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फेफड़े ही नहीं, पैंक्रियाज भी प्रभावित कर रहा वायरस

दुनिया भर के डॉक्टर और वैज्ञानिक कोरोना वायरस के दुष्प्रभावों का अब तक पूरी तरह से आकलन नहीं कर पाये हैं. संक्रमण से उबर चुके लोगों को जब स्वास्थ्य से जुड़ी नयी समस्याएं आती हैं, तो पता चल पा रहा है कि कोरोना वायरस ने न केवल उनके फेफड़ों, बल्कि अन्य अंगों को भी प्रभावित किया है. चिकित्सकों के अनुसार, कोरोना संक्रमित व्यक्ति का पैंक्रियाज भी प्रभावित होता है. ऐसा होने से संक्रमित के शरीर में इंसुलिन का उत्सर्जन कम हो जाता है और उसका शुगर लेवल बढ़ जाता है.

डायबिटीज (मधुमेह रोग) के विशेषज्ञों के अनुसार, बीटा सेल से ही इंसान के शरीर में इंसुलिन बनता है. जब व्यक्ति कोरोना की चपेट में आता है, तो उसका पैंक्रियाज भी प्रभावित होता है, जिससे बीटा सेल कमजोर हो जाता है.

इससे इंसुलिन का उत्सर्जन कम होने लगता है. कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने पर पता चलता है कि उनको डायबिटीज है. डॉक्टरों के अनुसार, ऐसे लोग प्री-डायबिटिक होते हैं, लेकिन जांच नहीं कराने से शुगर की बीमारी का पता नहीं होता है. अस्पताल में भर्ती होने पर आवश्यक जांच में जानकारी मिल रही है. अस्पताल के ओपीडी में भर्ती संक्रमितों में ऐसी समस्या आ रही है. 10 में एक से दो ऐसे मरीज मिल रहे हैं, जिनका शुगर लेवल बढ़ा मिल रहा है.

संक्रमण से उबर चुके लोगों का शुगर लेवल भी हो रहा असंतुलित : डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमण से उबर चुके कई लोगों का शुगर लेवल असंतुलित हो जा रहा है. प्यास लगने, चक्कर आने, थकावट व यूरिन की समस्या आने पर जब वह डॉक्टर के पास जा रहे हैं, तो जांच में असंतुलित शुगर की जानकारी मिल रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना होने पर कई संक्रमितों को स्ट्राइड चलाया जाता है. इससे भी शुगर का लेवल बढ़ जाता है. कई लोगों में दवा का डोज खत्म होने पर शुगर का स्तर सामान्य हो जा रहा है, लेकिन कई लोगों का शुगर बढ़ा हुअा ही रह रहा है.

डायबिटीज के मरीजों को शुगर के स्तर को नियंत्रित रखना चाहिए. अगर शुगर का स्तर नियंत्रित रहेगा, तो कोरोना की चपेट में आने पर भी शरीर पर ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा. डायबिटीज से पीड़ित मरीज को भरपूर नींद लेनी चाहिए. नियमित व्यायाम करना चाहिए व दवाएं जो पहले से चल रही है उसको जारी रखना चाहिए.

कोरोना वायरस पैंक्रियाज पर सीधा अटैक करता है. पैंक्रियाज प्रभावित होने से शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे शुगर का लेवल बढ़ जाता है. तनाव के कारण भी शुगर का लेवल बढ़ जाता है. यदि संक्रमित लोग हाई कैलोरी लेते हैं, लेकिन शारीरिक मेहनत नहीं करते हैं. इस कारण भी शुगर का स्तर बढ़ रहा है. पोस्ट कोविड ऐसे कई लोग परामर्श ले रहे हैं.