Ranchi : वर्ष 2022 झारखंड के लिए उतार-चढ़ाव भरा साल रहा. राजनीतिक गलियारे में तो काफी हलचल रही. सत्ताधारी दल और विपक्षी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोपों और उसके खंडन में पूरा साल गुजर गया. कई क्षेत्रों में राज्य में उपलब्धियां भी हासिल की. वहीं अपराध का ग्राफ भी काफी ऊपर रहा. कई हादसे भी हुए, जो देशभर में सुर्खियां बटोरीं. कुल मिलाकर घटनाओं से भरा रहा यह साल. शुभम संदेश की टीम ने कुछ ऐसी घटनाओं का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने का प्रयास किया है.
2022 में हेमंत सरकार को टेंशन में डालकर भाजपा ने किया फील गुड
साल 2022 झारखंड में भाजपा के लिए अनुकूल रहा. पार्टी ने सालभर फील गुड किया और मजबूत विपक्ष के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. पार्टी ने हर मुद्दे पर सरकार को मजबूती के साथ घेरा. फरवरी महीने से ही भाजपा हेमंत सरकार पर आक्रामक रही. 10 फरवरी को पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीएम हेमंत सोरेन पर पद का दुरुपयोग कर खनन लीज लेने का आरोप लगाया. इसके बाद पार्टी ने मजबूती के साथ इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई. पार्टी मामले को लेकर राजभवन गई. राजभवन ने चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा. इस मामले को लेकर सीएम हेमंत सोरेन साल भर बेचैन रहे. इसके अलावा राज्य में भ्रष्टाचार, गिरती कानून व्यवस्था और मुख्यमंत्री और उनके करीबियों पर भाजपा का हमला जारी रहा. सड़क से लेकर सदन तक भाजपा ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. पढ़ें सत्य शरण मिश्रा की रिपोर्ट…
तुष्टिकरण को मुद्दे को भाजपा ने जोर से पकड़ा
तुष्टिकरण के मुद्दे पर भी भाजपा मुखर रही. फरवरी में बरही में हुए रूपेश पांडेय मॉब लिंचिंग मामला सामने आने के बाद भाजपा ने सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए राज्यभर में प्रदर्शन किया. जून महीने में रांची के मेन रोड में हिंसा हो गई. भाजपा ने आरोप लगाया कि तुष्टिकरण की नीति के तहत भाजपा आरोपियों पर नरमी बरत रही है. इसके बाद अगस्त में मुस्लिम समुदाय द्वारा पलामू में 50 महादलितों का घर तोड़े जाने के मामले को लेकर भी भाजपा ने सरकार को घेरा. अगस्त में ही शाहरुख नाम के एक युवक ने दुमका की बेटी अंकिता को जलाकर मार डाला. इसकी आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि साहिबगंज के दिसंबर में बोरियो में एक और बेटी रूबिका पहाड़िन को दिलदार नाम के युवक ने टुकड़े-टुकड़े कर मार डाला. दोनों मामलों को भाजपा ने जोरदार तरीके से उठाया. इसी बीच हाईकोर्ट ने 2021 में बनाई गई हेमंत सरकार की नियोजन नीति को रद्द कर दिया. भाजपा को एक और मुद्दा मिल गया. पार्टी ने दोबारा इस मुद्दे को लपक लिया और सरकार पर तुष्टिकरण के तहत नियोजन नीति से हिंदी को बाहर और उर्दू को अंदर करने का आरोप लगाया.
तमाम कोशिशों के बाद भी मांडर हार गई पार्टी
संगठन को मजबूत करने के लिए और आदिवासी सुरक्षित सीटों पर जनाधार बढ़ाने के लिए भाजपा ने रणनीति के तहत कई काम शुरू किये. 5 जून को रांची के मोरहाबादी मैदान में विश्वास रैली आयोजित किया. इसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नड्डा आये. मांडर उपचुनाव से ठीक पहले यह रैली आयोजित की गई थी. हालांकि भाजपा को इस रैली का फायदा नहीं मिल पाया. विधायक बंधु तिर्की की विधायकी रद्द होने के बाद मांडर विधानसभा सीट पर चुनाव हो रहा था. भाजपा को उम्मीद थी कि इस रैली से चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वहां कांग्रेस जीत गई.
