प्राइवेट स्कूलों में 94% से ज्यादा सीटें खाली होने के बावजूद नामांकन नहीं लिया गया
कानून बनने के 10 वर्ष बाद भी इस मौलिक अधिकार के क्रियान्वयन में प्रशासनिक खामियां
Ranchi : झारखंड के प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन नहीं हो रहा है. यह दावा है झारखंड आरटीई वॉच का. गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस में झारखंड आरटीई वॉच के सदस्यों ने बताया कि राज्य में 229301 दलित, आदिवासी और पिछड़े व कमजोर वर्ग के बच्चे इस कानून का लाभ लेने से वंचित रह गए. प्राइवेट स्कूलों में 94% से ज्यादा सीटें खाली होने के बावजूद गरीब वर्ग के बच्चों का नामांकन नहीं लिया गया. कानून बनने के 10 वर्ष बाद भी इस मौलिक अधिकार के क्रियान्वयन में प्रशासनिक खामियां हैं. इसके परिणामस्वरूप प्रतिवर्ष अधिकांश सीटें खाली रह जाती हैं. दलित, आदिवासी और कमजोर वर्ग के बच्चे अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं. झारखंड में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (c) के तहत कुल 24347 सीटें हैं. जिसके अनुसार एक दशक में भरी हुई सीटों की संख्या 243470 होनी चाहिए थी. लेकिन PAB की रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 तक केवल 14169 छात्र ही वर्तमान में अध्ययन कर रहे हैं. इसका मतलब यह हुआ कि राज्य भर के स्कूलों में इस वर्ग के लिए आरक्षित 94% से अधिक सीटें खाली रह गयीं. इस वर्ग के 229301 बच्चों का प्राइवेट स्कूलों में नामांकन नहीं लिया गया. बताया गया कि झारखंड में हाल के सर्वेक्षणों में कई जानकारियां उजागर हुई हैं.
डीपीएस रांची को आठ बार आदेश दिया गया, पर नहीं माना
आरटीई वॉच के दिनेश कुमार यादव ने कहा कि रांची जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय ने आधिकारिक तौर पर दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) रांची को 15 चयनित आवेदकों के प्रवेश के संबंध में आठ बार आदेश दिया. फिर भी स्कूल की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई. अन्य विकल्प के अभाव में हम झारखंड हाईकोर्ट चले गए, जिसने डीपीएस रांची और झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया. एक अन्य आवेदक की मां लक्ष्मी देवी ने कहा कि पूरी प्रवेश प्रक्रिया के दौरान स्कूल की तरफ से जानकारी का अभाव था. हमें प्रवेश प्रक्रिया को ट्रैक करने के लिए कोई विकल्प नहीं दिया गया था, जिससे हमें कुछ भी क्लियर नहीं हो रहा था. दोनों ही मामलों में झारखंड हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है. इस मामले में स्कूल, शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और रांची उपायुक्त को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. अगली सुनवाई की तारीख 21 फरवरी निर्धारित की गयी है.
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