गणतंत्र दिवस 2025: पलामू के रहने वाले अमिय कुमार घोष नीकी गोपा बाबू बाबू संविधान सभा के सदस्य थे. संविधान सभा में वाइस प्रेसिडेंट ने अचानक आर्टिकल 4 से जुड़े संशोधनों पर चर्चा शुरू की, तो इसका गोपा बाबू ने विरोध किया। वाइस प्रेसिडेंट ने उनसे कहा कि घर में खुशहाली के लिए वह एक निर्णय ले रहे हैं, इस पर अमिया बाबू ने कहा कि यह भी एक रास्ता है। 18 नवंबर 1948 को संविधान सभा में अनुच्छेद 4 पर संशोधन पेश करने की जब तैयारी हुई, तो अमिय घोष कुमार और वाइस प्रेसिडेंट डॉ. पची मुखर्जी के बीच क्या बातें सामने आईं, इसके बारे में आपको बाद में बताया गया है। पहले यह बताते हैं कि इस दिन गोपा बाबू के साथ और रिश्तेदारों ने बहस में भाग लिया था। अमिय कुमार घोष के अलावा नजीरुद्दीन अहमद, साहिब बहादुर साहब अली बेग, एचवी कामत, सृजुत रोहिणी कुमार चौधरी, शिब्बन लाल सक्सा, डॉ. बीआर अंबेडकर, सेठ गोविंद दास, के संतनम, उपाध्यक्ष डॉ. शेख मुखर्जी, एम अनंतसयनम अयंगर, बी पोकर साहिब बहादुर , लोकनाथ मिश्र और महावीर स्वामी को भी बोलने का मौका मिला।
18 नवम्बर 1948 को संविधान सभा में गोपा बाबू क्या बोले?
अब जान सहयोगी कि 18 नवंबर 1948 को गोपा बाबू ने अपने घर में क्या कहा था। वाइस प्रेसिडेंट ने जब अमिय कुमार घोष नाइक गोपा बाबू को बोलने का मौका दिया, तो उन्होंने कहा कि सामान्य नियम यह है कि बहस क्रमवार तरीके से आगे बढ़े, लेकिन हम पार्ट 1 से सीधे पार्ट 4 पर आ रहे हैं। हमें पार्ट 2 और पार्ट 3 में कई संशोधन थे। हम उसकी तैयारी कर चुके थे, लेकिन लॉर्ड्स सीधे पार्ट 4 के संशोधन पर आ गया है। इससे हमारी बढ़ी समस्या बढ़ गई है। पार्ट 4 में हमारे पास कई संशोधन हैं।
वाइस प्रेसिडेंट ने अमिय कुमार घोष को टोका
इस पर वाइस प्रेसिडेंट ने उन्हें टोकते हुए कहा, ‘आप इस बात को मानेंगे कि हमें सदनों की कार्यवाही आगे बढ़ानी चाहिए।’ इस पर अमिया बाबू ने कहा, ‘लेकिन ये भी एक तरीका है सर।’ वाइस प्रेसिडेंट ने अमिया बाबू को यह रंगीन चित्रों की कोशिश की, ‘आप मेरी इस बात से भी सहमत हो गए कि यह सदन के हित में होगा कि जिन लोगों ने संशोधन (संशोधन) भेजे हैं, उन्हें मसौदा समिति के सदस्यों के साथ उस पर बहस करें करने और बनाने का अवसर मिलना चाहिए। यह न केवल मकानों के लिए अद्भुत होगा, बल्कि मकानों के समय की भी बचत होगी। इसी वजह से हमने पार्ट 2 और पार्ट 3 को एक अपवाद स्वरूप आगे बढ़ाने की सोची है। मुझ पर विश्वास करें कि मेरे इस प्रस्ताव को पूरे सदन का समर्थन प्राप्त है।’
कुमार अमित घोष ने सदन में दोपहर 3 बजे तक की समीक्षा की
इस पर अमिय कुमार घोष ने कहा, ‘सर, मैं आपसे निवेदन करता हूं कि अभी हाउस को ट्रांसफर करा दिया जाए।’ 12 बजने वाले हैं. हम कुछ देर के युद्ध के बाद फिर 3 बजे बैठ सकते हैं।’ इस पर वाइस प्रेसिडेंट ने कहा, ‘मैं आपके इस प्रस्ताव पर विचार कर सकता हूं।’
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19 नवंबर 1948 को सुबह 10 बजे से सदन तक
अमिय कुमार घोष की इस बात के बाद काजी सईद करीमुद्दीन, एम अनंतसयनम अयंगर, बी पोकर साहिब बहादुर, लोकनाथ मिश्र, महावीर महावीर, ने भी अपनी बातें रखीं। सभी की बातें सुनने के बाद वाइस प्रेसिडेंट ने सदन की कार्यवाही 19 नवंबर 1948 को सुबह 10 बजे तक के लिए स्थिर कर दी।
23 नवम्बर 1948 को संविधान में अनुच्छेद 32 और 33 शामिल हुए
23 नवम्बर 1948 को संविधान सभा में अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 33 को संविधान में शामिल किया गया। इसके बाद अनुच्छेद 34 पर चर्चा शुरू हुई। चर्चा की शुरुआत महावीर स्वामी ने की। इसमें भी गोपा बाबू ने अपना पक्ष रखा। महावीर स्वामी ने संशोधन पेश किया। उन्होंने भाषण दिया और अपनी बात रखी। टीटी रामलिंगम चेट्टियार ने अपने संशोधन में कुछ संशोधन करने की बात कही। इस पर वाइस प्रेसिडेंट ने पूछा, ‘क्या आप आर्टिकल में कुछ जोड़ना चाहते हैं, जो पहले ही चेन्ज और पास हो चुका है?’