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2022 में भाजपा का कुनबा भी बढ़ा
2022 में भाजपा ने अपना कुनबा मजबूत करने की भी कोशिश की. 17 मई को ढाई साल बाद बोरियो के पूर्व विधायक ताला मरांडी की घर वापसी हुई. बाबूलाल के पुराने साथी प्रवीण सिंह भी 14 साल बाद भाजपा में वापस आये. राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों से जुड़े कई लोगों को भाजपा में शामिल कराया गया. पंचायत चुनाव में जीते प्रतिनिधियों को अपने पाले में करने के लिए दांव खेला. 18 अक्टूबर को रांची में चुनाव जीते 5361 पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया. भाजपा का कहना है कि जिप, पंचायत समिति और मुखिया के 10222 सीटों में हुए चुनाव में भाजपा से जुड़े 5361 लोगों ने जीत हासिल की थी.
निलंबित आईएएस पूजा सिंघल प्रकरण ने दी भाजपा को संजीवनी
5 मई को ईडी ने झारखंड में आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी की. मनरेगा घोटाले में हुए इस छापेमारी के बाद इसके तार मनी लाउंड्रिंग और अवैध खनन घोटाले से जुड़ते चले गये. सीएम के करीबी अमित अग्रवाल, प्रेम प्रकाश, विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा समेत कई लोग गिरफ्तार हो गये. सीएम भी ईडी के रडार में आये और उन्हें भी ईडी के सामने पेश होना पड़ा. भाजपा को यह बड़ा मुद्दा मिल गया. पार्टी ने सरकार को भ्रष्टाचार को पोषक बताते हुए राज्यभर के प्रखंडों और जिलों में धरना-प्रदर्शन किया. पार्टी के सभी बड़े नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने प्रखंड और जिला मुख्यालयों में सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की. जनता के बीच यह संदेश देने की कोशिश की कि हेमंत सोरेन की सरकार सिर्फ लूट-खसोट में लगी है. राज्य का भला सिर्फ भाजपा ही कर सकती है.
प्रदेश प्रभारी और महामंत्री बदले गये, दीपक-मरांडी बने रहे हीरो
2022 में भाजपा में सांगठनिक फेरबदल भी हुई. राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी को झारखंड भाजपा का नया प्रभारी बनाया गया. प्रदेश संगठन महामंत्री भी बदले गये. धर्मपाल सिंह की जगह कर्मवीर को नया संगठन महामंत्री बनाया गया. वहीं राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू को खड़ा किया और उन्हें राज्यसभा भेजा. हालांकि पार्टी के अन्य पदाधिकारियों की तरह यह साल भी बीते साल की तरह ही रहा. 2021 की तरह 2022 में भी पार्टी के सिर्फ दो ही नेताओं का चेहरा मीडिया और सोशल मीडिया में चमका. प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सालभर भाजपा के हीरो बने रहे. प्रवक्ताओं और अन्य पदाधिकारियों को बोलने का काफी कम मौका मिला.
