Satya Sharan Mishra
Ranchi: रांची स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन की सुस्त चाल के कारण स्मार्ट सिटी के एडीबी एरिया में एक साल में कोई नया काम शुरू नहीं हुआ. साल भर में सिर्फ मंत्रियों के 11 बंगले खड़े हुए हैं. आवासीय, शैक्षणिक और व्यवसायिक यूज वाले प्लॉट पर अबतक एक भी ईंट नहीं रखी गई है. पहले और दूसरे फेज के ई-ऑक्शन में जिन 10 निवेशकों को प्लॉट उपलब्ध हुआ है, उन्होंने जून 2022 तक पूरी राशि स्मार्ट सिटी को दे दी है. लेकिन अबतक जमीन की रजिस्ट्री ही नहीं हुई है. उधर अप्रैल 2022 के बाद बाकी बचे प्लॉट्स का भी ऑक्शन रुक गया है. 9 महीने में विभाग एक मास्टर प्लान तक तैयार नहीं कर पाया है. जबतक नया मास्टर प्लान नहीं बनता, बचे हुए 40 प्लॉट्स का ऑक्शन नहीं होगा. 656 एकड़ जमीन पर अबतक सिर्फ मंत्रियों के बंगले ही खड़े हुए हैं. रंगरोगन भी शुरू हो गया है. जल्द ही एजेंसी इसे जुडको को हैंडओवर करेगा और यह मंत्रियों को अलॉट किये जाएंगे. जिस चाल में स्मार्ट सिटी का कामकाज चल रहा है, उसे देखकर यह नहीं लग रहा कि आने वाले 4-5 साल में यहां टाउनशिप बस पाएगी. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अधिक काम नहीं होने की वजह से अधिकांश कार्मियों को कार्यशाला, फिडबैक और शैक्षणिक टूर आयोजित करने जैसे कार्यक्रमों में लगा दिया गया है.
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अधिकांश प्रोजेक्ट में फंसे हैं पेंच
रांची स्मार्ट सिटी के अधिकांश प्रोजेक्ट पेंडिंग हैं या फिर उनमें कुछ न कुछ पेंच फंसा है. इसके बावजूद रांची स्मार्ट सिटी को अवॉर्ड मिल रहे हैं. 18 अप्रैल को केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने स्मार्ट सिटी को लीडरशिप अवॉर्ड से सम्मानित किया था. यह अवॉर्ड रांची स्मार्ट सिटी को बेहतर कार्य कुशलता, वित्तीय प्रबंधन और उपयोगिता के एवज में मिला था. वित्तीय प्रबंधन की बात करें तो सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 1500 करोड़ रुपये इन्वेस्ट किया है. 11 प्लॉट के ऑक्शन के बाद सरकार को 410 करोड़ ही वापस मिले हैं. वहीं स्मार्ट सिटी में 55 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद खंडहर हो रहा कन्वेंशन सेंटर उपयोगिता के दावों की पोल खोल रहा है. 9 महीने में एक मास्टर प्लान का नहीं बनना और 51 में से किसी भी प्लॉट पर काम का शुरू नहीं होना, यह बता रहा है कि रांची स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन कितनी कुशलता से काम कर रही है. जिन निवेशकों ने अपनी पूरी जमा-पूंजी लगाकर प्लॉट लिया है, वे भी जमीन रजिस्ट्री नहीं होने से परेशान हैं.
इन प्रोजेक्ट्स में फंसे हैं पेंच
55 करोड़ खर्च करने के बाद कन्वेंशन सेंटर खंडहर हो रहा है.
मूसाटोली के पास अतिक्रमण के कारण सड़क निर्माण का काम रुका.
22 परिवारों को जमीन दिलाने के लिए अक्टूबर में बैठक हुआ, अबतक नहीं जमीन
11 निवेशकों को आवंटित प्लॉट की रजिस्ट्री में तकनीकी कारणों से फंसा पेंच
स्मार्ट सिटी को हटिया स्टेशन से जोड़ने का मामला फंसा
प्रपोजल लौटने के बाद आरएलडीए ने स्मार्ट सिटी को दोबारा नहीं भेजा प्रपोजल
40 प्लॉट का ऑक्शन मास्टर प्लान के इंतजार में रुका
स्मार्ट सिटी का काम हो नहीं रहा और मांग रहे शहर सुधारने का फिडबैक
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स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट्स पर ध्यान देने के बजाए कॉरपोरेशन का मैनपावर दूसरे कामों में लगा दिया गया है. अगस्त महीने में एक हफ्ते तक रांची के विभिन्न स्कूल-कॉलेजों के छात्र-छात्राओं को स्मार्ट सिटी का भ्रमण करवाया गया है. हफ्ते भर अधिकारी और कर्मचारी उसमें व्यस्त रहे. इसके बाद स्मार्ट सिटी अर्बन आउटकम फ्रेमवर्क में व्यस्त हो गया. लोग अपने शहर में क्या बदलाव चाहते हैं. उनके शहर में क्या-क्या सुविधाएं होनी चाहिए, इन सब को लेकर अर्बन आउटकम फ्रेमवर्क के तहत लोगों से ऑनलाइन फिडबैक मांगी जा रही है. स्मार्ट सिटी का जो प्लान पहले 6 साल पहले अप्रूव हुआ उसपर तो तय समय पर नहीं हो पा रहा है. ऐसे में अर्बन आउटकम फ्रेमवर्क में मिले फिडबैक पर कब अमल होगा.
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