रांची: पूर्व मंत्री, झारखंड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य और झारखंड प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यकारी अध्यक्ष बंधन तिर्की ने कहा है कि आजएपार्टी विशेष कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) न तो प्रमाण और न ही मजबूत दस्तावेज या साक्ष्य प्रस्तुत कर सके। उन्होंने कहा कि जिस तरह से एक प्रदेश के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया है, उसके बदले में सभी संवैधानिक संवैधानिक संस्थाओं की धज्जियां उड़ाई गई हैं।
श्री तिर्की ने विश्वास जताया कि कल न केवल रांची बल्कि सर्वोच्च न्यायालय से भी राहत मिलने की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि वे सक्षम न्यायालय का पूरा सम्मान करते हैं।
श्री तिर्की ने कहा कि चुकि समुद्र तट का प्वाइंटवार अपनी बातों को प्रस्तुत करना ही बेहतर होगा।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोप
1. बरियातू बड़ाई स्थित 8.5 डिमिल ज़मीन अपना नाम रखना।
2. दिल्ली स्थित सरकारी आवास से 36,00,000/- रुपये (छत्तीस लाख पचास हजार) एवं कुछ संपत्तियों का किराया।
क़ानून का प्रोविज़न एवं क़ानूनी विशेषज्ञ का तर्क
1. धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) एक विशेष क़ानून है।
2. PMLA के आधार पर इस क़ानून के धार्मिक अपराध का उल्लंघन भी दर्ज किया जा सकता है।
3. माननीय मुख्यमंत्री के विरुद्ध परत अपराध की कोई भी धारा नहीं लगाई गई है ना ही इस मामले में परत अपराध होने का कोई जिक्र है।
4. ना तो मुख्यमंत्री रसेल सोरेन के नाम से प्रमाणित जमीन है ना एग्रीमेंट है और ना ही जामबंगियां है।
5. मुख्य मंत्री सोरेन के आदेश पर ही आंचलिक अधिकारी (सीआई) भानु प्रताप के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद ईडी ने भानु प्रताप और अन्य को जेल भेजा था।
6. अगर मुख्यमंत्री सोरेन की उक्त भूमि में हाथ का घोटाला हुआ तो सीएम सोरेन के द्वारा कभी एफआईआर नहीं कराई गई।
7. अगर कोई इंजीनियर नहीं था तो उसी एफआईआर में सीएम सोरेन को गिरफ़्तार किया जाना था.
8. चुकी सीएम सोरेन के खिलाफ ईडी को कुछ नहीं मिला, इसलिए ईडी द्वारा सीएम सोरेन से उस केस में पूछताछ तक नहीं की गई।
6. जहां तक बरगैं स्थित जमीन का सवाल है तो वो मंजिल भुइहरी जमीन है।
7. नियम के खाते से भुइहरी जमीन का ट्रांसफर नहीं हो सकता।
8. भुइहरी जमीन के स्वामित्व में ना तो सरकार का अधिकार है।
9. भुइहरी ज़मीन का मालिक पहान होता है जो ज़मीन की रफ़्तार काटता है।
10. इस प्रकार मुख्यमंत्री सोरेन द्वारा उस ज़मीन को लेने का प्रश्न ही नहीं होता है।
11. न्यायालय द्वारा सीएम सोरेन के नाम से उक्त संपत्ति होने का कोई साक्ष्य नहीं दिखाया जा सका।
12. नागदा के मालिक की बरामदगी की जांच करने का अधिकार ईडी को नहीं है, क्यूँकी प्रकरण में अपराध की श्रेणी में कोई कमी नहीं है, फिर भी मालिक को ईडी द्वारा प्लांट करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है।
13. सीएम सोरेन को गिरफ़्तार करने का ईडी के पास कोई अधिकार नहीं था, न ही कोई ठोस सबूत है।
14. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पूछताछ के समय ईडी किसी को गिरफ़्तार नहीं कर सकती.
15. ED द्वारा अपने अधिकार का उल्लंघन करते हुए सीएम सोरेन को गिरफ़्तार किया गया है, जबकि यह मामला कल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में दर्ज है।
ईडी के साज़िश के तहत हमारे प्रतिष्ठित सीएम रसेल सोरेन को फाल्ट किया गया है, लेकिन जिस प्रकार से आजी कोर्ट में बहस के दौरान ईडी ने अपने मजबूत सबूत और सबूत पेश नहीं किए हैं, यह स्पष्ट है कि वह केवल प्रतिरोध की भावना और किसी के आधार पर है। के वर्क ऑर्डर पर काम कर रही है। हमें पूरा विश्वास है कि कल अयोग्य अदालत से श्री रसेल सोरेन जी के पक्ष में निर्णय आएगा।
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