अंतिम सर्वे अलग-अलग तिथियों में हुआ है, इसमें कई त्रुटियां हैं : त्रिपाठी
डालटनगंज के पूर्व विधायक केएन त्रिपाठी ने कहा कि 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति गलत है. हर जिले में अलग-अलग तिथि में अंतिम सर्वे हुआ है. इसमें कई त्रुटियां हैं. मैं मधु कोड़ा के स्टैंड का भी समर्थन करता हूं. मुझे लगता है कि स्थानीय नीति तय होनी चाहिए, मगर इसका आधार लास्ट सर्वे सेटलमेंट होना चाहिए. इस स्थानीय नीति से पलामू के कई जिले और क्षेत्र के लोग प्रभावित होंगे. जो उचित नहीं है. रांची पहुंचकर पार्टी मीटिंग में यह सुझाव देंगे. ताकि इसकी त्रुटियों को दूर किया जा सके. किसी का हक मारी न तो इसका ध्यान हमारी सरकार को रखना चाहिए.
भाजपा ने बैटिंग का मौका दिया है, तो हमारी सरकार भी फॉर्म में है : संजय यादव
हुसैनाबाद के पूर्व विधायक व राजद नेता संजय सिंह यादव ने कहा कि देखिए हमारे एक विधायक हैं. जो मंत्री भी हैं. कैबिनेट में प्रस्ताव आया होगा तो उन्होंने भी समर्थन किया गया होगा. जब हमारे मंत्री समर्थन में है, तो हम भी हैं, हमारी पार्टी भी है. रही बात किस आधार पर स्थानीय नीति बनी है, इसका क्या होगा. यह तो वक्त बताएगा. अभी इसके लिए बहुत लंबा सफर तय करना होगा. यह केवल एक प्रस्ताव कैबिनेट से पारित हुआ है. यह सब भाजपा के कारण हो रहा है. भाजपा ने हमारी सरकार को बैटिंग करने का मौका दिया है, बैटिंग हो रही है और सरकार पूरी फॉर्म में है. हार या जीत तो संसद के दो तिहाई बहुमत से पास होने न होने पर निर्भर है. अभी इससे अधिक कहना उचित नहीं होगा.
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हेमंत सरकार ने बहुत अच्छा काम किया : फूलचंद मंडल
सिंदरी के पूर्व विधायक फूलचंद मंडल ने कहा कि एकीकृत बिहार में श्रम, नियोजन मंत्रालय ने एक मत से क्लास 3 और क्लास 4 के लोगों के नौकरी देने के लिए एक स्थानीय नीति बनायी. इसमें बिहार ने स्थानीय कौन, इसे भी परिभाषित किया. जिसका आधार बनाया गया 1932 के खतियान या उसके समकक्ष में दर्ज नाम को. वह नीति अब भी बिहार में चल रही है. ठीक उसी प्रकार राज्य की हेमंत सरकार ने स्थानीयों की पहचान के लिए 1932 के खतियान या उसके समकक्ष को आधार माना है. आगे नियोजन नीति इसके आधार पर ही बनेगी. इसलिए हेमंत सरकार ने बहुत अच्छा काम किया. इससे हमारे लोगों की भी क्लास 3 और क्लास 4 की नौकरियां सुरक्षित रहेंगी.
किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए : लालचंद महतो
डुमरी के पूर्व विधायक लालचंद महतो ने कहा कि झारखंड के अलग-अलग कमिश्नरी में अगल-अगल वर्ष में सर्वे हुआ. इसलिए 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति करना गलत है. हमलोगों ने भी 2002 में इस तरह की स्थानीय नीति तय की थी. मगर कोर्ट ने खारिज कर दिया. सरकार को सभी जिलों के अंतिम सर्वे सेटलमेंट को शामिल करते हुए इसे तय करना चाहिए. साथ ही साथ जो लोग 50-70 साल पहले झारखंड आए, बस गए, सरकार को उनका भी हितों का ख्याल रखना चाहिए. किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. झारखंड की समरसता बनी रहे. नहीं तो फिर से झारखंड जल सकता है, जिसका जिम्मेवार सरकार होगी.
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यह जनभावनाओं का सम्मान है : योगेंद्र महतो
गोमिया के पूर्व विधायक योगेंद्र महतो का कहना है कि हमारी सरकार का यह संकल्प था. इसके तहत मुख्यमंत्री ने काम किया. यह जनभावनाओं का सम्मान है. जनता की मांग थी कि स्थानीयता की पहचान 1932 के आधार पर हो. जहां तक अगल-अगल जिलों में अलग-अगल वर्षों में सर्वे की बात है तो आगे इस पर चर्चा होगी. जरूरी हुआ तो इसमें आवश्यक संसोधन किया जाएगा. किसी के साथ हमारी सरकार अन्याय नहीं करेगी. हेमंत सोरेन ने ऐसा करके बड़े हिम्मत दिखायी है. आने वाले समय में इसका दूरगामी परिणाम सामने आएगा.
यह झारखंडियों की बहुत चिरप्रतीक्षित मांग थी : अरुप चटर्जी
निरसा के पूर्व विधायक अरुप चटर्जी का कहना है कि मैं और मेरी पार्टी इसका समर्थन करती है. यह झारखंडियों की बहुत चिरप्रतीक्षित मांग थी. जो पूरा होने जा रहा है. झारखंड के आदिवासी-मूलवासियों को इससे उनका हक मिलेगा. हालांकि इसको लेकर अभी लंबी दूरी करनी है. अगर किसी तरह की मांग और विवाद है तो सरकार को ऑल पार्टी मीटिंग बुलाकर उसका हल निकालना चाहिए ताकि पूर्व की तरह इसका हश्र न हो. सभी मान-सम्मान व मांग को इसमें शामिल किया जाना चाहिए.
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हेमंत सोरेन सरकार ने बड़ी हिम्मत दिखायी है : सुरेश पासवान
देवघर के पूर्व विधायक सुरेश पासवान ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने बड़ी हिम्मत दिखायी है. इसके लिए सरकार को और उन्हें बधाई. मैं इसका समर्थन करता हूं. इससे हमारे राज्य के आदिवासी-मूलवासियों के हितों की रक्षा होगी. तृतीय व चतुर्थ वर्ग की नौकारियां सुरक्षित हो जाएंगी. इससे बाहर से आकर बसे लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्हें भी स्थानीयता का लाभ मिलेगा. प्रथम एवं दूसरे स्तर के नौकरियां वे शामिल हो सकते हैं. यह राज्य किसके लिए बना था, इसका ख्याल सभी को होना चाहिए. तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की नौकरियों पर तो स्थानीय का ही हक होना चाहिए.
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