प्रसाद, अधिवक्ता रमेश प्रसाद व अन्य पर प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी. वहीं, आइसीएम से संबंधित मामले में तत्कालीन जिला भू-अर्जन पदाधिकारी उदयकांत पाठक व तत्कालीन एलआरडीसी नारायण विज्ञान प्रभाकर पर भी प्राथमिकी दर्ज की जायेगी.

झरिया पुनर्वास प्राधिकार ने वर्ष 2010 में बाघमारा के तिलाटांड में 59.4 एकड़ भूमि अर्जित करने का प्रस्ताव दिया था. भू-अर्जन के लिए तत्कालीन उपायुक्त ने अनुमोदन किया. वर्ष 2013 में आरोपी पदाधिकारी उदयकांत पाठक ने रैयतों को मुआवजा भुगतान करने के लिए सक्षम पदाधिकारी से दर निर्धारित कराये बिना 15 रैयतों के बीच 20 करोड़ की राशि का भुगतान का आदेश दे दिया. उन्होंने भू-अर्जन अधिनियम आैर झारखंड स्वैच्छिक भू अर्जन नियमावली की अवहेलना करते हुए प्रभावित रैयतों से सहमति पत्र प्राप्त कर मुआवजा भुगतान करने के लिए दखल कब्जा प्राप्त करने से संबंधित निर्देशों का पालन नहीं किया.

रैयतों को भुगतान की कार्यवाही के बाद पंचाट की घोषणा नहीं कर अभिलेख को व्ययगत घोषित कर दिया. इसमें 11 रैयतों को जोड़ापोखर पैक्स के माध्यम से भूमि का बगैर दखल कब्जा प्राप्त किये राशि भुगतान करायी गयी. धनसार में संबंधित रैयतों को भुगतान की गयी राशि बिचौलियों द्वारा निकाल ली गयी.

आइएसएम का विस्तार करने के लिए धनबाद में किये गये 3.02 एकड़ जमीन के अधिग्रहण में मुआवजा देने में अनियमितता बरती गयी थी. जमीन दलालों और प्रशासन की मिलीभगत से धैया मौजा में जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना दो बार जारी की गयी. पहली बार नौ अगस्त 2012 को प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की. एक साल बाद 13 सितंबर 2013 को उपायुक्त के आदेश पर दोबारा अधिसूचना जारी की गयी. इसमें आपात परिस्थिति में जमीन अधिग्रहण की बात बतायी गयी. इन दोनों अधिसूचना के बीच कुछ खास लोगों ने धैया मौजा की जमीन खरीद ली. औने-पौने दाम में रैयतों से रजिस्ट्री करा ली. खरीद-बिक्री पर रोक होने के बावजूद जमीन बेची गयी. राशि भुगतान के लिए वंशावली की जानकारी भी नहीं ली गयी.