PM Modi Black Flag Showing Case: पीएम नरेंद्र मोदी को काला झंडा दिखाने के मामले में झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन और पूर्व सांसद समेत 13 आरोपी बरी हो गए. जेआरडी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया था.
PM Modi Black Flag Showing Case: जमशेदपुर-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काला झंडा दिखाने, सड़क जाम करने और सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन, पूर्व सांसद सुमन महतो समेत झामुमो पार्टी से जुड़े 13 आरोपियों को जमशेदपुर न्यायालय की न्यायिक दंडाधिकारी सुशील सोरेंग की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. इस मामले में एक आरोपी बधुआ उरांव का निधन हो गया था. इसलिए उनके बेल बॉन्ड को निरस्त कर दिया गया.
24 अप्रैल 2016 का है मामला
यह मामला 24 अप्रैल 2016 को सोनारी थाना में दर्ज किया गया था. घटना के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जेआरडी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित किसान सम्मेलन को संबोधित करने के लिए आना था. उस दिन झामुमो की ओर से उनका विरोध करने और सोनारी हवाई अड्डा के गेट के सामने प्रदर्शन कर काला झंडा दिखाने की योजना बनाई गयी थी. जानकारी मिलने पर जिला पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे. इस दौरान कदमा से पूर्व सांसद सुमन महतो, अजय रजक और अन्य लोग जुलूस लेकर सोनारी हवाई अड्डा के पीछे पहुंचे थे, जबकि वहां पहले से ही शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन, अजय रजक, शैलेंद्र महतो, योगेंद्र कुमार निराला, मोहन कर्मकार, हेमंत पाठक, बाबर खान, पवन सिंह, नरोत्तम कुमार, लालटू महतो और जगन्नाथ महतो भी मौजूद थे. इन सभी को आरोपी बनाया गया था.
चार्जशीट और गवाहों की अनुपस्थिति
सोनारी पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दायर कर सभी के खिलाफ मुकदमा चलाने का आग्रह किया था. पुलिस ने इस मामले में छह पुलिसकर्मियों को गवाह के रूप में प्रस्तुत किया था. मामले की सुनवाई 18 जून 2019 को शुरू हुई, लेकिन इस दौरान केवल एक महिला पुलिसकर्मी, रुपम कुमारी, गवाही देने के लिए कोर्ट में उपस्थित हुई. उन्होंने आरोपियों को पहचानने से इनकार किया. इसके अलावा, अन्य पांच गवाहों के खिलाफ कई बार सम्मन और वारंट भेजे गए, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए.
कोर्ट का फैसला
आखिरकार, जमशेदपुर कोर्ट में आरोपियों की ओर से वरीय अधिवक्ता जीसी बाराट बाबला और अधिवक्ता नीलांजल बाराट ने मामले में अपील करते हुए आरोपियों को बरी करने का अनुरोध किया. कोर्ट ने साढ़े पांच साल चली कार्यवाही में गवाहों के अनुपस्थित रहने और साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला दिया. अधिवक्ता जीसी बाराट ने कहा कि पुलिस ने उनके मुवक्किलों को बिना किसी ठोस कारण के परेशान करने के लिए मामला दर्ज किया था.
ये भी पढ़ें: Maiya Samman Yojana: मंईयां योजना के लिए धनबाद में आपस में ही भिड़ गयीं महिलाएं, देखें Video