बकरी, निसार-स्पोर्ट्स क्लिंबिंग. झारखंड के प्राकृतिक और भौगोलिक स्वरूप के संरचनात्मक खेल वाले इस खेल की खासियत को देखते हुए टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) ने कोल्हान में इसे विकसित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए बच्चों और आसपास के आठ स्थानों पर क्लाइंबिंग वॉल का उपयोग किया जाता है, बच्चों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन दस्तावेजों में इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (आई स्टॉल) मानक के वॉल लगाए गए हैं। इसकी मंजिल 13 फीट है। फाउंडेशन ने यहां प्रशिक्षक भी नियुक्त किये हैं। इन दस्तावेजों में छह साल से 18 साल की आयु वर्ग के 500 बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रत्येक केन्द्र पर 60 बच्चों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। ट्रेनिंग सुबह और शाम 90-90 मिनट की होती है. यहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी की जा रही है, जो खिलाड़ी भविष्य में देश का नाम रोशन करेगा।
ओलंपिक में तीन घटनाएँ घटती हैं
स्पोर्ट्स क्लिंबिंगशारीरिक और मानसिक रूप से क्लाइंबिंग खेल, ओलंपिक में शामिल इस खेल में तीन घटनाएं होती हैं। एक 15 मीटर वॉल स्पीड और दूसरी लीड क्लाइंबिंग। बोल्डरिंग इवेंट पर तीसरा बोल्डरिंग वॉल। इन इवेंट में क्लिक करें अपने बॉडी वेट का उपयोग करके ऊपर की ओर चढ़ें।
यहां पहुंचे हैं सेंटर
पीपला, तुमुंग, डिमना बाबूडीह, परसुधी, स्टेपा बाजार के घाट, राजनगर, और टिनप्लेट में सेंटर गोदाम गए हैं, जहां क्लाइंबिंग वॉल जगह गए हैं। इसके अलावा शहर के स्कूलों में सप्ताह भर के लिए टेंपेरी क्लाइंबिंग वॉल जगहें मिलती हैं, जिससे बच्चे को यह खेल समझ में आता है।
ग्रामीण इलाकों से आ रहे हैं इंटरनेशनल क्लाइंबर
टीएस एएफ की ओर से चलाए जा रहे इस प्रोजेक्ट के तहत अभी तक कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी उभरकर सामने आए हैं। इन खिलाड़ियों में सोनिया, नंदनी, भोज बिरुआ, जोगा ब्राजील, किरण, हरप्रीत और रौनित बनारस के नाम शामिल हैं। इसके अलावा कई क्लब नेशनल टूर्नामेंट में अच्छा कर रहे हैं।
इंस्टिट्यूट का पूरा प्रॉविजन है
फाउंडेशन ने जहां-जहां क्लाइंबिंग वॉल प्लेस हैं, वहां पर प्लेयर्स की रेजिडेंट्स का पूरा ध्यान रखा जाता है। बच्चों को हार्नेस, रोप और चॉक पाउडर की सलाह दी जाती है। ये सभी उपकरण काफी महंगे हैं। हार्नेस की कीमत 3500 से 5000 रुपये से शुरू होती है। ट्रेनिंग में इस्तेमाल के बाद प्लेयर्स से ये सामान वापस ले लिए जाते हैं।
2020 टोक्यो ओलंपिक में शामिल किया गया
इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग को 2020 टोक्यो ओलंपिक में पहली बार जगह दी। इसके बाद भारत में इस खेल का विकास धीरे-धीरे हो रहा है। लेकिन टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन इसे लेकर काफी संजीदा है। इसे बढ़ावा देने के लिए टीएस एएफ ने देश में पहली बार क्लाइंबिंग अकादमी की स्थापना की।
कोल्हान की उभरती खिलाड़ी हैं घाटशिला की सोनिया
स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग में कोल्हान से सबसे प्रतिभावान खिलाड़ी सोनिया समद हैं। घाटशिला रेजिडेंट सुप्रिया पीपल के टीएस एएफ सेंटर में प्रैक्टिस करती हैं। वर्ष 2021 में वह पहली बार इस केंद्र में प्रशिक्षण के लिए गए। कड़ी मेहनत की दुर्भाग्य वह अब तक जूनियर, सब जूनियर और यूथ जूनियर में मेडल जीत चुके हैं। एशियाई युवा और एशियाई बच्चे जैसे अंतर्राष्ट्रीय खेल में खेल गैलरी सोनिया ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। सावित्री के पिता सतारी समद किसानी करते हैं और माता सांता समद गृहिणी हैं। माता-पिता मुश्किल से परिवार चलाना चाहते हैं, लेकिन बेटी के सपने को उड़ान देना चाहते हैं, जिसमें एएफ मदद कर रही है।
ओलिंपिक में मेडल जीतना है लक्ष्य: शेखेंद्री पाल
टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के पूर्व प्रमुख और मार्गदर्शक शेलेंद्री पाल ने बताया कि ओलंपिक पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग को पूरे क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है। भारत में ये गेम 90 में ही आ गया था, लेकिन लोग इसे लेकर गंभीर नहीं थे। लेकिन जब से यह खेल ओलिंपिक में शामिल हुआ है, तब से संस्थाएं गंभीर हो गई हैं। कई जगहों पर इस खेल के खिलाड़ी को नौकरी भी दी जा रही है, जिसमें डिफेंस सेक्टर प्रमुख हैं।
ग्रास विकसित रूट करना उद्देश्य: वैशाली गुप्ता
फाउंडेशन के प्रमुख माइकल गुप्ता ने बताया कि भारत में इस खेल को लेकर इतनी जागरूकता नहीं है। इसलिए लोगों का जुड़ना कठिन है। लोगों को जोड़ने और ग्रास रूट को मजबूत करने के लिए ग्रामीण इलाकों में चढ़ने की जगह बनाई गई है। इसके अलावा जे.डी.ए. टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में एडवांस ट्रेनिंग दी जाती है। यहां भारत की सबसे बड़ी 13 फीट ऊंची चढ़ाई वाली दीवार और 15 फीट ऊंची चढ़ने वाली दीवार है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे तीन दूर नहीं आ रहे हैं। इसलिए हम स्काउटिंग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र से अच्छे खिलाड़ियों को चुनकर जेआरडी कॉम्प्लेक्स में लाते हैं और एडवांस ट्रेनिंग देते हैं।
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