Ranchi News: रांची जिला भू-अर्जन कार्यालय को खाता नंबर-89 के रैयत नहीं मिल रहे हैं. प्रशासन 16 लाख रुपए मुआवजा देने के लिए उन्हें खोज रहा है. इसे लेकर पूरा कार्यालय परेशान है.
Ranchi News: रांची-पिछले एक माह से जिला भू-अर्जन कार्यालय को खाता नंबर-89 के रैयत नहीं मिल रहे हैं. इसे लेकर पूरा कार्यालय परेशान है. कर्मचारी लगातार गांव जा रहे हैं और रैयत को ढूंढ रहे हैं. खाता नंबर-89 के रैयत बिरसा मुंडा और अन्य हैं, जो चेरी (मनातू) गांव के रहनेवाले हैं. रैयत को ढूंढने के लिए कार्यालय की ओर से तमाम तरह की कोशिशें भी की गयीं.
अखबार में नोटिस का कराया प्रकाशन
अखबार में नोटिस का प्रकाशन कराया गया, संबंधित रैयतों के नाम से मुहल्ले में एनाउंस भी कराया गया, रैयत का पता चल सके, इसके लिए गांव के पंचायत भवन में नोटिस भी लगा दिया गया है, लेकिन रैयत अब तक नहीं मिल पाया है. दरअसल, सेंट्रल यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए 139 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था. इनमें से 123 एकड़ जमीन के रैयतों को मुआवजा देने की प्रक्रिया जारी है. करीब 15.82 एकड़ अधिग्रहित भूमि का मुआवजा देना शेष रह गया है. इसी 15 एकड़ में खाता नंबर 89 भी शामिल है. खाता नबंर-89 के रैयत को करीब 16 लाख रुपये मुआवजा मिलना है. जानकारी के मुताबिक कुल 13 अवार्ड हैं, इनमें से नौ अवार्ड का मुआवजा दे दिया गया है. कुल मिलाकर 57 करोड़ का मुआवजा दिया जाना है. इनमें से 50.50 करोड़ रुपये के मुआवजे का वितरण कर दिया गया है.
कुछ रैयतों ने मुआवजा लेने से किया इनकार
बताया गया कि कुछ रैयतों ने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है. कार्यालय की ओर से उन रैयतों से कहा गया है कि मुआवजा ले लें अन्यथा मुआवजे की राशि को न्यायालय को सुपुर्द कर दिया जायेगा.
प्रशासन ने रैयतों की तलाश के लिए क्या किया?
गांव में नोटिस चिपकाया गया
मोहल्ले में लाउडस्पीकर से घोषणा करायी गयी
अखबारों में नोटिस प्रकाशित करवाया गया
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