Ranchi : झारखंड में क्रिसमस की धूम है. पूरे हर्षोल्लास और पारंपरिक तरीके से क्रिसमस मनाया जा रहा है. ईसा मसीह का जन्मदिन मनाने के लिए देर रात से ही लोग भारी संख्या में चर्चों में एकत्र हुए. रांची चाईबासा, गुमला, जमशेदपुर, लातेहार, धनबाद सहित राज्य के अन्य शहरों में लोग क्रिसमस के जश्न में डूबे दिखाई दे रहे हैं. कई स्थानों पर पारंपरिक नृत्य समारोहों का आयोजन भी किया गया.राज्य भर में ईसा मसीह के जीवन के प्रतीक के रूप में बहुत से घरों के बाहर पालने स्थापित किए गए हैं. 24 दिसंबर की आधी रात को मिस्सा पूजा की गई. साथ ही विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन कर विश्व शांति एवं कल्याण की कामना की गई. लोग एक दूसरे को क्रिसमस की बधाई दे रहे हैं. शुभम संदेश ने राज्यभर ने इससे जुड़ी जानकारी हासिल की है. पेश है रिपोर्ट.
हजारीबाग
हमें दीन-हीन बनकर सेवा में जीवन व्यतीत करनी चाहिए बिशप आनंद जोजो
25 दिसंबर प्रभु ईसा के जन्मदिन क्रिसमस के अवसर पर हज़ारीबाग में ईसाई समुदाय और गिरजाघरों में उल्लास के साथ आधी रात को विश्वाशियों की भीड़ उमड़ पड़ी. बच्चे से लेकर बुजुर्ग नए परिधान पहन कर आधी रात को गिरजाघरों पहुंच गए.
प्रभु का रूपांतर महागिरजाघर कथोलिक आश्रम में चौबीस दिसंबर की रात्रि 11 बजे बिशप आनंद जोजो के नेतृत्व में पल्ली पुरोहित फादर अंटोनी, फादर रेमंड सोरेंग, फादर प्रदीप एक्का, फादर विजय एक्का, फादर सैजू, फादर जॉर्ज और डीक्कन संतोष के साथ मिलकर मिस्सा पूजा की गयी. बिशप आनंद जोजो ने अपने संदेश में कहा कि सर्वशक्तिमान ईश्वर होकर भी अपने पुत्र येसु को पृथ्वी पर मानवजाति के कल्याण के लिए भेजा.
प्रभु येसु को जन्म के लिए घर नहीं मिला. कुंवारी माता मरियम ने एक गोशाला में बालक येसु कोई जन्म दिया. सर्वप्रथम स्थानीय गड़ेरियो को दर्शन दिए. प्रभु येसु ने गरीब दीन-हिन बन कर जीवन बिताया और अंत में मानव के उद्धार के लिए सूली पर चढ़ गए. हमें भी दीन-हीन बन कर सेवा का जीवन व्यतीत करनी चाहिए. मिस्सा पूजा का गीत संचालक और बाइबल पाठ मारियम टोली के ईसाई समुदाय ने किया. गिरजाघर की साज-सज्जा और सौंदर्यीकरण हॉली फैमिली की धर्मबहन सिस्टर अरुणा और सिस्टर लीली मेरी के नेतृत्व में किया गया. सुबह का क्रिसमस मिस्सा पूजा प्रातः 7:30 बजे संपन्न होगा.
वहीं जीईएल गिरजाघर सिंघानी की मिस्सा पूजा शाम 6 बजे सम्पन्न हुई. पुरोहित जयवंत लिंडा और पुरोहित अरबन बेसरा ने मिस्सा पूजा का संचालन किया. यहां सुबह की मिस्सा पूजा प्रातः 8 बजे सम्पन्न होगी. चर्च कमिटी की सचिव नीलूस आइंदा, कोषाध्यक्ष शबनम होरो, अभय लकड़ा, संजीव कुजूर, अल्पना कुजूर आदि ने मिलकर कार्यक्रम मिस्सा पूजा को सफल बनाया.
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रांची
यीशु के जन्म की खुशी में क्रिसमस, यीशु सिखाते हैं एक दूसरे से प्रेम करना
राजधानी रांची क्रिसमस के रंग में रंग गई है. जश्न में डूबे लोग एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं और येशु के आगमन की खुशी मना रहे हैं. राजधानी के गिरजाघरों का आकर्षण लोगों को अपनी ओर खींच रहा है. प्रमुख गिरजाघरों में लोग शनिवार रात से ही जुटने लगे थे. पुरुलिया रोड, मेन रोड, लालपुर चौक, कांटा टोली चौक सहित रांची के बाजार क्रिसमस के रंग में रंगे हैं.इस मौके पर कैथड्रल चर्च के बिशप बीबी वास्के ने कहा है कि इस जगत में यीशु मसीह ने जन्म लिया. जिसके बाद एक प्रकार की खुशी- आनंद महसूस होता है. ईश्वर ने अपने महान प्रेम को प्रकट करने के लिए यीशु को यहां भेजा है. व्यक्ति प्रभु यीशु मसीह में विश्वास करता है. वे अनंत जीवन जीते हैं.ईश्वर खुशियां लेकर आया है. वह मनुष्य का रुप धारण करते हुए बालक के रुप में जन्म लिया. वह हमारे दुखों का अंत करेगा.
