Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 27 फरवरी को नक्सलमुक्त बूढ़ा पहाड़ का दौरा करेंगे. हेलीकॉप्टर से वहां जायेंगे. कई घंटे तक वहां रहेंगे. इलाके के लोगों से उनकी समस्याएं जानेंगे. समाधान को लेकर कई घोषणाएं भी करेंगे. उनके साथ मुख्य सचिव, डीजीपी समेत कई आला अधिकारी भी रहेंगे. हेमंत सोरेन राज्य के पहले सीएम हैं, जो बूढ़ा पहाड़ इलाके में जाकर वहां की स्थिति का खुद जायजा लेंगे. गौरतलब है कि राज्य में भाकपा माओवादियों के सबसे बड़े गढ़ बूढ़ा पहाड़ को सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के कब्जे से पूरी तरह मुक्त करा लिया है. करीब 55 वर्ग किलोमीटर में फैले बूढ़ा पहाड़ पर पिछले 32 सालों से नक्सलियों का कब्जा था. झारखंड-छत्तीसगढ़ के जंगलों से घिरा इलाका नक्सलियों का अभेद्य दुर्ग बना हुआ था.
बूढ़ा पहाड़ पर चलाया जा रहा ऑपरेशन ऑक्टोपस
बूढ़ा पहाड़ पर 18 अगस्त 2022 से ऑपरेशन ऑक्टोपस चल रहा है. यह माओवादियों का कमांड सेंटर था. कमांड वायर से लेकर प्रेशर मैकेनिज्म तक सभी तरह के आईईडी यहां लगे हुए थे. यहां माओवादियों की केंद्रीय कमान का बैठक स्थल व प्रशिक्षण केंद्र भी था. यहीं माओवादियों के लिए साहित्य लेखन, प्रशिक्षण और प्रचार सामग्री तैयार किए जाते थे. आज यहां सुरक्षा बलों का कैंप है. बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षाबलों ने आधा दर्जन के करीब अपने कैंप स्थापित किये हैं. इन कैंपों में कोबरा, सीआरपीएफ, जगुआर के जवानों को तैनात किया गया है. सुरक्षाबलों ने इलाके से अब तक 2500 से अधिक लैंड माइंस बरामद किये हैं. आधा दर्जन से अधिक बंकरों को ध्वस्त किया है.
माओवादियों ने यूनिफाइड कमांड बनाया था
2013-14 में बूढ़ा पहाड़ को माओवादियों ने अपना यूनिफाइड कमांड बनाया था. माओवादी सभी तरह की गतिविधियों का संचालन यहीं से करते थे और बिहार, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ में घटनाओं को अंजाम देते थे. बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराने के अभियान में 2013-14 से अब तक एक दर्जन के करीब जवान शहीद हुए हैं. डेढ़ दर्जन से अधिक जख्मी हुए. इलाके में तीन दर्जन से अधिक बार सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई. माओवादियों का पोलित ब्यूरो सदस्य रहा देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद के नेतृत्व में माओवादियों ने बूढ़ा पहाड़ को ठिकाना बनाया था. 2018 में अरविंद की मौत के बाद सुधाकरण ने बूढ़ा पहाड़ की कमान संभाली थी. 2019-20 में सुधाकरण ने अपनी टीम के साथ तेलंगाना में आत्मसमर्पण कर दिया था. बाद में बूढ़ा पहाड़ की कमान मिथिलेश मेहता को मिली थी. मिथिलेश मेहता 2022 में गिरफ्तार हुआ था. बूढ़ा पहाड़ की कमान फिलहाल सौरव उर्फ मारकुस बाबा के पास है.
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