Ranchi : लंबे इंतजार के बाद नॉर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट से 1 फरवरी से जेबीवीएनएल को 150 मेगावाट बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी. पहले फेज की 660 मेगावाट की यूनिट तैयार हो चुकी है और इसका ट्रायल चल रहा है. ट्रायल पूरी तरह सफल रहा, तो एक फरवरी से जेबीवीएनएल को बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी. चतरा जिले के चंदवा में एनटीपीसी का 1980 मेगावाट पावर प्लांट लगा है. समझौते के अनुसार जेबीवीएनएल को 500 मेगावाट बिजली मिलनी है. एनटीपीसी के साथ वर्ष 2012-13 में बिहार और झारखंड सरकार के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) हुआ था. पीपीए के तहत कुल उत्पादित बिजली का 50 प्रतिशत बिहार और झारखंड को मिलना है. पीपीए के बाद वर्ष 2014 में एनटीपीसी ने नॉर्थ कर्णपुरा सुपर पावर प्रोजेक्ट के तहत चतरा जिले के चंदवा में 1980 मेगावाट का पावर प्लांट लगाने का काम शुरू हुआ, जो बनकर तैयार है. पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने प्लांट की प्रगति की समीक्षा भी की थी. आठ वर्षों के इंतजार के बाद अब इससे झारखंड को बिजली मिलने की संभावना बनी है.
सस्ती होगी बिजली, सेंट्रल पूल पर निर्भरता होगी कम
नॉर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट से मिलने वाली बिजली सस्ती होगी. 3.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से झारखंड को बिजली मिलेगी. जेबीवीएनएल को संकट और गर्मी के दिनों में नीलामी के आधार पर इंडियन एनर्जी पावर एक्सचेंज से 12 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली खरीदने को मजबूर होना पड़ता है. कभी-कभी तो राष्ट्रीय संकट या फिर बकाये के कारण महंगी दर पर भी बिजली नहीं मिल पाती है. इस लिहाज से यह जेबीवीएनएल के लिए राहतवाली बात होगी. अभी झारखंड को 150 मेगावाट बिजली मिलेगी, लेकिन विभिन्न फेज में कुल 500 मेगावाट बिजली झारखंड को मिलनी है. फिलहाल 150 मेगावाट बिजली मिलने से सेंट्रल पूल पर निर्भरता कुछ कम होगी. इधर 2024 दिसंबर तक 800 मेगावाट बिजली पतरातू से भी मिलने की संभावना है. ऐसे में बिजली क्षेत्र में झारखंड आत्मनिर्भर हो सकता है.
अभी निर्भरता सेंट्रल पूल पर ही है
झारखंड में बिजली की डिमांड 2200 से 2600 मेगावाट है. अभी केवल टीवीएनएल से करीब 350 मेगावाट बिजली मिलती है. बारिश के दिनों में सिकिदरी हाईड्रल से करीब 110 मेगावाट बिजली मिलती है. करीब 250-300 मेगावाट आधुनिक, इनलैंड, विंड और सोलर एनर्जी से मिलती है. बाकी बिजली डीवीसी और सेंट्रल पूल से जेबीवीएनएल को लेनी पड़ती है.
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