लातेहार :
…जब गुस्साये टाना भगत घुसे सिविल कोर्ट परिसर में
महात्मा गांधी के अनुयायी जाने वाले टाना भगतों ने बीते दस अक्टूबर को व्यवहार न्यायालय परिसर में जबरन घुस कर पुलिस पर पथराव किया था. इस पथराव में लातेहार सदर के तत्कालीन थाना प्रभारी अमित कुमार गुप्ता घायल हो गए थे. इसके अलावा कांस्टेबल सत्यनारायण उरांव, कुमारी अमित लक्ष्मी, अंजू रोज खलखो व मनोरमा कुमार भी टाना भगतों की पथराव में घायल हुई थी. जवाब में पुलिस ने भी लाठी चार्ज किया था, इसमें कुछ टाना भगत भी घायल हुए थे. टाना भगतों द्वारा की गयी यह कार्रवाई अप्रत्याशित थी. इससे पहले टाना भगतों ने जिले में किसी प्रकार का हिंसक प्रदर्शन नहीं किया था. टाना भगत संविधान की पांचवीं अनुसूची क्षेत्र का हवाला देते हुए कोर्ट-कचहरी बंद कराने की मांग कर रहे थे और दस अक्टूबर को सिविल कोर्ट का घेराव करने के लिए पहुंचे थे. टाना भगत काफी उग्र थे और पुलिस की सख्ती के बावजूद जबरन सिविल कोर्ट के मुख्य द्वार से अंदर कोर्ट परिसर में घुस गये. इसके बाद प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कार्यालय तक पहुंचे गये और वहां लगे लोहे की गेट को तोड़ दिया और अंदर प्रवेश कर गये. वहां पुलिस तैनात थी. इसके बाद टाना भगतों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. पुलिस की पीसीआर वैन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था. पुलिस ने जवाब में लाठी चार्ज किया था और आंसू गैस भी छोड़े थे. इस मामले में पुलिस ने 33 नामजद प्रदर्शनकारियों पर प्राथमिकी दर्ज की थी. पहले टाना भगतों ने पांचवीं अनुसूची क्षेत्र का हवाला देते हुए इसी अगस्त-सितंबर माह में महुआडांड़ अनुमंडल एवं प्रखंड सह अंचल कार्यालय में ताला जड़ कर अधिकारियों को बाहर निकाल दिया था. अप्रैल माह में टाना भगतों ने समाहरणालय का भी घेराव किया था. (लातेहार से आशीष टैगोर)
हजारीबाग :
सुर्खियों में रहे अथर्व अमृत सरोवर योजना से होगा जल संचय
जाते-जाते वर्ष 2022 ने हजारीबाग को तीन बड़ी सौगात देर गई. इनमें एक नन्हा मासूम गायक अथर्व बख्शी सुर्खियों में रहा. इस नन्हे बालक के कारण हजारीबाग देशभर के मानचित्र पर रहा. सरहद पार अप्रवासी भारतीयों के बीच भी अथर्व की गायिकी छायी रही. यह नन्हा बालक स्वर स्वर्ण भारत सिंगिंग रियलिटी शो में अपनी गायिकी से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया. हजारीबाग के झील रोड नुरा निवासी इंजीनियर सत्येंद्र बख्शी और माता पूर्वा बख्शी का यह सुपुत्र अभी मुंबई में है. सारेगामा लिटिल चैंप्स में वोटिंग के बाद हजारीबाग का अथर्व पूरी तरह छा गया है. इसके अलावा जल संरक्षण के लिए चल रही अमृत सरोवर योजना में हजारीबाग का राज्य में दूसरा स्थान रहा. वर्ष 2022 में जल संरक्षण के लिए यह बड़ी उपलब्धि रही. अमृत सरोवर योजना में एक करोड़ 62 लाख रुपए खर्च करने की योजना है. इस योजना के तहत 75 तालाब लिए गए हैं. अटल नवीनीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन के तहत यह कार्य किया जाएगा. इस बाबत डीपीआरओ भी बनकर तैयार है और आने वाले दिनों में टेंडर होना है. वार्ड नंबर 27 की वार्ड पार्षद सोनी छत्रिय के अनुसार खजांची तालाब अमृतसर योजना से जोड़ा गया है. यह हमारे वार्ड के लिए बड़ा ही गौरव की बात है. जब योजना पूरा हो जाएगी, तो इस तालाब की सुंदरता देखने लायक होगी. साथ ही जल संरक्षण को भी मजबूती मिलेगी. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में कोशिश है की जल्द से जल्द की प्रक्रिया पूरी हो और काम शुरू किया जाए. हजारीबाग को तीसरी सौगात के रूप में झील की सफाई के लिए दो करोड़ की बीड मशीन मिली. इससे झील में उगे खर-पतवार की सफाई हो जाने से सौंदर्यीकरण में चार चांद लग गए.