अमिय घोष ने टीटी रामलिंगम चेट्टियार के प्रस्ताव का विरोध किया
टीटी रामलिंगम चेट्टियार ने कहा कि अब इस लेख पर विचार किया जा रहा है। इस पर अमिय कुमार घोष ने कहा, ‘सर, गुप्ता नाथ सिंह ने ऐसा ही एक संशोधन पेश किया है, जो वास्तव में आदर्श है, जिस पर हम विचार कर रहे हैं।’ ‘संशोधन संख्या 954.’ टीटी रामलिंगम चेट्टियार ने कहा, ‘मैं जो प्रस्ताव लाने जा रहा हूं, वो मिस्टर वकील के संशोधन में है।’
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अमिय घोष बोले- नए क्लॉज 34-ए में कोई नई बात नहीं है
इस पर अमिय कुमार घोष ने कहा, ‘नया क्लॉज 34-ए, जिसे पेश करने की मांग की जा रही है, वह बिल्कुल वैसा ही है। यह कहावत है- राज्य सरकार को लघु उद्यमों को विकसित करना चाहिए और संभावित रूप से आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।’
वाइस प्रेसिडेंट ने अमिया घोष से कहा- अपनी सीट पर बैठो
अमिया बाबू और चेट्टियार की बातों के बीच एक सदस्य ने वाइस प्रेसिडेंट से बात करते हुए कहा, ‘क्या एक ही समय में दो लोगों को सदन में बोलने का अधिकार दिया गया है?’ इस पर वाइस प्रेसिडेंट ने कहा, ‘दो लोग नहीं बोल रहे हैं।’ आप ग़लत कर रहे हैं. मिस्टर घोष कृपया आप अपनी सीट पर बैठ जाएँ।’ फिर वाइस प्रेसिडेंट ने चेट्टियार से मुखातिब होते हुए कहा, ‘मिस्टर चेट्टियार, आपने अपना संशोधन प्रस्ताव क्या दिया है?’ टी टी रामलिंगम चेट्टियार बोले, ‘यह संशोधन है सर।’
अमिया बाबू ने महावीर स्वामी के संशोधन को शामिल करने का फिर से विरोध किया
अब अमिय कुमार घोष उठे. उन्होंने कहा, ‘मिस्टर वाइस प्रेसिडेंट, मैं कह रहा था कि पहले से एक संशोधन (नंबर 954) मौजूद है। महावीर स्वामी के नये संशोधन को लेने से बेहतर यह है कि हम 954 नंबर के संशोधन को आगे बढ़ाते हैं, जिसका अर्थ वही है। मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि हमें महावीर स्वामी के संशोधन के बदले यह संशोधन क्यों देना चाहिए।’
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औद्योगिक उद्योग और आत्मनिर्भर बनाने का प्रस्ताव था
गोपा बाबू ने आगे कहा, ‘मेरे दोस्त एक ऐसा संशोधन पेश कर रहे हैं, जो पहले से ही सदन में मौजूद है। मेरा कहना है कि गुप्ता नाथ सिंह के नाम से पहले जब एक संशोधन सदन में उपस्थित हुआ, तो दूसरे संशोधन प्रस्ताव की क्या जरूरत है। गुप्ता नाथ सिंह का संशोधन है कि राज्य को एक लघु कंपनी को विकसित करना चाहिए और उसे बढ़ावा देना चाहिए। राज्य सरकार को भी जिला को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देना चाहिए। इसके लिए दूसरा संशोधन पेश करने की आवश्यकता नहीं है। यदि संशोधन पेश करने वाले को संकल्प न हो, तो हमें संशोधन संख्या 954 पर बहस करनी चाहिए और इसे क्लॉज 34-ए के रूप में स्वीकार करना चाहिए। इसके बाद इस विषय पर बहस शुरू हुई। इस विषय पर एच.वी. कामत, एस.
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