Vijay Kumar Gope
Ranchi: रिनपास की निदेशक डॉ. जयति सिमलई की कार के धक्के से घायल विक्षिप्त महिला की मौत के मामले पर पर्दा डालने के लिए झूठ पर झूठ का खेल चलता रहा. अब मामले को कोर्ट में ले जाने की तैयारी है. दो मार्च 2022 को रिनपास कैंपस में ही डॉ. जयति की कार से धक्का लगने से विक्षिप्त महिला तैरू निशा घायल हुईं थीं, जिन्हें उन्होंने खुद ही रिम्स में भर्ती कराया था. लगभग 45 दिनों बाद 14 अप्रैल को तैरू निशा की मौत हो गई थी. खुद डॉ. जयति ने तत्कालीन निदेशक डॉ. सुभाष सोरेन द्वारा जारी शोकॉज नोटिस के जवाब में स्वीकार किया था कि उनकी कार से ही तैरु निशा को धक्का लगा था. लेकिन रिम्स में जानकारी दी गई कि महिला करंज के पेड़ से गिर कर घायल हुई है.
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कौन सच्चा, कौन झूठा ?
यहीं से शुरू हुआ झूठ का खेल. तैरू निशा की मौत के बाद रिनपास की नर्सिंग स्टाफ सिस्टर मुनरेन बारला का पुलिस ने बयान दर्ज किया था. तब सिस्टर बारला ने भी पुलिस को दिए बयान में बताया था कि तैरु निशा पेड़ से गिर कर घायल हुईं थीं. जब शुभम संदेश संवाददाता ने उनसे इस संबंध में रविवार को जानकारी मांगी, तो उन्होंने साफ कहा कि जिस दिन घटना हुई थी, उस दिन वह ड्यूटी पर नहीं थीं, छुट्टी पर थीं. फिर आपने पुलिस को बयान कैसे दिया, तो जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें जो जानकारी मिली थी, उसी के आधार पर बयान दे दिया था. उन्होंने यह भी बताया कि 14 अप्रैल को भी सरकारी छुट्टी थी, कोई डॉक्टर या नर्सिंग स्टाफ नहीं था, इसलिए उन्हें ही बयान देने के लिए ले जाया गया था. वे तो कांट्रेक्ट पर कार्यरत हैं, जो आदेश हुआ, उसका पालन किया. ज्ञातव्य है कि तैरू निशा को बिहार की पटना सेंट्रल जेल से जेल अधीक्षक ने रिनपास में भर्ती कराया था.
उच्चाधिकारियों को जानकारी दी गई, नहीं हुई कार्रवाई
तैरु निशा की मौत का मामला सामने आते ही झामुमो के पूर्व महासचिव सोनू मुंडा ने इसे गंभीरता से लिया. पूरे मामले की जानकारी हासिल की. 3 मई 2022 को उन्होंने मुख्यमंत्री सचिवालय, विकास आयुक्त, मुख्य सचिव, मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिख पूरे मामले की जानकारी देते हुए दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आग्रह किया लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जब कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने 31 मई को दोबारा सभी विभागों से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी कि आखिर रिनपास में महिला की मौत के मामले में क्या कार्रवाई हुई, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला. हालांकि, झारखंड सरकार के अपर सचिव राममूर्ति सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिख कर 15 दिनों के अंदर मामले में की गई कार्रवाई से मुख्यमंत्री जन शिकायत कोषांग को अवगत कराने का निर्देश दिया लेकिन स्वास्थ्य विभाग चुप्पी साधे रहा.
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अब कोर्ट जाएंगे शिकायतकर्ता
जेएमएम के पूर्व महासचिव सोनू मुंडा का कहना है कि दोषी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिए जाने के बाद अब तक कुछ नहीं हुआ, बल्कि मामले को दफन कर दिया गया. यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है. मामला अफसरशाही की वजह से दबा दिया गया. जिन्हें कार्रवाई करनी है, वे फइलों पर कुंडली मारे बैठे हैं. उल्टा जिनकी कार से धक्का लगने के कारण तैरु निशा की मौत हुई, उन पर कार्रवाई करने की बजाए उन्हें रिनपास का निदेशक बना दिया गया. मुंडा ने कहा कि इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों पर कार्रवाई हो सके.
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