Ranchi : लातेहार जिला कोयला खदानों से कोयला उठाने वाले कारोबारी परेशान हैं. परेशानी की वजह कोयला के डीओ होल्डर्स से प्रति माह करीब 45 लाख रुपए की वसूली है. लातेहार जिला में तेतरियाखांड और मगध कोल परियोजना है. इन दोनों कोल परियोजनाओं में प्रति माह करीब 1.50 लाख टन कोयला का डीओ लगता है और इतनी ही कोयला का उठाव होता है. दोनों कोल परियोजना में डीओ लगाने वाले कुछ डीओ होल्डरों ने संवाददाता को बताया है कि कोयला के डीओ का पेपर वेरीफाई करने के नाम पर पुलिस के लोगों द्वारा प्रति टन 30 रूपया की वसूली की जा रही है. उनके मुताबिक कोयला के डीओ में कोयला की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, तो कुछ कम रूपया लिया जाता है. ऐसे 30 रूपया प्रति टन पेपर वेरीफाई के नाम पर देना ही पड़ता है. जब इस बारे में हमने लातेहार के एसपी से बात की. उन्होंने कहा कि इस तरह अवैध वसूली की जानकारी उन्हें नहीं हैं. जानकारी मिलने पर कार्रवाई करेंगे.
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प्रति टन 30 रुपये की वसूली
लातेहार के जिले के बालूमाथ थाना क्षेत्र स्थित तेतरियाखांड और मगध कोल परियोजना में हर महीने करीब 1.50 लाख टन कोयला का डीओ लगता है. अगर 30 रूपया प्रति टन के हिसाब से वसूली की कुल रकम को जोड़ें तो करीब 45 लाख की वसूली हो रही है.
कोयले का अवैध कारोबार भी जारी
लातेहार जिला में इन दिनों कोयला का अवैध कारोबार भी बेरोक-टोक चल रहा है. सूत्रों के मुताबिक सबसे अधिक अवैध कारोबार बालूमाथ थाना क्षेत्र के बुकरू साइडिंग से हो रहा है. इसे रोकने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन, खनन विभाग व पुलिस पर है. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती. जानकारी के मुताबिक एनटीपीसी ने बुकरू रेलवे साइडिंग तक कोयला पहुंचाने की जिम्मेवारी ट्रांसपोर्टरों को दी है. ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत से ही अवैध कारोबार फल-फूल रहा है. सबको चुप रखने के लिए प्रति ट्रक 90 से 95 हजार रुपये की वसूली की जाती है. जिसमें से हर तबके को हिस्सा मिलता है.
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