धनबाद
चरणी की आकर्षक सजावट, प्रभु के जन्म पर गूंजा कैरोल गीत
धनबाद के गिरजाघरों में गिरिजाघरों में क्रिसमस की धूम मची है. नए ढंग से गिरजाघरों को सजाया गया है. शनिवार की रात 12:00 बजे प्रभु यीशु के जन्म के लिए चरणी तैयार की गई थी. बाल यीशु के स्वागत के लिए ईसाई समुदाय के लोग इंतजार कर रहे थे.. इस खास मौके पर आकर्षक चरणी की सजावट की गई. समुदाय के लोग गिरजाघर में जागरण कर प्रभु यीशु की आराधना करते देखे गए
25 दिसंबर को भी होगी प्रार्थना सभा
फादर ज्ञान प्रकाश टोपनो ने बताया कि इस बार 24 दिसंबर की रात 8:30 बजे के अलावा 25 दिसंबर की सुबह 7 बजे भी प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया है. चर्चों को रंग-बिरंगी रोशनी के साथ ट्री को रिबन, घंटी और लाइट्स लगाकर विशेष साज सज्जा की गई है. लोग क्रिसमस के रंग में रंग गए हैं. ईसाई धर्म के लोगों के लिए इस पर्व का खास महत्व है.
गिरजाघरों में मोमबत्ती जलाने की परंपरा
क्रिसमस के दिन गिरजाघरों में मोमबत्ती जलाने की भी विशेष पंरपरा हैं. इस दिन ईसाई समुदाय व अन्य धर्म के लोग भी गिरजाघर पहुंच कर यीशु की याद में मोमबत्तियां जलाते हैं. उनकी मान्यता है कि प्रभु यीशु की आराधना जीवन में प्रकाश और तरक्की लाती हैं.
गिरिडीह
गिरिडीह का इकलौता कैथोलिक चर्च है ख्रिस्त राजा चर्च
गिरिडीह शहर के मोहनपुर में रोमन कैथोलिक ख्रिस्त राजा चर्च स्थित है. इस चर्च का निर्माण 20 वर्ष पूर्व हुआ था. पहले इस चर्च के फादर चाको थे. बाद में फादर ग्रेगरी इस चर्च के फादर बने. कोरोना काल में फादर ग्रेगरी का निधन हो गया. वर्तमान में चर्च के फादर जवाकिन जैकब हैं. गिरिडीह शहर का यह एकलौता रोमन कैथोलिक चर्च है.
ब्रदर जोसेफ भेंगरा
चर्च के वरीय एवं सक्रिय सदस्य ब्रदर जोसेफ भेंगरा ने बताया कि 25 दिसंबर को सुबह 8 बजे क्रिसमस की मुख्य आराधना होगी. फादर जवाकिन जैकब और फादर ऑगस्टिन परेरा द्वारा मिस्सा का आयोजन किया जाएगा.
किरीबुरू
गिरजाघरों में क्रिसमस का उत्साह चरम पर
यीशु मसीह के जन्म उत्सव का प्रतीक क्रिसमस पर किरीबुरु स्थित जीईएल, रोमन समेत तमाम चर्चों में खुशी पसरी है. क्रिसमस के मद्देनजर जीईएल चर्च के संडे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चें व शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा क्रिसमस से ठीक पहले रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर एक-दूसरे के घर जाते नजर आयें और कैरोल भजनों के माध्यम से प्रभु के संदेश का प्रचार-प्रसार करते दिखे.
प्रभु की भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं के समूह में भजन गायन का यह सिलसिला जारी है. जीईएल चर्च के संजय तिग्गा ने बताया कि कैरोल एक तरह का भजन है जिसके बोल क्रिसमस पर आधारित होते हैं. ये कैरोल क्रिसमस से पहले गाए जाते हैं. इस दौरान तमाम गिरजा घरों में प्रभु यीशु की चरनी भी बनाई गई है. व उसे सजाया जा रहा है. मसीही परिवारों के घरों में आज से ही केक, चावल का अरसा, पीठा समेत विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं.
प्रभु यीशु का जन्म पूरे विश्व को शांति का संदेश देता है : रेव. जे सुरीन
प्रभु यीशु के संदेश को ग्रहण कर लेने मात्र से मानवता की पहचान बनी रहेगी. क्योंकि मनुष्य आपस में नहीं लडे़ंगे, एक-दूसरे से प्रेम करेंगे, शांति व सहयोग से रहेंगे. धर्म भले अलग-अलग है, लेकिन मानव धर्म एक है. यहीं क्रिसमस का मुख्य उद्देश्य है. उक्त बातें क्रिसमस की पूर्व संध्या पर जीईएल चर्च के रेव. जे सुरीन ने अपने संदेश में कहा. उन्होंने कहा कि हमारी मानवता जो हासिये पर है उसे क्रिसमस के इस पर्व पर हर हाल में हासिल करना होगा.