इस साल सड़क हादसे में 297 लोगों की हुई मौत
2022 में जिले भर में सड़क दुर्घटनाओं की भरमार रही. जनवरी से लेकर अबतक के आंकड़ों रक नजर डालें तो 297 लोगों ने अपनी जान सड़क हादसे में गंवाई. सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों को इलाज तक नहीं मिल पाया. सभी की मौत ऑनस्पॉट हुई. वहीं आत्महत्या के मामले में भी यहां आंकड़े काफी अधिक हैं. जहर खाकर या फिर फांसी लगाकर मरने वालों में 79 लोग शामिल हैं. स्वास्थ्य विभाग के उपलब्धि की बात करें तो कोरोना काल में किए गए उत्कृष्ट प्रदर्शन को लेकर सदर अस्पताल कोडरमा ने पूरे राज्य में अव्वल स्थान प्राप्त किया. शहरी स्वास्थ्य केंद्र घूमो को भी जिलेभर में उत्कृष्ट वैक्सीनेशन के लिए सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ. 2022 में सदर अस्पताल में सदर अस्पताल की व्यवस्था सुधरी, जो जिलेवासियों के लिए स्वास्थ्य सेवा के तहत बड़ी उपलब्धि साबित हो रही है. 2022 में कोडरमा मेडिकल कॉलेज के निर्माण को शुरू होने की उम्मीद है. पिछली कंपनी सिंपलेक्स कंपनी द्वारा अनियमित कार्य को लेकर उसका टेंडर रद्द कर दिया गया था.
आंतरिक और बाहरी समस्याओं के बीच आदिवासी-मूलवासी पार्टी होने के दावे पर खरा उतरा झामुमो
झारखंड की गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सबसे बड़ी भूमिका में है. दो साल (2020 और 2021) कोरोना महामारी झेलने के बाद साल 2022 को झामुमो ने खुद को पूरी तरह चुनावी वादों को पूरा करने पर फोकस रखा. इसमें झामुमो को काफी सफलता भी मिली. लेकिन इसके उलट पूरे साल पार्टी के ही विधायक शीर्ष नेतृत्व या यू कहें तो अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते दिखे. पार्टी के कई कद्दावर नेताओं जिसमें शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन तक शामिल हैं, केंद्रीय एजेंसियों के चक्कर में आएं. इसके बावजूद झामुमो अपनी आदिवासी-मूलवासी पार्टी होने के दावों पर खरा उतरी.. पढ़ें नितेश ओझा की रिपोर्ट…
हेमंत सोरेन पर आरोप क्या लगा, झामुमो की राजनीति पूरे साल इसी के इर्द-गिर्द केंद्रित रही
साल 2022 के शुरूआत में ही झामुमो कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन पर भाजपा ने अवैध तरीके से माइंस लेने का आरोप लगाया. प्रदेश की राजनीति पूरे साल इसी के इर्द-गिर्द केंद्रित रही. ईडी ने हेमंत सोरेन को पूछताक्ष के लिए बुलाया. आय से अधिक संपत्ति मामले में शिबू सोरेन के खिलाफ मामला चला. झामुमो नेता अभिषेक प्रसाद पिंटू से पूछताछ हुई. पंकज मिश्रा अभी भी जेल में हैं.
चुनावी वादों को पूरा करने पर रहा फोकस, आदिवासी राष्ट्रपति का खुलकर किया समर्थन
झामुमो ने साल 2022 में विधानसभा चुनाव 2019 में किए कई चुनावी वादों को पूरा किया. इसमें प्रमुखता से 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति, आरक्षण का दायरा बढ़ाने, पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू करना शामिल हैं. सबसे बढ़कर यूपीए गठबंधन में रहते हुए एनडीए की तरफ से आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने का खुलकर समर्थन किया.
