झारखण्ड उच्च न्यायालय :- एचडी के अधिकार को चुनौती देने वाली झारखंड के सीएम रसेल सोरेन की याचिका पर बुधवार को झारखंड के उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। ड्रोन ने कहा कि सोरेन के खिलाफ किसी अपराधी के खिलाफ कोई मामला नहीं है और न ही पीएचडी जांच एजेंसी के पास कोई संपत्ति दर्ज है, इसलिए उन्हें समन भेजा जाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि एजेंसी सोरेन को गवाहों के रूप में बुलाया जा रहा है या फिर ग्राहक के रूप में, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने उच्च न्यायालय से ओहदे की ओर से भेजे जा रहे समन पर रोक के उपयोग का आग्रह किया।
मुख्य न्यायाधीश संजय मिश्र कुमार और जस्टिस आनंद सेन की बेंच में हुई सुनवाई के दौरान मधुशाला मॉड में जुड़े हुए थे। इसके अलावा पीयूष चित्रेश ने भी बहस में सहयोग किया। दूसरी ओर, डीडी की ओर से अन्य सहयोगी ने कहा कि यह प्रिडिकेट ऑफेंस का मामला है। उन्होंने कहा कि सोरेन की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 50 और 63 को चुनौती दी गई है, जिसे मदनलाल चौधरी के केस में सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले ही तय किया गया है।
कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 13 अक्टूबर तय की है। एचडी की ओर से मेमोरियल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी ग्रामीण पक्ष रह रहे हैं। 13 अक्टूबर को उनकी ओर से बहस की जाएगी। बता दें कि एचडी ने झारखंड में जमीन के लिए जमीन और जमीन पर बने होटल के बोर्ड को लेकर पांच बार समन जारी किया था, लेकिन सोरेन एक बार भी उपस्थित नहीं हुए। उन्होंने 23 सितंबर को उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके धारा 50 और 63 की याचिका पर सवाल उठाया है। इसमें कहा गया है कि जांच एजेंसी को धारा 50 के तहत बयान दर्ज किया गया है या पूछताछ के दौरान किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार है। ये नहीं है. (आईएएनएस)
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