मकर संक्रांति 2025: देवघर-देवघर के प्रमुख देवों के निवास स्थान और देवों के देव यानी बाबा भोलेनाथ की नगरी के रूप में हैं। यहां हर पर्व-त्योहार बाबा मंदिर से महाराज की परंपरा चली आ रही है। लोग बाबा मंदिर से ही किसी पर्व-त्योहार की शुरुआत करने की परंपरा का ज़िक्र करते हैं। माघ शीर्ष मकर संक्रांति तिथि पर भी लोगों ने बाबा पर तिल का टीका लगाने के साथ दिन की शुरुआत की। परंपरा के अनुसार सरदार सुबह की पूजा के दौरान बाबा को तिल दिया गया था, वहीं दो में बाबा सहित सभी देवी देवताओं के अवशेष और दही का भोग लगाया गया था।
सुबह तय समय पर खुला मंदिर का पट
अहले सुबह बाबा मंदिर का पटाक्षेप के बाद कांचा जल पूजा के बाद बाबा की सरदारी पूजा की शुरुआत हुई। इस पूजा में बाबा को षोडशोपचार विधि से पूजा के दौरान पूजा सामग्री में तिल और तिल-गुड़ से बने लोध को पुजारी सुमन झा ने बाबा के ऊपर नक्षत्र कर मकर संक्रांति पर्व की शुरुआत की। वहीं इस दिन स्थानीय लोगों ने भी बाबा की पूजा के दौरान तिल का लोध चढ़ाया। इसके अलावा दोपहर में दही और दही का भोग लगाया गया।
अंदर में तैयारी के बदले हुए टुकड़ों का लगा हुआ भाग
परंपरा के अनुसार माघ माह की संक्रांति तिथि पर बाबा सहित अन्य देवताओं की स्थापना और दही का भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई। पहले दिन पुजारी परिवार के पुजारी महेश पुजारी ने पवित्रता के साथ खंड के दुर्गा मंडप में तोड़फोड़ की। इसने पिटाल के पोर में गंगाजल सहित अन्य थोथी चीजें बनाईं। इसी प्रकार भंग का भोग श्रीयंत्र मंदिर में लगाया गया। भोग के बाद मौजुद लोगों के बीच दही और दही का प्रसाद चढ़ाया गया। पूरे एक महीने तक बाबा को तिल व अंतिम का भोग लगाया जाएगा।
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