शांति हमारे लिये सबसे बड़ा धन
वर्ष 2022 वैशविक रुप से सबके लिये विशेष महत्व का है. प्रभु यीशु का जन्म पूरे विश्व को शांति का संदेश देता है. इसलिए प्रभु यीशु का नाम शांति का राजकुमार रखा गया है. बाईबल के अनुसार प्रभु यीशु को ईमानुएल भी कहा गया है. अर्थात परमेश्वर हमारे साथ है. विश्व के सभी लोगों को इस बात का अनुभव करना होगा की वास्तविक शांति ईश्वर ही देता है. शांति हमारे लिये सबसे बड़ा धन है. क्योंकि इसके बगैर हम जीवन जी नहीं सकते हैं.
चाईबासा :
चरनी में मरियम की गोद में प्रभु यीशु
प्रभु यीशु का जन्म गोहाल घर (चरनी) में हुआ था. जिसकी याद में मसीही समाज के लोग चरनी का निर्माण करते हैं. चरनी में माता मरियम की गोद में बैठे हुए प्रभु यीशु अपनी मां को देखते हुए दिखाया गया है. चरनी की अपनी ही शोभा है. मसीही समुदाय के सभी लोग अपने घरों में भी चरनी का निर्माण कर उसे अच्छी तरीके से सजाने का कार्य करते हैं,
देर रात चर्च में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे. परंपरा के अनुसार प्रभु यीशु के जन्म के वक्त जन्मोत्सव के भजन गाए गए. जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. क्रिसमस को लेकर जेवियर चर्च, सीएनआई चर्च, लूथरन चर्च सहित अन्य चर्च को अच्छे तरीके से सजाया गया है. जहां पर श्रद्धालु प्रार्थना सभा में शामिल हुए. जेवियर चर्च में दोपहर से प्रार्थना सभा शुरू हो गई थी. यहां पर चरनी को काफी भव्य बनाया गया है. इससे अपनी माता मरियम की गोद में प्रभु यीशु को बैठाया हुआ दिखाया गया है.
क्रिसमस के रंग में डूबे लोग, एक दिसरे को दे रहे हैं बधाई
शहर के बड़े चर्चों में से एक रोमन कैथोलिक चर्च क्रिसमस पर अपनी नई आभा विखेल रहा है. चर्च को बाहर और अंदर से विभिन्न सजावट की वस्तुओं से सजाया गया है. वहीं आकर्षक विद्युत सज्जा भी की गई है. शाम होते ही रंगीन रोशनी से पूरा चर्च जगमग कर रह था. शनिवार देर रात को चर्च में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया . जहां हजारों की संख्या में लोग जुटे थे. क्रिसमस की पूर्व रात्रि में 10 बजे से प्रार्थना सभा पल्ली पुरोहित फादर निकोलस केरकेट्टा की अगुवाई में आरंभ हुई. जैसे ही 12 बजा गिरजे घर की घंटियां बजने लगी. प्रार्थना सभा में शामिल शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के ईसाई परिवारों के हजारों विश्वासीगण एक दूसरे को बधाई देने लगे. चारों ओर प्रभु यीशु का जन्म हुआ है गीत गुंजने लगा. चर्च का कैरोल दल द्वारा यीशु के जन्म से जुड़े भक्ति गीत गाने लगे. इसके लिए संजीव कुमार बलमुचू, रोबिन बलमुचू और रोयलन तोपनो की अगुवाई में तैयारी पूरी कर ली गई थी.
लातेहार
126 साल पुराने संत जोसेफ चर्च मेें क्रिसमस की धूम
संत जोसेफ चर्च, महुआडांड़ के 126 पुराने चर्च में क्रिसमस की धूम है. ब्रिटिश हुकुमत के दौरान वर्ष 1896 में इस चर्च का निर्माण कराया गया था. तब से लेकर आज तक यह मसीही समुदाय के लोगों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है. चर्च के मुख्य फादर सुरेश किंडो ने बताया कि क्रिसमस की तैयारियां यहां कई दिन पहले से ही शुरू हो गई थी. क्रिसमस से पूर्व गेदरिंग का आयोजन किया गया. 24 दिसंबर की अर्द्धरात्रि यहां मिस्सा पूजन की गई. विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन कर विश्व शांति एवं कल्याण की कामना की गई. प्रभु यीशु के अवतरण के गीत गाये गए. रात के 12 बजे के बाद से ही मेरी क्रिसमस के जयघोष से पूजा चर्च परिसर गुंजायमान हो रहा था. अपने संदेश में फादर सुरेश ने कहा कि प्रभु यीशु ने हमें सब से प्रेम करना सीखाया. कोई आपसे नफरत या घृणा करता हो या आपसे शत्रुता की भाव रखता हो तो भी आप उससे प्रेम करें. प्रभु यीशु का जन्म विश्व शांति व विश्व कल्याण के लिए हुआ है. हमें उनके संदेशों को जन-जन तक पहुंचाना है ताकि समाज मे विद्वेष का जरा भी स्थान नहीं हो.
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