पार्टी की अंदरुनी समस्याओं से जूझा झामुमो, विधायकों ने ही अपनी सरकार को घेरा
2022 में पार्टी कई आंतरिक समस्या से भी गुजरी. इसमें सबसे प्रमुख पार्टी विधायकों द्वारा अपनी ही सरकार पर सवाल उठाना शामिल हैं.
बोरिया विधायक लोबिन हेंब्रम ने जमीन, खतियान और शराब को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठाया. शराब को लेकर लोबिन ने कहा, शिबू सोरेन शराबबंदी के लिए लड़ते रहे, हेमंत सरकार शराब बेचेगी तो यह शर्मनाक है. जमीन लूट को लेकर कहा, साहेबगंज सहित पूरे संथाल में आदिवासियों की जमीनों को लूटा जा रहा है. वहीं 1932 के खतियान को महज दिखावा बताया.
विधायक सीता सोरेन ने चतरा जिले के आम्रपाली परियोजना से कोयला परिवहन में गड़बड़ी और वनों की अवैध कटाई का मुद्दा विधानसभा में जोर-शोर से उठाया. इस संबंध में सदन में सरकार के जवाब से असंतुष्ट रहने और दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने इसकी शिकायत राजभवन जाकर राज्यपाल से की. बाद में पीएमओ ने मामले में संज्ञान लिया.
शीतकालीन सत्र – 2022 में वैद्यनाथ राम ने अपनी सरकार के खिलाफ सदन के खिलाफ और सदन के अंदर जमकर बवाल काटा. वे बालूमाथ में अस्पताल नहीं बनने से नाराज थे.
धनबाद जिला कमेटी में अनुशासनहीनता चर्चा का केंद्र बिंदु बनी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पर सख्ती दिखाई और जिला कमेटी समेत धनबाद जिले में झामुमो की सभी कमेटियों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया.
टुंडी विधानसभा क्षेत्र से झामुमो विधायक और सरकार के करीबी माने जाने वाले मथुरा प्रसाद महतो पर बेहिसाब संपत्ति जुटाने का आरोप लगा.
झामुमो के पूर्व विधायक सफल मरांडी अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए.
झामुमो केंद्रीय कार्यकारिणी समिति का पूर्ण गठन नहीं हो पाया.
आदिवासी हितैषी दावा करने वाली झामुमो ने कहा था कि गुजरात चुनाव में पार्टी 40 आरक्षित सीटों (अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए) में भाजपा के खिलाफ प्रचार करेगी. लेकिन चुनाव में पार्टी ने दूरी बनायी.
विपक्ष पर हमले करने का झामुमो ने कोई मौका नहीं छोड़ा
अवैध खनन मामले में भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप लगाने के बाद झामुमो भी जोरदार तरीके से हमलावर रहा. पूरे साल झामुमो केंद्र की मोदी सरकार पर बकाया 1.36 हजार लाख करोड़ लौटने, जीएसटी क्षतिपूर्ति को अगले पांच साल तक बढ़ाने की मांग करते दिखा. डीवीसी पर करोड़ रुपए बकाया नाम पर बिजली काटने का आरोप लगाया. केंद्र पर येन-केन-प्रकारेण हेमंत सरकार को बर्खास्त करने का साजिश करने का आरोप लगाया.
संगठन की मजबूती के लिए झामुमो ने बनाई नई कमेटी
झामुमो की नयी केंद्रीय समिति के सदस्यों की सूची जारी हुई. सूची में कुल 246 सदस्य शामिल किए गए. इसमें झारखंड के सभी जिलों के अलावा बिहार, बंगाल, ओडि़शा के प्रतिनिधि भी शामिल किए गए. अध्यक्ष शिबू सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को दुमका से केंद्रीय समिति के सदस्य चयनित किए गए. कई जिला स्तरीय और पंचायत स्तरीय समितियों का गठन हुआ. बरियातू रांची स्थित पार्टी मुख्यालय की जगह हरमू रोड में कैंप कार्यालय खुला.
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